RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे:
नवीनतम मौद्रिक नीति के प्रमुख निष्कर्ष:
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 दिसंबर को वित्तीय प्रणाली में तरलता बढ़ाने के प्रयास में नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 आधार अंकों (bps) की कटौती कर इसे 4.5% से घटाकर 4% कर दिया।
- हालांकि, RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 4-2 के बहुमत के फैसले में रेपो दर – प्रमुख नीति दर – को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा। 22 महीनों में यह लगातार ग्यारहवीं मौद्रिक नीति है, जिसमें रेपो दर को अपरिवर्तित रखा गया है।
- उल्लेखनीय है कि MPC ने वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को पहले के 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया और चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को पहले के 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया।
- साथ ही मौद्रिक नीति के रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखने का भी फैसला किया।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) क्या होता है?
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR) रिज़र्व बैंक की एक प्रमुख मौद्रिक नीति उपकरण है जिसके तहत बैंकों को अपनी कुल जमाराशि का एक निश्चित प्रतिशत रिज़र्व बैंक के पास नकदी के रूप में रखना होता है।
- अब तक यह बैंक की शुद्ध मांग और समय देयताओं (NDTL) का 4.5 प्रतिशत निर्धारित था, इसका मतलब है कि प्रत्येक 100 रुपये की जमा राशि के लिए बैंकों को RBI के पास 4.50 रुपये रखने होंगे। अब इसे 4.0 प्रतिशत कर दिया गया है।
CRR की उपयोगिता:
- उल्लेखनीय है कि CRR के प्राथमिक उद्देश्यों में तरलता प्रबंधन शामिल है, यह सुनिश्चित करना कि बैंक जमाकर्ताओं की मांगों को पूरा कर सकें और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता बनाए रख सकें।
- CRR को समायोजित करके, रिज़र्व बैंक उधार देने के लिए उपलब्ध धन की मात्रा को प्रभावित करता है, जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने या आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।
- CRR में समय-समय पर समायोजन रिज़र्व बैंक को बदलती आर्थिक स्थितियों के प्रति गतिशील रूप से प्रतिक्रिया करने की अनुमति देता है, जिससे यह भारत में मौद्रिक नीति के प्रबंधन के लिए एक आवश्यक उपकरण बन जाता है।
CRR में कटौती क्यों की गई है?
- CRR में कटौती का यह निर्णय बैंकिंग प्रणाली में तरलता की तंगी और GDP वृद्धि में गिरावट के बीच लिया गया है, जो 2024 की जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत तक धीमी हो गई – जो सात तिमाहियों का निचला स्तर है।
- रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि CRR में कटौती रिज़र्व बैंक की अपनी नीतिगत स्थिति को बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को समर्थन देने की प्रतिबद्धता का संकेत है।
- उल्लेखनीय है कि CRR में 50 BPS की कटौती के फैसले से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये की नकदी बढ़ेगी, जो अब तक रिज़र्व बैंक के पास जमा थी और उस पर बैंकों को कोई ब्याज भी नहीं मिल रहा था। ऐसे में इससे बैंकों के पास उधार देने के लिए संसाधन बढ़ेंगे।
- उल्लेखनीय है कि रुपये को स्थिर करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी कम हो गई है। रिज़र्व बैंक द्वारा बहुत अधिक डॉलर की बिक्री भी की गई है, जिससे सिस्टम में कुल लिक्विडिटी प्रभावित हुई है। दिसंबर में, GST के अग्रिम कर भुगतान से संबंधित निकासी और तिमाही के अंत में ऋण की मांग के कारण लिक्विडिटी और भी कम हो जाएगी।
- ऐसे में बैंकों द्वारा CRR के कटौती से मुक्त अधिशेष लिक्विडिटी का उपयोग ऋण देने के लिए किया जा सकता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस बात की भी संभावना है कि बैंक इस CRR कटौती का लाभ उधारकर्ताओं को दे सकते हैं।
रेपो दर (RR) को अपरिवर्तित क्यों रखा गया है?
- प्रमुख नीतिगत दर, रेपो दर (RR) को अपरिवर्तित रखने के लिए MPC का 4-2 का निर्णय यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में मंदी के मद्देनजर आगे के रास्ते के बारे में नीति समिति में मतभेद हैं।
- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बहुमत के फैसले के लिए अपने स्पष्टीकरण में लगातार खाद्य मुद्रास्फीति को चिह्नित किया। उन्होंने कहा कि “वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव बना रहने की संभावना है और वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में कम होना शुरू हो जाएगा। उच्च मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं के हाथों में डिस्पोजेबल आय को कम करती है। ऐसे में MPC का मानना है कि केवल टिकाऊ मूल्य स्थिरता के साथ, हम उच्च विकास के लिए मजबूत आधार सुरक्षित करते हैं”।
- उल्लेखनीय है कि पिछले दो महीनों में, दो केंद्रीय मंत्रियों ने रेपो दर में कटौती का आह्वान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योगों को बढ़ावा देने और क्षमता निर्माण के लिए “सस्ती बैंक ब्याज दरों” की वकालत की। और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल ने RBI से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और मौद्रिक नीति पर निर्णय लेते समय खाद्य कीमतों पर विचार करने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का आग्रह किया।
MPC ने GDP विकास पूर्वानुमान क्यों घटाया है?
- MPC ने दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में कम वृद्धि दर के मद्देनजर GDP विकास पूर्वानुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया है।
- उल्लेखनीय है कि क्रमशः जून, अगस्त और अक्टूबर की MPC घोषणाओं में, RBI ने तिमाही वृद्धि में मामूली बदलाव के साथ 2024-25 के लिए GDP विकास अनुमान को 7.2% पर बरकरार रखा था।
- इस मामले में रिज़र्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दूसरी तिमाही में कम वृद्धि दर अपने निचले स्तर पर पहुंच गई और उसके बाद से त्योहारी मांग और ग्रामीण खपत के कारण इसमें सुधार हुआ है।
- NSO द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार देश का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) जुलाई-सितंबर 2024 में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4% पर आ गया है। जो अप्रैल-जून 2024 तिमाही में 6.7% था।
MPC ने मुद्रास्फीति पर क्या कहा – और क्यों?
- MPC ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को पहले के अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (CPI), या खुदरा मुद्रास्फीति, सितंबर में 5.5% की तुलना में अक्टूबर 2024 में 6.21% के 14 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
- MPC ने लक्ष्य से ऊपर मुद्रास्फीति के मद्देनजर दरों में कटौती की सीमित गुंजाइश पर प्रकाश डालते हुए सतर्क रुख बनाए रखा है। क्योंकि मुद्रास्फीति का स्तर RBI के सहनीय स्तर से बहुत ऊपर बना हुआ है।
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