भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा पर पुनर्विचार पहल:
चर्चा में क्यों है?
- भारत सरकार ऑनलाइन फर्जी खबरों, साइबर धोखाधड़ी और एआई-जनरेटेड डीपफेक के बारे में बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ‘सेफ हार्बर’ की अवधारणा पर पुनर्विचार कर रही है।
- उल्लेखनीय है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को दिए अपने प्रस्तुतिकरण में यह संकेत दिया है।
‘सेफ हार्बर’ क्या होता है?
- ‘सेफ हार्बर’ एक कानूनी अवधारणा है जो ऑनलाइन मध्यस्थों (उपयोगकर्ता-जनित सामग्री की मेजबानी करने वाली वेबसाइटें/प्लेटफॉर्म) को तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए आपराधिक दायित्व से बचाती है।
- यह नवाचार को बढ़ावा देने और प्लेटफॉर्मों को उस सामग्री के लिए दंडित होने से बचाने में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है जिसे उन्होंने बनाया ही नहीं है।
- भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 79, मध्यस्थों को ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा प्रदान करती है।
- हालांकि यदि मध्यस्थों को अवैध सामग्री का “वास्तविक ज्ञान” प्राप्त होता है (अदालती आदेश या सरकारी अधिसूचना के माध्यम से), तो उन्हें इसे हटाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा धारा 79 के तहत संरक्षण खो देंगे।
भारत में ‘सेफ हार्बर’ को लेकर नियामक ढांचा:
- आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के अनुसार, प्लेटफ़ॉर्म को एक नोडल अधिकारी, एक शिकायत अधिकारी (भारत में रहने वाला) नियुक्त करना होगा, और समय-समय पर कंटेंट को लेकर प्राप्त शिकायतों की रिपोर्ट और इसके लिए उनके खिलाफ की गई कार्रवाई प्रस्तुत करनी होगी। ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा बनाए रखने के लिए ये अनिवार्य हैं।
- आईटी संशोधन नियम, 2023 ने प्रेस सूचना ब्यूरो की ‘तथ्य जाँच इकाई’ को कंटेंट को “फेक न्यूज़” के रूप में लेबल करने का अधिकार दिया, जिससे ‘सेफ हार्बर’ को हटाना संभव हो गया।
- हालांकि कॉमेडियन कुणाल कामरा और अन्य ने अपने अधिकार का अतिक्रमण करने और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में इस संशोधन को चुनौती दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, और सरकार इस मामले में अपील कर रही है।
केंद्र सरकार की सोशल मीडिया को लेकर क्या चिंताएं हैं?
- प्लेटफ़ॉर्म द्वारा गैर-अनुपालन: प्लेटफ़ॉर्म (जैसे, ट्विटर/एक्स) पर आरोप हैं कि वे भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं, कंटेंट को हटाने में देरी कर रहे हैं, तथा उपयोगकर्ता को पूर्व सूचना दिए बिना सरकारी आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं। इसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक्स (ट्विटर) से संबंधित चल रहा मुकदमा शामिल है।
- सक्रिय मॉडरेशन की आवश्यकता: सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधन चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियां फर्जी खबरों, एआई डीपफेक, साइबर धोखाधड़ी और अन्य ऑनलाइन नुकसानों से सक्रिय रूप से निपटें।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा पर पुनर्विचार की आवश्यकता:
- उल्लेखनीय है कि ‘सेफ हार्बर’ पर पुनर्विचार, बढ़ती ऑनलाइन गलत सूचना और प्लेटफ़ॉर्म की गैर-जिम्मेदारी के सामने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, डिजिटल नवाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा को संतुलित करने के लिए भारत सरकार की विकसित रणनीति को दर्शाता है। यह साइबर सुरक्षा और शासन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास है, और मध्यस्थ दायित्व, मुक्त भाषण और डिजिटल विनियमन पर बहस से निकटता से जुड़ा हुआ है।
- इसी सन्दर्भ में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) डिजिटल इंडिया एक्ट पेश करने की योजना बना रहा है, जो संभावित रूप से ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा को संशोधित करेगा। हालांकि, DIA का मसौदा अभी जारी होना बाकी है, और विवरण स्पष्ट नहीं हैं।
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