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महाराष्ट्र विधानसभा में “शहरी नक्सलवाद” से निपटने के लिए विधेयक पारित:

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महाराष्ट्र विधानसभा में “शहरी नक्सलवाद” से निपटने के लिए विधेयक पारित:

परिचय:

  • 10 जुलाई को, महाराष्ट्र विधानसभा ने “विशेष जन सुरक्षा विधेयक” को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य वामपंथी उग्रवादी समूहों, विशेष रूप से शहरी नक्सलवादियों की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है।
  • मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जो गृह विभाग का भी प्रभार संभालते हैं, ने विधेयक पेश किया। दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति ने इसे संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री ने भी आश्वासन दिया कि एक बार लागू होने के बाद इस कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने कुछ प्रावधानों, खासकर “शहरी नक्सल” की व्यापक परिभाषा की आलोचना की। यह विधेयक अभी विधान परिषद में पेश किया जाना बाकी है।
  • मूल रूप से पिछले वर्ष प्रस्तुत इस विधेयक को कई प्रावधानों पर चिंता के बाद संयुक्त प्रवर समिति को भेज दिया गया था, जिसमें विपक्षी विधायक भी शामिल थे।

“विशेष जन सुरक्षा विधेयक” को लेकर महाराष्ट्र सरकार का रुख:

  • विशेष जन सुरक्षा विधेयक पेश करते हुए, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ज़ोर देकर कहा कि राज्य और राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है और लोकतंत्र व संविधान को कमज़ोर करने वाले समूहों के ख़िलाफ़ कार्रवाई तत्काल ज़रूरी है।
  • उन्होंने आश्वासन दिया कि यह क़ानून सत्ता के दुरुपयोग को बढ़ावा नहीं देगा और इसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड के समान कानूनों से भी ज्यादा संतुलित और प्रगतिशील कानून बताया। उल्लेखनीय है कि संयुक्त प्रवर समिति के किसी भी सदस्य ने कोई असहमति नहीं जताई।
  • फडणवीस ने कहा कि विधेयक में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सलाहकार बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है, जिसके सदस्य ज़िला मजिस्ट्रेट या उच्च न्यायालय के सरकारी वकील होंगे।
  • इसके अतिरिक्त, इस क़ानून के तहत मामलों की जाँच केवल पुलिस अधीक्षक (सब-इंस्पेक्टर नहीं) ही करेंगे।

महाराष्ट्र विशेष  जन सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य क्या है?

  • महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा (MSPS) विधेयक, के उद्देश्यों और कारणों के कथन में कहा गया है कि “नक्सलवाद का खतरा केवल नक्सल प्रभावित राज्यों के दूरदराज के इलाकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि नक्सली संगठनों के माध्यम से शहरी इलाकों में भी इसकी मौजूदगी बढ़ रही है”।
  • महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, ये “फ्रंटल संगठन” सशस्त्र नक्सली कैडरों को रसद और सुरक्षित शरण प्रदान करते हैं, और “नक्सलवाद के इस खतरे से निपटने के लिए मौजूदा कानून अप्रभावी और अपर्याप्त हैं”।
  • उल्लेखनीय है कि नक्सलियों के जब्त साहित्य से पता चलता है कि महाराष्ट्र राज्य के शहरों में माओवादी नेटवर्क के ‘सुरक्षित घर’ और ‘शहरी ठिकाने’ हैं। नक्सली संगठन या उनके जैसे अन्य संगठनों की गतिविधियां उनके संयुक्त मोर्चे के (TUF) माध्यम से आम जनता के बीच अशांति पैदा कर रही हैं, ताकि संवैधानिक जनादेश के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की अपनी विचारधारा का प्रचार किया जा सके और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित किया जा सके।

प्रस्तावित कानून के मुख्य प्रावधान क्या हैं?

  • यह विधेयक सरकार को किसी भी संदिग्ध “संगठन” को “गैरकानूनी संगठन” घोषित करने की शक्ति देता है।
  • इसमें चार अपराध निर्धारित किए गए हैं जिनके लिए किसी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है:
  1. किसी गैरकानूनी संगठन का सदस्य होने के लिए,
  2. सदस्य न होने पर, किसी गैरकानूनी संगठन के लिए धन जुटाने के लिए,
  3. किसी गैरकानूनी संगठन का प्रबंधन करने या प्रबंधन में सहायता करने के लिए और,
  4. कोई “गैरकानूनी गतिविधि” करने के लिए।
  • इन चार अपराधों में दो साल से लेकर सात साल तक की जेल की सजा और 2 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गैरकानूनी गतिविधि करने से संबंधित अपराध के लिए सबसे कठोर सजा है: सात साल की कैद और 5 लाख रुपये का जुर्माना।
  • प्रस्तावित कानून के तहत अपराध संज्ञेय हैं, जिसका अर्थ है कि बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है और गैर-जमानती हैं।

नक्सलवाद या माओवाद क्या है?

  • माओवाद या नक्सलवाद सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया जाने वाला, वामपंथी विचारधारा वाला, सशस्त्र हिंसक संघर्ष है जो भारत के पूर्वी राज्यों के अति पिछड़े क्षेत्रों में अल्प विकास एवं अन्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक वंचना के कारण पनपा है।
  • वामपंथी उग्रवादी, माओ-त्से-तुंग की विचारधारा को अपनाकर, भारत की संसदीय एवं लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली के विपरीत एक नवीन साम्यवादी शासन प्रणाली को अपनाने की बात करते हैं।

नक्सलवाद का घोषित उद्देश्य क्या है?

  • दीर्घकालीन, सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से राजनीतिक सत्ता को प्राप्त कर वैकल्पिक राज्य संरचना के रूप में ‘नव जन लोकतंत्र’ की स्थापना करना है। इस क्रम में नक्सलवाद भारतीय संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का विरोध करता है एवं इसे छलावा मानता है।
  • इस राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के प्रति स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त करने हेतु नक्सलवादी लोगों के अधिकारों (जल, जंगल और जमीन) के लिए आंदोलन चलाते हैं एवं जन अदालत द्वारा पीड़ितों को न्याय प्रदान करते हैं।

 

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