किसान हित के अनुरूप फसल बीमा योजना में होगा बदलाव, ज्यादा से ज्यादा लोगों को दायरे में लाने का उद्देश्य
- वर्ल्ड इकोनामिक फोरम ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट, 2022 में आगामी दशक को मौसम के हिसाब से बेहद नाजुक करार दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों के चलते मौसम में अचानक परिवर्तन हो सकता है, जो हमारी खेती के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
- किसानों को इस संकट से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन करने की तैयारी है।
- रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने फसल बीमा योजना को हर किसान के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि फसल की बुआई से लेकर फसल तैयार होने और खलिहान तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया को योजना का कवर दिया जा रहा है।
- किसानों की लगातार उठती मांग पर योजना को ऋण लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य बनाने की जगह इसे स्वैच्छिक किया गया है। साथ ही कर्ज नहीं लेने वाले किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
- कुछ राज्यों में इसके क्षतिपूर्ति मॉडल पर एतराज जताया जा रहा है, जिसकी समीक्षा की जा रही है।
- योजना में फसल क्षति की सूचना देने का समय 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दिया गया है।
- फसलों पर वन्यजीवों के हमले के बारे में स्वेच्छा से पंजीकरण कराने और उसे शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
- इसके बावजूद कुछ राज्यों ने योजना में खामियां गिनाते हुए इसे स्वीकार करने से मना कर दिया है। हालांकि आंध्र प्रदेश ने किए गए बदलावों से संतुष्ट होकर योजना में शामिल होने की सहमति दे दी है।