केन्द्रीय वित्त मंत्री ने ‘वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC)’ की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की:
- केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 8 मई को वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की।
- परिषद की बैठक के दौरान, इस बारे में चर्चा की गई कि न केवल वित्तीय सुविधाओं तक जनता की पहुंच बढ़ाने बल्कि उनकी समग्र आर्थिक बेहतरी के लिये वित्तीय क्षेत्र को और विकसित बनाने के वास्ते जिन नीतिगत और विधायी सुधार उपायों की जरूरत है उन्हें जल्द से जल्द तैयार और अमल में लाया जाना चाहिये।
वित्त मंत्री की इस मौके पर सलाह:
- नियामकों को लगातार निगरानी रखनी चाहिये क्योंकि ‘वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करना नियामकों की साझा जिम्मेदारी है’।
- नियामकों को अनुपालन बोझ और कम करने तथा कारगर एवं सक्षम नियामकीय परिवेश सुनिश्चित करने के वास्ते केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
- साइबर–हमले, संवेदनशील वित्तीय आंकड़ों की सुरक्षा और प्रणाली की समग्रता बनाये रखने के लिये नियामकों को सक्रिय रहने और सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली की साइबर– सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करने की जरूरत है ताकि समूचे भारतीय वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और लोचशीलता का बचाव किया जा सके।
- नियामकों को सभी वित्तीय कार्यक्षेत्रों जैसे कि बैंक जमा, शेयर और लाभांश, म्युचुअल फंड, बीमा आदि में पड़ी बिना दावे वाली राशि की निपटान सुविधा के लिये विशेष अभियान चलाना चाहिये।
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC):
- वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की स्थापना सरकार द्वारा वित्तीय बाजार नियामकों के परामर्श से वित्त मंत्रालय के तहत एक गैर–सांविधिक शीर्ष परिषद के रूप में वर्ष 2010 में एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया।
- इसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना, अंतर–नियामक समन्वय को बढ़ाना और वित्तीय क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए तंत्र को मजबूत करना और इसे संस्थागत बनाना है।
- नियामकों की स्वायत्तता के पूर्वाग्रह के बिना यह परिषद बड़े वित्तीय समूहों के कामकाज सहित अर्थव्यवस्था के विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण की निगरानी करती है और अंतर–नियामक समन्वय और वित्तीय क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर विचार करती है। यह वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेशन का भी ध्यान रखती है।