प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सह-अध्यक्षता किये जाने वाले ‘पेरिस एआई शिखर सम्मेलन’ के एजेंडे में क्या है?
चर्चा में क्यों है?
- वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विनियमन के मुद्दे पर विभिन्न देशों के नीति निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है की AI शक्ति का लाभ कैसे उठाया जाए और इसके जोखिमों को कैसे कम किया जाए।
- उल्लेखनीय है कि AI पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किए बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नियामक निगरानी कैसे विकसित की जाए, इस पर बढ़ती चिंताओं के बीच, दुनिया भर के शीर्ष नेता 10 -11 फरवरी को पेरिस में दो दिवसीय AI एक्शन समिट के लिए एकत्रित होने वाले हैं।
पेरिस एआई शिखर सम्मेलन क्या है?
- पेरिस शिखर सम्मेलन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पहल है। यह वैश्विक एआई शासन, नवाचार और व्यापक सार्वजनिक हित की सेवा के तरीकों के व्यापक एजेंडे पर केंद्रित है।
- उल्लेखनीय है कि पेरिस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एआई बाजार में शक्ति के बढ़ते संकेंद्रण को संबोधित करना है, विशेष रूप से कुछ कंपनियों – माइक्रोसॉफ्ट, अल्फाबेट, अमेज़ॅन और मेटा के स्वामित्व वाले मूलभूत मॉडल के संबंध में।
पेरिस एआई शिखर सम्मेलन के एजेंडे में क्या है?
- पेरिस शिखर सम्मेलन, “नैतिक, टिकाऊ और समावेशी एआई” की वकालत करता है, और शिखर सम्मेलन को निम्नलिखित पांच “प्रमुख धुरियों” के आसपास संरचित करने का प्रयत्न करेगा:
- ‘सामान्य हित’ की सेवा में एआई
- काम का भविष्य
- विश्वसनीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता
- नवाचार और संस्कृति
- एआई का वैश्विक शासन
पेरिस शिखर सम्मेलन के आयोजन की पृष्ठभूमि:
- पेरिस शिखर सम्मेलन, यूरोप के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शक्तिशाली एआई के विकास को अब अमेरिका की प्रमुख तकनीकी कंपनियों और चीन की राज्य शक्ति के बीच एक दौड़ के रूप में देखा जा रहा है।
- यूरोपीय सेंट्रल बैंक के पूर्व अध्यक्ष मारियो ड्रैगी के अनुसार लालफीताशाही और विभिन्न कानून यूरोपीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र को इस AI क्षेत्र में अमेरिका और चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने से रोकते हैं। पेरिस शिखर सम्मेलन इसी पृष्ठभूमि में है।
- उल्लेखनीय है कि यह शिखर सम्मेलन अमेरिका की ‘स्टारगेट परियोजना’ की घोषणा के तुरंत बाद हो रहा है, जिसमें दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनियां अमेरिका में एआई बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए एक साथ आ रहे हैं।
- लेकिन प्रमुख चुनौती चीन की तरफ से आने वाली है, क्योंकि चीन की प्रगति को विफल करने के अमेरिकी प्रयासों के बावजूद चीन द्वारा एआई में आश्चर्यजनक प्रगति की गई है।
- हाल ही में एक चीनी कंपनी ने एक नया बड़ा भाषा मॉडल (LLM), ‘डीपसीक’ प्रदर्शित किया है। यह एक आधारभूत AI मॉडल है जिसे गणित, कोडिंग और तर्क बेंचमार्क में OpenAI के नए o1 ‘तर्क मॉडल’ के लगभग बराबर बताया जा रहा है। चीन के द्वारा जारी किए गए इस मॉडल ने दिखाया है कि AI मॉडल को प्रशिक्षित करना पहले जितना महंगा प्रयास नहीं हो सकता है, क्योंकि यह मॉडल OpenAI और Google जैसी कंपनियों की तुलना में बहुत कम लागत में संभव है।
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