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Current Affairs 20 June 2021

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20 June Current Affairs

7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

“कल, 21 जून को, हम 7वां योग दिवस मनायेंगे। इस वर्ष का विषय ‘योगा फॉर वेलनेस’ है, जोकि शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए योग का अभ्यास करने पर केन्द्रित है।

योग शरीर को निरोग व स्वस्थ बनाता है। योग का प्रयोग आंतरिक विज्ञान के रूप में भी किया जाता है, जो विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं का सम्मिलन है। इसके माध्यम से मनुष्य शरीर एवं मन के बीच सामंजस्य स्थापित कर आत्म साक्षात्कार करता है। योग अभ्यास का उद्देश्य सभी त्रिविध प्रकार के दुखों से आत्यन्तिक निवृति प्राप्त करना है। जिससे प्रत्येक व्यक्ति जीवन में पूर्ण स्वतंत्रता तथा स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं सामंजस्य का अनुभव कर सके।

27 सिंतबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69 वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व समुदाय से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने रिकार्ड 177 सह समर्थक देशों के साथ 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। इसके बाद से ही 21 जून को पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया जाता है।

योग

योग (संस्कृत: योगः) एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द – प्रक्रिया और धारणा – हिन्दू धर्म,जैन पन्थ और बौद्ध पन्थ में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है। योग शब्द भारत से बौद्ध पन्थ के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत्‌ में लोग इससे परिचित हैं।

पतंजलि के योग सूत्र

भारतीय दर्शन में, षड् दर्शनों में से एक का नाम योग है। योग दार्शनिक प्रणाली,सांख्य स्कूल के साथ निकटता से संबन्धित है। ऋषि पतंजलि द्वारा व्याख्यायित योग संप्रदाय सांख्य मनोविज्ञान और तत्वमीमांसा को स्वीकार करता है, लेकिन सांख्य घराने की तुलना में अधिक आस्तिक है, यह प्रमाण है क्योंकि सांख्य वास्तविकता के पच्चीस तत्वों में ईश्वरीय सत्ता भी जोड़ी गई है। योग और सांख्य एक दूसरे से इतने मिलते-जुलते है कि मेक्स म्युल्लर कहते है,”यह दो दर्शन इतने प्रसिद्ध थे कि एक दूसरे का अंतर समझने के लिए एक को प्रभु के साथ और दूसरे को प्रभु के बिना माना जाता है।

पतंजलि, व्यापक रूप से औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते है। पतंजलि योग, बुद्धि के नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है जिसे राज योग के रूप में जाना जाता है। पतंजलि उनके दूसरे सूत्र मे “योग” शब्द को परिभाषित करते है, जो उनके पूरे काम के लिए व्याख्या सूत्र माना जाता है : योग: चित्त-वृत्ति निरोध:

पतंजलि का लेखन “अष्टांग योग” (“आठ-अंगित योग”) एक प्रणाली के लिए आधार बन गया।

आठ अंग हैं :

  1. यम (पांच “परिहार”) : अहिंसा, झूठ नहीं बोलना, गैर लोभ, गैर विषयासक्ति और गैर स्वामिगत।
  2. नियम (पांच “धार्मिक क्रिया”) : पवित्रता, संतुष्टि, तपस्या, अध्ययन और भगवान को आत्मसमर्पण।
  3. आसन : मूलार्थक अर्थ “बैठने का आसन” और पतंजलि सूत्र में ध्यान।
  4. प्राणायाम (“सांस को स्थगित रखना”) : प्राण, सांस, “अयाम”, को नियंत्रित करना या बंद करना। साथ ही जीवन शक्ति को नियंत्रण करने की व्याख्या की गयी है।
  5. प्रत्यहार (“अमूर्त”) : बाहरी वस्तुओं से भावना अंगों के प्रत्याहार।
  6. धारणा (“एकाग्रता”) : एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना।
  7. ध्यान (“ध्यान”) : ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन।
  8. समाधि (“विमुक्ति”) : ध्यान के वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना। इसके दो प्रकार है – सविकल्प और निर्विकल्प। निर्विकल्प समाधि में संसार में वापस आने का कोई मार्ग या व्यवस्था नहीं होती। यह योग पद्धति की चरम अवस्था है।

इस संप्रदाय के विचार मे, उच्चतम प्राप्ति विश्व के अनुभवी विविधता को भ्रम के रूप मे प्रकट नहीं करता। यह दुनिया वास्तव है। इसके अलावा, उच्चतम प्राप्ति ऐसी घटना है जहाँ अनेक में से एक व्यक्तित्व स्वयं, आत्म को आविष्कार करता है, कोई एक सार्वभौमिक आत्म नहीं है जो सभी व्यक्तियों द्वारा साझा जाता है।

SOURCE-PIB

 

इब्राहिम रायसी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महामहिम इब्राहिम रायसी को इस्लामिक गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर बधाई दी है।

ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक और कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रायसी ने शनिवार को बड़े अंतर से जीत हासिल की। ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के इतिहास में इस बार सबसे कम मतदान हुआ। प्रारंभिक परिणाम के अनुसार, रायसी ने एक करोड़ 78 लाख मत हासिल किए। चुनावी दौड़ में एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती बहुत पीछे रहे गए।

बहरहाल, खामेनेई ने रायसी के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य करार दे दिया था, जिसके बाद न्यायपालिका प्रमुख ने यह बड़ी जीत हासिल की। रायसी की उम्मीदवारी के कारण ईरान में मतदाता मतदान के प्रति उदासीन नजर आए और पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद सहित कई लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया। ईरान के गृह मंत्रालय में चुनाव मुख्यालय के प्रमुख जमाल ओर्फ ने बताया कि प्रारंभिक परिणामों में, पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने 33 लाख मत हासिल किए और हेम्माती को 24 लाख मत मिले।

रायसी की जीत की आधिकारिक घोषणा के बाद वह पहले ईरानी राष्ट्रपति होंगे जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। उनपर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिये तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था। रायसी की जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी और यह ऐसे समय में होगा, जब पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत ईरान के साथ विश्व शक्तियों की वियना में वार्ता जारी है। ईरान फिलहाल यूरेनियम का बड़े स्तर पर संवर्धन कर रहा है। इसे लेकर अमेरिका और इजराइल के साथ उसका तनाव काफी बढ़ा हुआ है। माना जाता है कि इन दोनों देशों ने ईरानी परमाणु केंद्रों पर कई हमले किये और दशकों पहले उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बनाने वाले वैज्ञानिक की हत्या करवाई।

ईरान में किसकी चलती है? सर्वोच्च नेता की या राष्ट्रपति की

ईरान एक ऐसा देश है जहाँ के राजनीतिक ढांचे को समझना काफ़ी जटिल है। एक ओर सर्वोच्च नेता से नियंत्रित अनिर्वाचित संस्थाओं का जाल है तो दूसरी ओर ईरानी मतदाताओं की ओर से चुनी हुई संसद और राष्ट्रपति हैं। ये दोनों ही तंत्र एक साथ मिलकर काम करते हैं।

लेकिन ये जटिल राजनीतिक व्यवस्था चलती कैसे है और इसमें सत्ता की चाबी किसके पास रहती है।

सर्वोच्च नेता

ईरानी राज व्यवस्था में सर्वोच्च नेता का पद सबसे ताक़तवर माना जाता है। साल 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद से अब तक सिर्फ़ दो लोग सर्वोच्च नेता के पद तक पहुँचे हैं। इनमें से पहले ईरानी गणतंत्र के संस्थापक अयातुल्लाह रुहोल्ला ख़ुमैनी थे और दूसरे उनके उत्तराधिकारी वर्तमान अयातोल्लाह अली ख़ामेनेई हैं। ख़ुमैनी ने शाह मोहम्मद रज़ा पहेलवी के शासन का तख़्तापलट होने के बाद इस पद को ईरान के राजनीतिक ढांचे में सबसे ऊंचे पायदान पर जगह दी थी।

सर्वोच्च नेता ईरान की सशस्त्र सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है। उनके पास सुरक्षा बलों का नियंत्रण होता है। वह न्यायपालिका के प्रमुखों, प्रभावशाली गार्डियन काउंसिल के आधे सदस्यों, शुक्रवार की नमाज़ के नेताओं, सरकारी टेलीविज़न और रेडियो नेटवर्क के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं। सर्वोच्च नेता की अरबों डॉलर वाली दानार्थ संस्थाएं ईरानी अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करती हैं।

राष्ट्रपति

ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हर चार सालों में चुनाव होता है। चुनाव जीतने वाला व्यक्ति एक बार में अधिकतम दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति बन सकता है। ईरान के संविधान के मुताबिक़, राष्ट्रपति ईरान में दूसरा सबसे ज़्यादा ताक़तवर व्यक्ति होता है। वह कार्यकारिणी का प्रमुख होता है जिसका दायित्व संविधान का पालन करवाना है।

आंतरिक नीतियों से लेकर विदेश नीति में राष्ट्रपति का अच्छा-ख़ासा दखल होता है। लेकिन राष्ट्रीय मसलों पर अंतिम फ़ैसला सर्वोच्च नेता का ही होता है।

संसद

ईरान में 290 सदस्यों वाली संसद मजलिस को हर चार सालों में आम चुनाव के माध्यम से चुना जाता है। संसद के पास क़ानून बनाने की शक्ति होती है। इसके साथ ही वार्षिक बजट को ख़ारिज करने की ताक़त होती है।

संसद सरकार के राष्ट्रपति और मंत्रियों को समन कर सकती है और उनके ख़िलाफ़ महाभियोग का केस चला सकती है। हालांकि, संसद से पास सभी क़ानूनों को गार्डियन काउंसिल की मंज़ूरी मिलना ज़रूरी है।

गार्डियन काउंसिल

ईरान में गार्डियन काउंसिल सबसे ज़्यादा प्रभावशाली संस्था है, जिसका काम संसद द्वारा पारित सभी क़ानूनों को मंजूरी देना या रोकना है। यह संस्था उम्मीदवारों को संसदीय चुनावों या विशेषज्ञों की समिति के लिए होने वाले चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने से प्रतिबंधित कर सकती है।

इस काउंसिल में छह धर्मशास्त्री होते हैं, जिनकी नियुक्ति सुप्रीम नेता करते हैं। इसके साथ ही छह न्यायाधीश होते हैं जिन्हें न्यायपालिका मनोनीत करती है और इनके नामों को संसद मंज़ूरी देती है। सदस्यों का चुनाव छह साल के अंतराल में चरणबद्ध ढंग से होता है, जिससे सदस्य हर तीन साल में बदलते रहें।

विशेषज्ञों की समिति

ये एक 88 सदस्यों की मज़बूत संस्था है, जिसमें इस्लामिक शोधार्थी और उलेमा शामिल होते हैं। इस संस्था का काम सर्वोच्च नेता की नियुक्ति से लेकर उनके प्रदर्शन पर नज़र रखना होता है। अगर संस्था को लगता है कि सुप्रीम नेता अपना काम करने में सक्षम नहीं है तो इस संस्था के पास सुप्रीम नेता को हटाने की शक्ति भी है।

एक्सपीडिएंसी काउंसिल

ये काउंसिल सुप्रीम नेता को सलाह देती है। क़ानूनी मामलों में गार्डियन काउंसिल और संसद के बीच विवाद होने पर इस संस्था को फ़ैसला करने का अधिकार है। सर्वोच्च नेता इस काउंसिल के सभी 45 सदस्यों की नियुक्ति करते हैं जो कि जानी-मानी धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक हस्तियां होती हैं।

न्यायपालिका प्रमुख

ईरान के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति सर्वोच्च नेता करते हैं। मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च नेता के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं।

वह देश की न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं। इस पद के अंतर्गत आने वाली अदालतें इस्लामी क़ानून के पालन और विधिक नीतियों को परिभाषित करती हैं। मुख्य न्यायाधीश इब्राहीम रईसी, जो कि एक कट्टरपंथी उलेमा हैं, गार्डियन काउंसिल के भी छह मूल सदस्यों को मनोनीत करते हैं।

मतदाता

ईरान की 8.3 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 5.8 करोड़ मतदाता यानी 18 साल की उम्र पूरी कर चुके लोग मतदान कर सकते हैं।

सशस्त्र सेनाएं

ईरान की सशस्त्र सेनाओं में इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) और सामान्य सेना है।

आईआरजीसी का गठन क्रांति के बाद इस्लामिक सिस्टम की रक्षा और आम सेना के समानांतर शक्ति स्थापित करने के मक़सद से किया गया था। हालांकि, अब ये एक व्यापक सशस्त्र, राजनीतिक और आर्थिक शक्ति बन गई है, जिसके सर्वोच्च नेता से क़रीबी संबंध हैं।

रिवॉल्युशनरी गार्ड्स के पास अपनी ज़मीनी सेना, नेवी और एयरफ़ोर्स है। ईरान के रणनीतिक हथियारों की देखरेख का काम भी इसी संस्था के पास है।

यह संस्था पैरामिलिट्री बसिज रेसिस्टेंस फ़ोर्स को भी नियंत्रित करती है जिसने आंतरिक विरोध को कुचलने में भूमिका निभाई है।

सभी वरिष्ठ आईआरजीसी अधिकारियों और सैन्य कमांडरों की नियुक्ति सुप्रीम नेता करते हैं जो कि प्रधान सेनापति भी हैं। ये कमांडर और अधिकारी सिर्फ़ सुप्रीम नेता के प्रति उत्तरदायी हैं।

मंत्रिमंडल

मंत्रिमंडल के सदस्य या मंत्री परिषद का चुनाव राष्ट्रपति करते हैं। इनके नामों को संसद से मंज़ूरी मिलनी चाहिए जो कि मंत्रियों पर भी अभियोग का केस चला सकती है। इस मंत्रिमंडल के अध्यक्ष राष्ट्रपति या प्रथम उप-राष्ट्रपति होता है जो कि मंत्रिमंडल से जुड़े मामलों के लिए ज़िम्मेदार होता है।

ईरान

ईरान (जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जम्बुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन 1935 तक फारस (पर्शिया) नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक (कुर्दिस्तान क्षेत्र) और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहाँ का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है।

प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को 1979 में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है।

ईरान में फ़ारसी, अजरबैजान, कुर्द (क़ुर्दिस्तान) और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं।

यह अरब सागर के उत्तर तथा कैस्पियन सागर के बीच स्थित है और इसका क्षेत्रफल 16,48,000 वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा है। इसकी कुल स्थलसीमा 5440 किलोमीटर है और यह इराक (1458 कि॰मी॰), अर्मेनिया (35), तुर्की (499), अज़रबैजान (432), अफग़ानिस्तान (936) तथा पाकिस्तान (906 कि॰मी॰) के बीच स्थित है। कैस्पियन सागर के इसकी सीमा सगभग 740 किलोमीटर लम्बी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व में 18वें नम्बर पर आता है। यहाँ का भूतल मुख्यतः पठारी, पहाड़ी और मरुस्थलीय है। वार्षिक वर्षा 25 सेमी होती है।

समुद्र तल से तुलना करने पर ईरान का सबसे निचला स्थान उत्तर में कैस्पियन सागर का तट आता है जो 28 मीटर की उचाई पर स्थित है जबकि कूह-ए-दमवन्द जो कैस्पियन तट से सिर्फ 70 किलोमीटर दक्षिण में है, सबसे ऊँचा शिखर है। इसकी समुद्रतल से ऊँचाई 5,610 मीटर है।

SOURCE-BBC NEWS AND PIB

 

भारत में मुंह के कैंसर की बीमारी और उपचार की लागत
पर अपनी तरह का पहला अध्ययन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, कैंसर विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत कैंसर के मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होते हैं। भारत का कैंसर परिदृश्य पुरुषों में सबसे आम मुंह के कैंसर के बोझ से दब गया है। वास्तव में, भारत में 2020 में वैश्विक घटनाओं का लगभग एक तिहाई हिस्सा था।

टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ. आरए बडवे ने कहा, “ग्लोबोकैन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में नए मामलों के निदान की दर में आश्चर्यजनक रूप से 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे यह एक वास्तविक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन गया है और तो और, लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच कम है, साथ ही इसके बारे में बहुत अधिक जानकारी के अभाव में अधिकतर इस रोग के बारे में रोगियों को तब पता चलता है जब कैंसर बढ़कर अगले चरण में पहुँच जाता है और तब जिसका इलाज करना अक्सर मुश्किल होता है।” लगभग 10 प्रतिशत रोगी ऐसे होते हैं जिनमें यह रोग अगली अवस्थाओं में फ़ैल चुका होता है और ऐसे में वे उपचार के योग्य नहीं बचते ऐसे में केवल उनके लक्षणों के लिए बस जीवित रहने तक जितना सम्भव हो देखभाल का परामर्श ही दिया जा सकता है।

जो लोग इसके लिए किसी न किसी प्रकार का उपचार प्राप्त करते हैं उनमें से अधिकांश बेरोजगार हो जाते हैं और अपने मित्रों और परिवार पर आर्थिक बोझ बन जाते हैं। यहां तक कि स्वास्थ्य बीमा और/या सरकारी सहायता प्राप्त रोगियों, जिन्हें आमतौर पर स्वास्थ्य देखभाल की लागत से इन योजनाओं के चलते कुछ राहत मिल जाती है, वे भी गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं क्योंकि अधिकांश योजनाएं उपचार के लिए आवश्यक वास्तविक राशि को पूरा उपलब्ध नहीं कराती हैं। जिससे अंततः उनके अतिरिक्त खर्चे बढ़ जाते हैं और रोगियों की एक बड़ी संख्या स्वयं और उनके परिवार कर्ज के कभी न खत्म होने वाले चक्र में फंस जाते हैं I

टाटा मेमोरियल सेंटर की एक टीम ने इस बीमारी के उपचार पर आने वाली लागत का विश्लेषण शुरू किया हैI इससे उन नीति निर्माताओं को ऐसी अमूल्य जानकारी मिलेगी जो कैंसर के लिए संसाधनों का उचित आवंटन करते हैं। यह भारत में और विश्व स्तर पर कुछ मुट्ठी भर लोगों के बीच इस तरह का पहला अध्ययन है, जिनके अनुमानों की गणना एक आमूलचूल दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए की गई थी, जहां प्रत्येक सेवा के उपयोग की लागत के लिए संभावित एवं वास्तविक आंकड़े एकत्र किए गए क्योंकि इसका उपयोग किया गया था।

टाटा मेमोरियल अस्पताल में रिसर्च फेलो और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. अर्जुन सिंह ने कहा कि उन्नत चरणों के इलाज की इकाई लागत (2,02,892/- रुपये) प्रारंभिक चरणों की (1,17,135/- रूपये) लागत की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक पाई गई। साथ ही, सामाजिक-आर्थिक स्तर में वृद्धि के कारण इकाई लागत में औसतन 11 प्रतिशत की कमी आई। उपचार में चिकित्सा उपकरणों लागत, पूंजीगत लागत का 97.8% हिस्सा है जिसमें सबसे अधिक योगदान रेडियोलॉजी सेवाओं का हैI इसमें सीटी, एमआरआई और पीईटी स्कैन शामिल हैं। उन्नत चरणों में सर्जरी के लिए उपभोग्य सामग्रियों सहित परिवर्तनीय लागत प्रारंभिक चरणों की तुलना में 1.4 गुना अधिक थी। सर्जरी में अतिरिक्त कीमो और रेडियोथेरेपी को शामिल करने से उपचार की औसत लागत में 44.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

मुंह के कैंसर के उपचार का यह तनावपूर्ण आर्थिक प्रभाव, दृढ़ता से सुझाव देता है कि इसकी रोकथाम की क्षमता ही इस रोग के उपचार के लिए प्रमुख शमन रणनीतियों में से एक होनी चाहिए। लगभग सभी मुंह के कैंसर किसी न किसी रूप में तंबाकू और सुपारी के उपयोग के कारण होते हैं, या तो सीधे या द्वितीयक  सेवन के रूप में। हमारे देश के लिए इस खतरे को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करना और तंबाकू के सेवन से होने वाली सैकड़ों बीमारियों में से सिर्फ एक के कारण होने वाले आर्थिक बोझ को कम करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्नत चरण की बीमारी में केवल 20 प्रतिशत की कमी के कारण प्रारंभिक पहचान रणनीतियों से सालाना लगभग 250 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। चिकित्सक, दंत चिकित्सक और सभी स्वास्थ्य कर्मी इस रोग का पता लगाने की पहली पंक्ति है जो सही समय पर तंबाकू और सुपारी का सेवन करने वाले जैसे उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की जांच कर सकते हैं। जांच किए गए को रोगियों उत्तरवर्ती उपचार दिलाने, तंबाकू नशामुक्ति रणनीतियों को लागू करने और समय पर देखभाल और सहायता प्रदान करने में कुछ संस्थान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रशासन और सरकार के स्तर पर, मजबूत सुधार कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों पर रोक  जैसी मौजूदा नीतियों को और मजबूत करने के साथ ही इन सबके लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और रोगियों की इन सुविधाओं तक पहुंच, और जरूरतमंद लोगों के लिए साक्ष्य आधारित बीमा और मुआवजा (प्रतिपूर्ति) प्रदान करने के लिए आवश्यक उपाय किए जा सकते हैं।

कैंसर

कैंसर, किसी कोशिका के असामान्य तरीके से बढ़ने की बीमारी है। आमतौर पर, हमारे शरीर की कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और विभाजित होती हैं। जब सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है या कोशिकाएं पुरानी हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और उनकी जगह स्वस्थ कोशिकाएं ले लेती हैं। कैंसर में कोशिका के विकास को नियंत्रित करने वाले संकेत ठीक से काम नहीं करते हैं। कैंसर की कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं और जब उन्हें रुकना चाहिए तो कई गुना बढ़ जाती हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं वाले नियमों का पालन नहीं करती हैं।

कैंसर शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर उस सेल या टिशू के लिए किया जाता है जहां यह शुरू होता है। बच्चों में अलग-अलग तरह के लगभग 100 से ज़्यादा के कैंसर होते हैं। कोशिकाएं माइक्रोस्कोप में कैसे दिखती हैं और कोशिकाओं की आणविक और आनुवंशिक विशेषताएं कैंसर के विशिष्ट प्रकार को निर्धारित करने में मदद करने के लिए जानकारी देती हैं।

कई कैंसर कोशिकाओं के ढेर या गुच्छे बना लेते हैं, जिससे एक ठोस गांठ बन जाती है। दूसरे कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया, खून के ज़रिए शरीर के बाकी हिस्सों में फ़ैलते हैं और एक जगह इकट्ठे नहीं होते हैं। जैसे ही ठोस गांठ बढ़ती है, कुछ कोशिकाएं शरीर के दूसरे हिस्सों में चली जाती हैं। इस प्रक्रिया को मेटास्टैसिस कहते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि कैंसर सीधे आस-पास के शरीर में फैल जाए।

वह स्थान जहां कैंसर सबसे पहले शुरू होता है, उसे प्राइमरी ट्यूमर कहा जाता है। मेटास्टैसिस कैंसर का नाम प्राइमरी ट्यूमर से लिया जाता है। उदाहरण के लिए, ओस्टियोसार्कोमा जो कि हड्डी में शुरू हो कर फेफड़ों में फैल गया को मेटास्टैसिस ओस्टियोसार्कोमा बोला जाता है, न कि फेफड़ों का कैंसर।

कैंसर कोशिकाओं में अक्सर ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे उनके बढ़ने की संभावना बढ़ती हैं। कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेज़ी से विभाजित हो सकती हैं या जब उन्हें विभाजन रोकना होता है, तब भी वे विभाजित होना बंद नहीं करती हैं। कुछ कैंसर कोशिकाएं नए जीन म्यूटेशन विकसित करना जारी रखती हैं जिससे वे तेजी से बढ़ सकती हैं। कैंसर कोशिकाएं के बढ़ने से उनकी बनी हुई गांठ आस-पास के खून की नसों और तंत्रिकाओं पर दबाव ङाल सकता है जिससे शरीर के कई अंग सही तरीके से काम करना बन्द कर सकते हैं। कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं के काम में अड़चन डाल सकती है।

मुंह के कैंसर

मुंह के अंदर होने वाले कैंसर को अंग्रेजी में माउथ कैंसर कहा जाता है। मुंह का कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिसमे मुंह में उत्पन्न टिश्यू होते है जो होंठ, मसूड़े या जीभ को प्रभावित कर सकती है। अगर उचित समय पर उपचार न किया जाएं तो व्यक्ति के लिए जान लेवा साबित हो सकता है।

मुँह का कैंसर के लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of Mouth Cancer in Hindi)

मुंह के कैंसर के शुरुवाती लक्षण व संकेत अन्य समस्या के जैसे ही नजर आते है। चलिए आगे बताते है।

  • मुंह में सफेद या लाल पैच दिखना।
  • निगलने में कठिनाई होना।
  • अचानक से वजन कम होने लगना।
  • मुंह में छाले अधिक समय से होना।
  • गले में सूजन की समस्या बढ़ना।
  • मुंह से रक्तस्राव के असामान्य संकेत होना।
  • मसालेदार भोजन लेने पर जलन होना।
  • शराब के साथ धूम्रपान करने वाले तम्बाकू या धूम्रपान रहित तंबाकू की प्रतिबंधित खुली आदत के साथ रबड़ का गाल दिखना।

मुँह का कैंसर होने के क्या कारण होते है ? (Causes of Mouth Cancer in Hindi)

मुंह का कैंसर होने के कई कारण हो सकते है। इन कारणों के बारे में आपको पता होना चाहिए।

  • व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण मुंह का कैंसर हो सकता है। ऐसा इसलिए जिनकी इम्म्युंटी बहुत कमजोर होती है वे किसी न किसी समस्या से परेशान रहते है।
  • मुंह का कैंसर होने का मुख्य कारण तंबाकू का सेवन करना होता है। इसके अलावा कुछ व्यक्ति जो अत्यधिक तंबाकू खाते है या सिगरेट पीते है उनको मुंह का कैंसर होने का खतरा बना रहता है।
  • शराब का अत्यधिक सेवन मुंह के कैंसर का कारण बनता है। यदि कभी एक बार शराब का सेवन किया तो कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है, किंतु रोजाना अधिक मात्रा में शराब पीने लगे तो लिवर खराबी के साथ मुंह का कैंसर हो सकता है।
  • डिब्बे बंद भोजन या तेलयुक्त भोजन का अत्यधिक मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए, इससे कैंसर का जोखिम रह सकता है। इसलिए व्यक्ति स्वस्थ भोजन जैसे हरी सब्जियां, फलियां या नट्स आदि शामिल कर सकते है।
  • मुंह का कैंसर उन लोगो को भी हो सकता है जिनको ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) रहता है। इसलिए व्यक्ति को अपनी जांच एक बार करवा लेनी चाहिए।

मुंह के कैंसर का परीक्षण ? (Diagnoses of Mouth Cancer in Hindi)

मुंह के कैंसर का निदान करने के लिए कुछ परीक्षण किये जाते है। इन परीक्षण में शामिल है।

  • पहले व्यक्ति की शारीरिक परीक्षण की जाती है और पुरानी बीमारी का इतिहास के बारे में पूछा जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य परीक्षण मुँह के कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • जैसे – बायोप्सी।
  • FNAC एफएनएसी।
  • एक्स-रे।
  • OPG ओपीजी।
  • सीटी स्कैन।
  • एमआरआई।
  • एंडोस्कोपी।

मुँह का कैंसर का इलाज ? (Treatments for Mouth Cancer in Hindi)

मुँह का कैंसर का इलाज मरीज के लक्षण के आधार पर निम्न तरीको से किया जाता है।

  • रेडियोथेरेपी (Radiotherapy) – रेडिएशन का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह आमतौर पर दवाओं के साथ पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सर्जरी के बाद किया जाता है। कैंसर के आकार के आधार पर उपचार कई हफ्तों तक बढ़ सकता है।
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy) – यह कैंसर की कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाने के लिए रेडियोथेरेपी के संयोजन में किया जाता है, जिससे उनकी विभाजित होने और गहरी ऊतकों तक बढ़ने की क्षमता समाप्त कर सके।)
  • आंतरिक रेडियोथेरेपी (Internal Radiotherapy) – आंतरिक रेडियोथेरेपी को ब्रैकीथेरेपी भी कहा जाता है, इसमें रेडियोएक्टिव इम्प्लांट को जीए के तहत कैंसर के अंदर रखा जाता है, जो आमतौर पर कैंसर के शुरुआती चरण में होता है।
  • फोटोडायनामिक थेरेपी (Photodynamic Therapy) – यह थेरेपी बहुत प्रारंभिक अवस्था में किया जाता है जब संभावना अनुपचारित हो या आवर्तक मुंह के छाले घाव कैंसर में बदल रहे हो तो यह एक अस्थायी उपचार प्रक्रिया माना जा सकता है।

SOURCE-PIB

 

विश्व शरणार्थी दिवस

निया भर में शरणार्थियों को सम्मानित करने के लिए, 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जा जाता है। पहली बार विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून, 2001 को मनाया गया था।

महत्व

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार आतंक, युद्ध और संघर्ष से बचने के लिए हर 1 मिनट में 20 लोग अपने घर से भागने को मजबूर हैं। 2019 के अंत तक, दुनिया में जबरन विस्थापित होने वाले लोगों के अनुमानित संख्या लघभग 79.5 मिलियन है।

तमाम दुर्दशा के बावजूद, दुनिया भर में शरणार्थियों द्वारा दिखाए गए साहस और लचीलेपन को आज मनाया जा रहा है ताकि उन्हें और मजबूत किया जा सके और उन्हें यह एहसास दिलाया जा सके कि वे न केवल जीवित रहेंगे, बल्कि अपने अधिकारों और सपनों को प्राप्त करने की दिशा में भी कामयाब होंगे। इसके लिए, दुनिया भर की सरकारों को शरणार्थियों की रक्षा और समर्थन के लिए इस तिथि पर अपने कर्तव्यों का एहसास कराया जाता है।

संघर्षों और आतंक के अलावा, आज दुनिया में कई शरणार्थी ऐसे भी हैं जिन्हें प्राकृतिक आपदाओं जैसे सुनामी, भूकंप, बाढ़ आदि के कारण अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

शरणार्थियों से जुड़े आंकड़े :

2019 संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के अनुसार, दुनिया में 68% शरणार्थी सीरिया (6.6 मिलियन शरणार्थी), वेनेजुएला (3.7 मिलियन शरणार्थी), अफगानिस्तान (2.7 मिलियन), दक्षिण सूडान (2.2 मिलियन) और म्यांमार (1.1 मिलियन) देशों से हैं।2019 तक दुनिया भर में कुल 79.5 मिलियन शरणार्थियों में से 26 मिलियन 18 वर्ष से कम आयु के हैं।

SOURCE-GK TODAY

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