‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ क्या होते हैं, भारत में ऐसे बांडों की मांग कमजोर क्यों है?
परिचय:
- भारत ने भी कई उभरते बाजारों की तरह कम कार्बन अर्थव्यवस्था में अपने संक्रमण को वित्तपोषित करने के लिए ‘सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड’ की ओर रुख किया, लेकिन निवेशकों की मांग कमजोर बनी हुई है।
- जबकि ग्रीन बॉन्ड सरकारों को स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के लिए पूंजी जुटाने में मदद करते हैं, भारत ने एक सार्थक ‘ग्रीनियम’ – आमतौर पर ऐसे बॉन्ड से जुड़ी कम उधारी लागत – हासिल करने के लिए संघर्ष किया है। नतीजतन, ग्रिड-स्केल सोलर सहित प्रमुख योजनाओं के लिए नियोजित आवंटन में कटौती की गई है।
ग्रीन बॉन्ड एवं सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड क्या होते हैं?
- ग्रीन बॉन्ड विभिन्न सरकारों, निगमों और बहुपक्षीय बैंकों द्वारा कार्बन उत्सर्जन को कम करने या जलवायु लचीलापन बढ़ाने वाली परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए जारी किए गए ऋण साधन हैं। वहीं सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGrB) वे ग्रीन बॉन्ड होते हैं जो भारत सरकार जैसी संप्रभु संस्थाओं द्वारा जारी किए जाते हैं।
- बॉन्ड जारीकर्ता आम तौर पर पारंपरिक बॉन्ड की तुलना में कम यील्ड (रिटर्न) पर ग्रीन बॉन्ड की पेशकश करते हैं, क्योंकि इसके जरिये निवेशकों को आश्वस्त करते हैं कि बांड से प्राप्त राशि का उपयोग विशेष रूप से ‘ग्रीन निवेश’ के लिए किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि बॉन्ड यील्ड (रिटर्न) में यह अंतर – जिसे ‘ग्रीन प्रीमियम या ग्रीनियम’ के रूप में जाना जाता है – ग्रीन बॉन्ड के लागत लाभ को निर्धारित करता है। एक उच्च ग्रीनियम जारीकर्ताओं को कम लागत पर धन जुटाने की अनुमति देता है, जिससे ग्रीन निवेश अधिक आकर्षक हो जाता है।
- ग्रीन बॉन्ड ने निवेश करने वाले अक्सर सतत, दीर्घकालिक रिटर्न चाहते हैं, और उनके पास अपने फंड का एक हिस्सा ग्रीन फाइनेंसिंग के लिए आवंटित करने के लिए आंतरिक या बाहरी जनादेश भी हो सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा ‘सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड’ क्यों जारी किया जाता है?
- भारत सरकार ने 2022 में ‘सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड’ जारी करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। यह रूपरेखा “ग्रीन प्रोजेक्ट्स” को उन परियोजनाओं के रूप में परिभाषित करती है जो संसाधन उपयोग में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहित करती हैं, कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं, जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देती हैं और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करती हैं।
- वित्त वर्ष 2022-23 से, भारत ने आठ बार सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए हैं, और लगभग 53,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। प्रत्येक वर्ष, भारत सरकार सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से प्राप्त आय का लगभग 50% रेल मंत्रालय के माध्यम से ऊर्जा कुशल तीन-चरण इलेक्ट्रिक इंजनों के उत्पादन को निधि देने के लिए उपयोग करती है।
- वर्ष 2024-25 के लिए, सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड के तहत पात्र योजनाओं के लिए आवंटन के संशोधित अनुमानों में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव विनिर्माण के लिए 12,600 करोड़ रुपये, मेट्रो परियोजनाओं के लिए लगभग 8,000 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन सहित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 4,607 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय हरित भारत मिशन के तहत वनरोपण के लिए 124 करोड़ रुपये शामिल हैं।
भारत में ‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ को लेकर निवेशक उत्साहित क्यों नहीं हैं?
- उल्लेखनीय है कि भारत के ‘सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड’ इश्यू को निवेशकों की कम मांग के कारण गति प्राप्त करने में संघर्ष करना पड़ा है, जिससे सरकार के लिए ‘ग्रीनियम’ हासिल करना मुश्किल हो गया है। विदेशी निवेशकों के लिए नियमों को आसान बनाने सहित प्रयासों के बावजूद, नीलामी में सीमित भागीदारी देखी गई है, जिसमें बॉन्ड अक्सर प्राथमिक डीलरों को हस्तांतरित हो जाते हैं। जबकि वैश्विक स्तर पर ग्रीनियम 7-8 आधार अंकों तक पहुँच गया है, भारत में यह अक्सर केवल 2-3 आधार अंकों पर होता है। यह ‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ के व्यवहार्य फंडिंग स्रोत के रूप में विस्तार को सीमित करता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार इससे जुड़ी एक प्रमुख चुनौती तरलता है। इन बांडों के छोटे इश्यू आकार और निवेशकों के लिए परिपक्वता तक बॉन्ड रखने की बाध्यता ने द्वितीयक बाजार में इनके व्यापार को रोक दिया है, जिससे उनकी अपील कम हो गई है। इसके अतिरिक्त, भारत में सामाजिक प्रभाव निधि और जिम्मेदार निवेश जनादेश के एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव है, जो अन्य बाजारों में ग्रीन बॉन्ड की मांग को बढ़ाता है।
‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ को लेकर कम उत्साह मायने क्यों रखता है?
- उल्लेखनीय है कि ‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ से पर्याप्त आय जुटाने में सरकार की असमर्थता इसके तहत पात्र योजनाओं के लिए वित्त पोषण को प्रभावित करती है और कमी को पूरा करने के लिए राजकोष पर दबाव बढ़ाती है।
- शुरुआत में, 2024-25 के लिए ‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ आय से अनुमानित वित्त पोषण की आवश्यकता 32,061 करोड़ रुपये थी। हालांकि, ‘सॉवरेन ग्रीन बांड’ को बेचने के असफल प्रयासों के बाद, संशोधित अनुमान को घटाकर 25,298 करोड़ रुपये कर दिया गया है। नतीजतन, ग्रिड-स्केल सौर परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए आवंटन 10,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,300 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
- वहीं चालू वित्त वर्ष में अपेक्षित आय में कमी को पूरा करने के लिए, सरकार के सामान्य राजस्व से लगभग 3,600 करोड़ रुपये निकाले जाएंगे।
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