INS निस्तार: भारत की गहरे समुद्र में बचाव और समुद्री क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण
चर्चा में क्यों है?
- भारत ने हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक डाइविंग सपोर्ट वेसल्स (DSV), INS निस्तार को नौसेना में शामिल किया है, जो समुद्री रक्षा में भारत की आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- उल्लेखनीय है कि यह DSV भारतीय नौसेना के पानी के भीतर राहत और बचाव कार्यों के लिए महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में काम करेंगा, जिससे पनडुब्बी बचाव मिशन और खोज और बचाव कार्यों सहित गहरे समुद्र में हस्तक्षेप संभव होगा।
INS निस्तार की मुख्य विशेषताएँ:
स्वदेशी डिजाइन और निर्माण:
- INS निस्तार भारत में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित अपनी तरह का पहला जहाज है, जो नौसेना इंजीनियरिंग में तकनीकी परिपक्वता का प्रदर्शन करता है।
- रक्षा मंत्रालय की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत HSL, विशाखापत्तनम द्वारा विकसित, यह जहाज जहाज निर्माण और समुद्री प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।
गोताखोरी और बचाव क्षमताएँ:
- एकीकृत संतृप्ति गोताखोरी प्रणाली (ISDS): यह 300 मीटर तक की गहराई पर गोताखोरों की तैनाती को सक्षम बनाती है, जिससे पानी के भीतर मरम्मत, बचाव और बचाव कार्यों में सहायता मिलती है।
- दूर से संचालित वाहन (ROV): इन्हें गहरे पानी में पानी के भीतर निगरानी और पुनर्प्राप्ति मिशन के लिए तैनात किया जा सकता है।
- साइड स्कैन सोनार और एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS): ये व्यवस्था जलमग्न जहाजों या मलबे का पता लगाने और जहाज पर लगे सिस्टम के प्रबंधन में सहायता करते हैं।
- पनडुब्बी बचाव प्रणाली: पनडुब्बी आपात स्थितियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण, जिससे क्षतिग्रस्त पनडुब्बियों से कर्मियों को समय पर और सुरक्षित रूप से निकाला जा सके।
मानवीय और सामरिक उपयोगिता:
- समुद्री आपदाओं के दौरान आपदा राहत अभियान।
- समुद्र में जहाज़ के मलबे या विमान दुर्घटनाओं के दौरान खोज और बचाव (SAR) अभियान।
- अपतटीय संसाधन अन्वेषण सहायता और सामरिक अवसंरचना का पानी के भीतर निरीक्षण।
भारतीय नौसेना के लिए INS निस्तार का महत्व:
पनडुब्बी बचाव क्षमताओं में वृद्धि:
- पनडुब्बियों की बढ़ती तैनाती के साथ, प्रतिबद्ध बचाव पोतों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- उल्लेखनीय है कि पहले, भारत पनडुब्बी बचाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर था।
- अब यह DSV बचाव अभियानों की स्वतंत्र और त्वरित तैनाती की अनुमति देते हैं, जिससे आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया समय कम हो जाता है।
तटीय और गहरे समुद्र में अभियानों के लिए रणनीतिक तैनाती:
- इस जहाज को उथले और गहरे समुद्र दोनों क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है, जिससे अभियानों में लचीलापन और व्यापक पहुँच प्राप्त होती है।
- इसकी उपस्थिति हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की निवारक क्षमता और परिचालन तैयारियों को मजबूत करती है।
भविष्य का दृष्टिकोण:
- उल्लेखनीय है कि हिंद महासागर रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और बढ़ती पनडुब्बी गतिविधियों का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है। ऐसे में INS निस्तार के परिचालन के साथ, भारतीय नौसेना अपनी निम्नलिखित क्षमताओं को बढ़ा रही है:
- पानी के भीतर के खतरों की निगरानी करना और आकस्मिकताओं का सामना करना।
- क्षेत्र के मित्र देशों को समुद्री सहायता प्रदान करना।
- महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा सहित उन्नत गहरे समुद्र में बचाव और पानी के भीतर निरीक्षण करना।
- ध्यातव्य है कि जैसे-जैसे भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका चाहता है, यह जहाज उसकी समुद्री नौसेना की आकांक्षाओं में समयानुकूल वृद्धि हैं।
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