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महाकुंभ – 2025 में भगदड़ की घटना ने ताजा की पुरानी यादें:

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महाकुंभ – 2025 में भगदड़ की घटना ने ताजा की पुरानी यादें:

मामला क्या है?

  • प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान संगम पर भगदड़ जैसी घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और कुछ श्रद्धालुओं को गंभीर चोटें आई हैं। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि आज सुबह ‘अमृत स्नान’ के लिए लगभग आठ से दस करोड़ लोग मौके पर मौजूद हैं और उन्होंने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ घटनाक्रम की समीक्षा करते हुए तत्काल उपाय करने का आह्वान किया। सुबह हुई इस घटना के बाद से दोनों नेताओं के बीच चार बार बातचीत हो चुकी है।

मौनी अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ क्षेत्र में 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु:

  • मौनी अमावस्या के अवसर पर त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान के लिए महाकुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ हुई है। 29 जनवरी की सुबह 10 बजे तक ही 3.61 करोड़ लोगों ने पावन स्नान किया है।
  • महाकुंभ मेले और प्रयागराज शहर में इस समय करीब 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद हैं। वहीं, 28 जनवरी तक 19.94 करोड़ लोग महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं।

कुंभ 2013 का हादसा:

  • 2013 में कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 42 लोगों की मौत हो गई थी। ये हादसा 10 फरवरी 2013 को हुआ था और उस दिन भी मौनी अमावस्या का अमृत स्नान था। अमृत ​​स्नान के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री प्रयागराज स्टेशन पर थे। प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े होने तक की जगह नहीं थी। ओवरब्रिज भी भीड़ से भरे हुए थे। लेकिन शाम करीब सात बजे प्लेटफार्म नंबर छह की ओर जाने वाले फुट ओवरब्रिज की सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मच गई।
  • इस दौरान कई श्रद्धालु ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे, जबकि कई भीड़ में कुचल गए। उस हादसे में 42 लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।

कुंभ 1954 का हादसा:

  • आजादी के बाद पहली बार 1954 में प्रयागराज में कुंभ आयोजित किया गया था। नए-नए भारत की प्रशासनिक मशीनरी ऐसे आयोजनों के लिए अभ्यस्त नहीं थी।
  • 3 फरवरी 1954 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए उमड़े श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। इस दौरान लगभग 800 लोग नदी में डूबकर या तो कुचलकर मर गए।

मौनी अमावस्या के स्नान का महत्व:

  • इस साल माघ अमावस्या यानी मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है। मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है। मौनी शब्द का अर्थ है मौन यानी चुप रहने से संबंधित है। हर माह के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, माघ माह में मौनी अमावस्या पड़ती है।
  • उल्लेखनीय है कि मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ 2025 का तीसरा अमृत स्नान या शाही स्नान भी हो रहा है। इस दिन कई सारे शुभ संयोग भी बने हुए हैं।
  • इस वर्ष, 144 वर्षों के बाद ‘त्रिवेणी योग’ नामक एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा है, जिसमें चंद्रमा, सूर्य और बुध मकर राशि में रहेगें। इन शुभ संयोगों के बीच जब साधक पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगा लेता है तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा पवित्र हो जाती है।

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