अमेरिकी ‘पारस्परिक टैरिफ’ योजना के बीच भारत- अमेरिका ‘द्विपक्षीय व्यापार समझौते’ की दिशा में प्रगति:
चर्चा में क्यों हैं?
- 2 अप्रैल को अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ लागू होने से एक दिन पहले, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के हस्तक्षेप के बाद भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) के लिए संदर्भ की शर्तों (ToR) पर सहमति व्यक्त की है। वार्ता की रूपरेखा निर्धारित करने वाले ToR को चार दिनों की वार्ता के बाद अंतिम रूप दिया गया, जिसमें भारत से अमेरिकी व्यापार रियायतों के बदले अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कम करने की उम्मीद है।
- उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ कम करने की भारत की इच्छा का संकेत दिया, जिसमें अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापार अवरोधों से संभावित राहत का सुझाव दिया गया।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर संदेह के बादल:
- इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने भारत की व्यापार नीतियों के बारे में कई चिंता जताईं, जिनमें इंटरनेट शटडाउन, कृषि आयात प्रतिबंध और डेयरी विनियमन शामिल हैं।
- वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अजय श्रीवास्तव ने आगाह किया कि भारत को वैश्विक व्यापार सुधारों में शामिल होना चाहिए, लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी बदलाव राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, विकास लक्ष्यों और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप हो। उन्होंने निष्पक्ष और पारस्परिक वार्ता, छोटे किसानों की सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और डिजिटल शासन की आवश्यकता पर जोर दिया।
USTR रिपोर्ट: भारत की व्यापार नीतियों पर प्रमुख चिंताएँ
- USTR की रिपोर्ट में भारत की विभिन्न व्यापार बाधाओं की आलोचना की गई है, जिनमें स्थानीय इंटरनेट शटडाउन, डेयरी उत्पादों के लिए कड़े आयात नियम, और आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) मुक्त प्रमाणपत्र की अनिवार्यता शामिल है।
- इस रिपोर्ट ने दूध, सूअर का मांस और मछली उत्पादों के आयात पर भारत के नियमों को चिन्हित किया, जिसमें कहा गया कि उन्हें “वैज्ञानिक या जोखिम-आधारित औचित्य प्रदान किए बिना” आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) मुक्त प्रमाणपत्र की आवश्यकता है।
- बौद्धिक संपदा (IP) चिंताएँ: असंगत प्रगति के कारण भारत को ‘प्राथमिकता निगरानी सूची’ में रखा गया है। पेटेंट अनुदान में देरी और व्यापार रहस्यों की सुरक्षा के लिए विशेष कानूनों की कमी को प्रमुख मुद्दों के रूप में उजागर किया गया है।
- मूल्य नियंत्रण: अमेरिका ने कोरोनरी स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की कीमतों पर भारत की नियंत्रण नीति पर आपत्ति जताई, यह तर्क देते हुए कि यह मुद्रास्फीति और उत्पादन लागत के अनुरूप नहीं है, जिससे अमेरिकी कंपनियां भारतीय बाजार में निवेश करने से हतोत्साहित हो सकती हैं।
- इस रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया कि अमेरिका को एक और चीन के उभरने की आशंका है और इसलिए वह भारत की व्यापार नीतियों पर विशेष ध्यान दे रहा है।
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