वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 लोकसभा द्वारा पारित:
परिचय:
- 12 घंटे की मैराथन बहस और कई सवालों पर मतदान के बाद लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को आखिरकार पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट और विपक्ष में 232 वोट पड़े और अब इसे राज्यसभा में पास कराया जायेगा।
- उल्लेखनीय है कि वक्फ विधेयक को पेश करने के दौरान सरकार ने आरोप लगाया गया था कि 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान तुष्टिकरण की राजनीति के लिए मौजूदा वक्फ कानून में बदलाव किया गया था।
सरकार द्वारा यह विधेयक क्यों लाया गया है?
- यह विधेयक वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करता है, जो भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है।
- इस विधेयक को पहली बार पिछले साल अगस्त में पेश किया गया था, और इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था। 27 फरवरी को, इस विधेयक को JPC ने 15-11 वोट से 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी, जो सभी भाजपा सदस्यों या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में उसके सहयोगियों द्वारा पेश किए गए थे।
- उल्लेखनीय है कि सरकार ने विधेयक में JPC द्वारा की गई कई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और एक महत्वपूर्ण संशोधन पेश किया है। सरकार के अनुसार इससे ‘उम्मीद’ जगेगी कि एक नया सवेरा आने वाला है। इसलिए नए अधिनियम का नाम भी ‘उम्मीद (Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency, and Development)’ अधिनियम रखा गया है।
वक्फ संपत्ति क्या होती है?
- वक्फ संपत्ति मुसलमानों द्वारा किसी खास – धार्मिक, धर्मार्थ या निजी उद्देश्यों के लिए दी गई निजी संपत्ति है। जबकि संपत्ति के लाभार्थी अलग-अलग हो सकते हैं, संपत्ति का स्वामित्व अल्लाह ईश्वर के पास माना जाता है।
- देश में वक्फ संपत्तियां वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा शासित होती हैं।
विधेयक में वक्फ अधिनियम में क्या बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं?
‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ संपत्ति से जुड़े प्रावधान:
- वक्फ अधिनियम, 1995, “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” की अवधारणा को मान्यता देता है – अर्थात, वक्फ संपत्तियों के रूप में उपयोग की जा रही संपत्तियां वक्फ ही रहेंगी, भले ही उपयोगकर्ता मौजूद न हो। यह प्रावधान उन संपत्तियों को संदर्भित करता है जिन्हें धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए उनके दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जाता है, भले ही उनके पास कोई औपचारिक दस्तावेज न हो।
- उल्लेखनीय है कि मूल विधेयक में “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” प्रावधान को पूर्वव्यापी रूप से हटाने की योजना बनाई गई थी। अब, नया विधेयक इस विवादास्पद प्रावधान को केवल भावी रूप से लागू करेगा।
- इसका मतलब है कि, पहले से पंजीकृत वक्फ संपत्तियां तब तक वक्फ के अधीन रहेंगी जब तक कि उन्हें विवादित या सरकारी भूमि के रूप में पहचाना न जाए।
कलेक्टर की भूमिका:
- विधेयक के 2024 संस्करण में कलेक्टर (जिला मजिस्ट्रेट) को वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण करने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया था।
- लेकिन जेपीसी की सिफारिशों के बाद, संशोधित विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि कलेक्टर से ऊपर के रैंक का एक सरकारी अधिकारी वक्फ के रूप में दावा की गई सरकारी संपत्तियों की जांच करेगा, जिससे अनुचित दावों को रोका जा सके।
इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही दान दे सकता है:
पुराने कानून के अनुसार “कोई भी व्यक्ति, जिसकी कोई चल या अचल संपत्ति हो” शब्दों के स्थान पर, संशोधित संस्करण में, “कोई भी व्यक्ति जो यह दर्शाता या प्रदर्शित करता है कि वह कम से कम पाँच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है, जिसके पास कोई चल या अचल संपत्ति हो, ऐसी संपत्ति का स्वामित्व हो और ऐसी संपत्ति के समर्पण में कोई साजिश शामिल न हो” दान कर सकता है।
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