लोकसभा की कार्य प्रक्रिया में ‘गुप्त बैठक’ का प्रावधान क्या होता है?
परिचय:
- संसद के निचले सदन लोकसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण संसद टीवी पर किया जाता है। लेकिन भारत के संविधान में आवश्यकता पड़ने पर लोकसभा की ‘गुप्त बैठक’ आयोजित करने का प्रावधान किया गया है। सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक आयोजित करने का प्रावधान है।
- उल्लेखनीय है कि लोकसभा में ‘गुप्त बैठक’ का प्रावधान सरकार को संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति देता है। हालांकि, इस प्रावधान का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है।
लोकसभा में ‘गुप्त बैठक’ का प्रावधान क्या है?
- उल्लेखनीय है कि लोकसभा की गुप्त बैठक से संबंधित प्रावधान लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के अध्याय XXV के नियम 248-252 में दिए गए हैं।
- नियम 248 के उपखण्ड एक के अनुसार, सदन के नेता के अनुरोध पर अध्यक्ष सदन की गुप्त बैठक के लिए एक दिन या उसका एक भाग निश्चित करेंगे। जब सदन गुप्त रूप से बैठेगा तो किसी भी अजनबी को चैंबर, लॉबी या गैलरी में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ऐसी बैठकों के दौरान अनुमति दी जाएगी।
- गुप्त सत्र के दौरान सदन के सदस्यों या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति की अनुमति तभी दी जाती है जब उसे सदन के अध्यक्ष द्वारा विधिवत अधिकृत किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि संसद और विधानमंडल की गुप्त बैठकें आयोजित करने की प्रथा भारत द्वारा ब्रिटेन से अपनाई गई अवधारणा है। ब्रिटिश संसद ने वर्ष 1916 में हाउस ऑफ कॉमन्स की गुप्त बैठक की शुरुआत की थी।
क्या भारत ने कभी लोकसभा की गुप्त बैठक आयोजित की है?
- उल्लेखनीय है कि सरकार को संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए लोकसभा की “गुप्त बैठक” बुलाने की अनुमति देने वाले नियमों का अब तक उपयोग नहीं किया गया है।
- हालांकि, भारत ने लोकसभा की “गुप्त बैठक” आयोजित करने के सबसे करीब 1962 में सीमा पर चीनी आक्रमण के दौरान आया था, जब विपक्षी सांसदों में से कुछ ने सदन की गुप्त बैठक बुलाकर इस मामले पर चर्चा करने का विचार रखा। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जनता को सदन की कार्यवाही पता होनी चाहिए।
- संवैधानिक विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि सदन की गुप्त बैठक बुलाने का “कोई अवसर” नहीं आया है। उन्होंने कहा कि 1962 में चीन-भारत संघर्ष के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए गुप्त बैठक का प्रस्ताव रखा था।
कोई भी कार्यवाही का ब्यौरा नहीं रख सकता:
- लोकसभा की गुप्त बैठक के नियमों में से एक यह है कि अध्यक्ष यह निर्देश दे सकता है कि गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट उस तरीके से जारी की जाए जैसा अध्यक्ष उचित समझे।
- नियमों में कहा गया है, “लेकिन कोई भी अन्य उपस्थित व्यक्ति गुप्त बैठक की किसी भी कार्यवाही या निर्णय का नोट या रिकॉर्ड नहीं रखेगा, चाहे वह आंशिक हो या पूर्ण, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा या उसका वर्णन करने का दावा नहीं करेगा”।
- उल्लेखनीय है कि नियमों में यह भी कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से गुप्त कार्यवाही या बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का खुलासा करना “सदन के विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन” माना जाएगा।
क्या कार्यवाही के विवरण कभी उजागर हो सकते हैं?
- जब यह माना जाता है कि किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता नहीं रह गई है, तब अध्यक्ष की सहमति से सदन का नेता या कोई अधिकृत सदस्य प्रस्ताव पेश कर सकता है कि ऐसी बैठक के दौरान की कार्यवाही को अब गुप्त नहीं माना जाए।
- यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो महासचिव “गुप्त बैठक” के दौरान कार्यवाही की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसे जल्द से जल्द प्रकाशित करेंगे।
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