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केंद्र सरकार की कृषि क्षेत्र के लिए किये गए प्रयास की बदौलत रबी फसलों के रकबे में बड़े पैमाने पर वृद्धि

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केंद्र सरकार की कृषि क्षेत्र के लिए किये गए प्रयास की बदौलत रबी फसलों के रकबे में बड़े पैमाने पर वृद्धि

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भारतीय किसानों और कृषि की सहायता करने का हरसंभव प्रयास कर रही है
  • इन प्रयासों में गुणवत्तापूर्ण बीजों की आपूर्ति, इनपुट, ऋण उपलब्धता, फसल बीमा सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप इस वर्ष रबी फसलों के रकबे में बड़े पैमाने में वृद्धि हुई है।
  • रबी फसलों की बुवाई की निगरानी से पता चलता है कि 09-12-2022 तक रबी फसलों की बुवाई का रकबा 457.80 से बढ़कर 526,27 लाख हेक्टेयर हो गया है
  • 68.47 लाख हेक्टेयर का यह अंतर वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में 15% अधिक है।

  • रकबे में वृद्धि सभी फसलों में हुई है; लेकिन सबसे ज्यादा वृद्धि गेहूं (51.85 लाख हेक्टेयर) में देखने को मिली है, जो 203.91 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 255.76 लाख हेक्टेयर हो गया है।
  • रबी सीजन में गेहूं के बाद तिलहन के रकबे में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। तिलहन की खेती का रकबा वर्ष 2021-22 के 87.65 लाख हेक्टेयर से 7.55 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस साल 95.19 लाख हेक्टेयर हो गया है। तिलहन के रकबे में हुई 7.55 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से अकेले रेपसीड और सरसों के रकबे में 7.17 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई।
  • सका कारण पिछले 2 वर्षों से लागू किया जा रहा विशेष सरसों मिशन है, जिसके तहत रेपसीड और सरसों का रकबा 2019-20 में 68.56 से 17% बढ़कर 2021-22 में 80.58 लाख हेक्टेयर हो गया।
  • उल्लेखनीय है कि रबी 2022-23 के दौरान, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तिलहन के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज क्षमता वाले 26.50 लाख एचवाईवी बीज मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए।
  • दलहन का रकबा 3.30 लाख हेक्टेयर वृद्धि के साथ 123.77 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 127.07 लाख हेक्टेयर हो गया
  • उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत एनएफएसएम ‘टीएमयू 370’ के नाम से विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसका द्देश्य अच्छे बीज और तकनीकी हस्तक्षेपों के अभाव के कारण दालों की राज्य औसत से कम उपज वाले जिलों की उत्पादकता बढ़ाना था। जिलों में फसल के फैलाव और उत्पादकता के आधार पर 370 जिलों पर अरहर, मसूर और उड़द (टीएमयू) की खेती के लिए केंद्रित किया गया। खरीफ के दौरान 19.99 लाख क्विंटल और रबी सीजन के दौरान 4.54 लाख क्विंटल के एचवाईवी बीज मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए।
  • मोटे सह पोषक अनाजों की खेती के रकबे में 4.34 लाख हेक्टेयर की वृद्धि देखी गई। वर्ष 2021-22 में 32.05 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष अब तक का कवरेज 36.39 लाख हेक्टेयर है। यह एक शुभ संकेत है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (IYOM) घोषित करने का प्रस्‍ताव पारित किया है, जिसका पेशकश भारत द्वारा खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) को की गई थी।
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