‘स्टारगेट परियोजना’: अमेरिका में AI बुनियादी ढांचे के निर्माण की 500 अरब डॉलर की परियोजना
चर्चा में क्यों है?
- अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बड़ी घोषणा की जो AI के भविष्य को आकार दे सकती है। एक कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि ‘प्रोजेक्ट स्टारगेट’ के तहत अमेरिका में AI इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 500 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा, जिससे 1 लाख से अधिक अमेरिकियों को तुरंत नौकरी मिलेगी।
- राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे इतिहास की सबसे बड़ी AI इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना करार दिया है। उन्होंने कहा कि “यह परियोजना सुनिश्चित करेगी कि संयुक्त राज्य अमेरिका AI और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता बना रहेगा”।
- कुछ नीति विशेषज्ञ अमेरिका के इस कदम को प्रौद्योगिकी को हथियार बनाने का तरीका मानते हैं, जिसके तहत वह अमेरिकी कंपनियों के स्वामित्व वाले बड़े भाषा मॉडल (LLM) से लेकर उसके आसपास के बुनियादी ढांचे तक, हर चीज पर नियंत्रण करना शुरू कर देगा।
स्टारगेट परियोजना क्या है?
- स्टारगेट परियोजना मूलतः एक नई कंपनी है जिसका लक्ष्य अगले चार वर्षों में अमेरिका में उन्नत AI अवसंरचना के निर्माण के लिए 500 अरब डॉलर का निवेश करना है। इस पहल में लगभग तुरंत 100 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा।
- प्रोजेक्ट स्टारगेट का उद्देश्य कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता (AGI) के विकास को आगे बढ़ाना है। यह परियोजना AI की प्रगति में एक महत्वपूर्ण छलांग है।
- उल्लेखनीय है कि सॉफ्टबैंक, Oracle, OpenAI और MGX इसके प्रमुख हितधारक हैं, जिसमें सॉफ्टबैंक वित्तीय पहलू को संभालेगा और OpenAI संचालन की देखरेख करेगा। मासायोशी सोन इसके अध्यक्ष होंगे, और प्रौद्योगिकी भागीदारों में Arm, Microsoft, NVIDIA, Oracle और OpenAI शामिल हैं।
- जब भौतिक बुनियादी ढांचे की बात आती है, तो निर्माण टेक्सास में शुरू हो गया है, और अमेरिका में अन्य स्थानों पर विस्तार करने की योजना है।
राष्ट्रपति ट्रंप की ‘मेक इन अमेरिका’ पहल पर बल:
- राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपनी “मेक इन अमेरिका” कहावत को कायम रखा और कहा, “हम जो करना चाहते हैं, वह यह है कि हम इसे इस देश में बनाए रखना चाहते हैं”। उन्होंने कहा कि चीन एक प्रतिस्पर्धी है और वह चाहते हैं कि अमेरिका अग्रणी बने।
- उन्होंने कहा कि “मैं आपातकालीन घोषणाओं के माध्यम से बहुत मदद करने वाला हूँ, क्योंकि हमारे पास एक आपातकालीन स्थिति है, हमें यह सामान बनाना है। इसलिए उन्हें बहुत अधिक बिजली का उत्पादन करना है। और हम उनके लिए यह उत्पादन आसानी से करवाना संभव बना देंगे”।
भारत को भी AI अवसंरचना पर तेजी से काम करने की जरूरत:
- HCL के संस्थापक और नेशनल क्वांटम मिशन ऑफ इंडिया के मिशन गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष अजय चौधरी ने कहा, “रणनीतिक स्वायत्तता के लिए, हमें अपना खुद का AI सिद्धांत बनाना होगा और अपने डेटा को मजबूती से नियंत्रित करना शुरू करना होगा। साथ ही, हमें डेटा केंद्रों के लिए अपना खुद का घरेलू हार्डवेयर बनाना होगा क्योंकि हमारे डेटा को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होने वाला है”।
- चौधरी के अनुसार, सरकार और उद्योग को AI के लिए रणनीति बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। भारत वर्तमान में 10,000 करोड़ रुपये के ‘इंडियाएआई’ मिशन को क्रियान्वित कर रहा है, जिसमें कंप्यूटिंग क्षमता, डेटासेट प्लेटफॉर्म, इनोवेशन सेंटर, सुरक्षित और विश्वसनीय AI, एप्लिकेशन डेवलपमेंट पहल आदि बनाना शामिल है। सरकार की महत्वाकांक्षा देश में एक संप्रभु AI क्षमता का निर्माण करना है, जो अपने स्वयं के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके AI विकसित करना है।
- हाल ही में, पिछली बिडेन सरकार ने AI चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जिसके लागू होने पर भारत सहित अन्य देशों द्वारा आयात किए जा सकने वाले ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) पर अंकुश लग सकता है।
भारत में AI अवसंरचना के विकास में निजी क्षेत्र आगे आये:
- एक उद्योग अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी निजी क्षेत्र स्टारगेट को वित्तपोषित कर रहा है। इसलिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी समूह, टाटा जैसे बड़े घरेलू समूह भी धन का उपयोग कर सकते हैं और भारत के नेतृत्व वाली AI परियोजना शुरू कर सकते हैं। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।
- उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार स्टारगेट परियोजना से सीख लेकर भारत अपने AI पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर अपनी AI पहल की अवधारणा बना सकता है और उसे लागू कर सकता है।
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