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National Intellectual Property Awareness Mission (NIPAM)

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National Intellectual Property Awareness Mission (NIPAM)

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (National Intellectual Property Awareness Mission – NIPAM) 8 दिसंबर, 2021 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बौद्धिक संपदा कार्यालय और पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक (CGPDTM) के कार्यालय के सहयोग से शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत बौद्धिक संपदा (Intellectual Property – IP) पर जागरूकता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस योजना ने 15 अगस्त, 2022 की समय सीमा से पहले 31 जुलाई, 2022 को दस लाख छात्रों को प्रशिक्षित करने के अपने लक्ष्य को पूरा कर लिया है।

मुख्य बिंदु

  • बौद्धिक संपदा पर प्रशिक्षित छात्रों या शिक्षकों सहित प्रतिभागियों की संख्या 10,05,272 है।
  • 3662 शिक्षण संस्थानों को कवर किया गया है।

बौद्धिक संपदा जागरूकता

  • केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आजादी का अमृत महोत्सव के अनुरूप बौद्धिक संपदा जागरूकता बढ़ाने का आदेश दिया है।
  • बौद्धिक संपदा नवोन्मेष और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है।
  • यह आविष्कारकों, कलाकारों और लेखकों को प्रोत्साहित करती है, साथ ही अनुसंधान और विकास की स्थिरता सुनिश्चित करती है।

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन दो स्तरों में छात्रों को लक्षित करता है:

  1. लेवल – इसमें कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्कूली छात्र शामिल हैं।
  2. लेवल बी – इसमें विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के छात्र शामिल हैं।

यह कार्यक्रम नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, और इस प्रकार समाज के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में योगदान देता है। यह पूरे भारत में दस लाख छात्रों के बीच बौद्धिक संपदा पर जागरूकता बढ़ाकर एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने का प्रयास करता है।

क्या है बौद्धिक संपदा अधिकार?

  • व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
  • बौद्धिक संपदा से अभिप्राय है- नैतिक और वाणिज्यिक रूप से मूल्यवान बौद्धिक सृजन। बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान किये जाने का यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिये कि अमुक बौद्धिक सृजन पर केवल और केवल उसके सृजनकर्त्ता का सदा-सर्वदा के लिये अधिकार हो जाएगा। यहाँ पर ये बताना आवश्यक है कि बौद्धिक संपदा अधिकार एक निश्चित समयावधि और एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र के मद्देनज़र दिये जाते हैं।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार दिये जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह आवश्यक समझा गया कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की व्यवस्था की जाए।

बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रकार

  • कॉपीराइट
    • कॉपीराइट अधिकार के अंतर्गत किताबें, चित्रकला, मूर्तिकला, सिनेमा, संगीत, कंप्यूटर प्रोग्राम, डाटाबेस, विज्ञापन, मानचित्र और तकनीकी चित्रांकन को सम्मिलित किया जाता है।
    • कॉपीराइट के अंतर्गत दो प्रकार के अधिकार दिये जाते हैं: (क) आर्थिक अधिकार: इसके तहत व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति द्वारा उसकी कृति का उपयोग करने के बदले वित्तीय पारितोषिक दिया जाता है। (ख) नैतिक अधिकार: इसके तहत लेखक/रचनाकार के गैर-आर्थिक हितों का संरक्षण किया जाता है।
    • कॉपीलेफ्ट: इसके अंतर्गत कृतित्व की पुनः रचना करने, उसे अपनाने या वितरित करने की अनुमति दी जाती है तथा इस कार्य के लिये लेखक/रचनाकार द्वारा लाइसेंस दिया जाता है।
  • पेटेंट
    • जब कोई आविष्कार होता है तब आविष्कारकर्त्ता को उसके लिये दिया जाने वाला अनन्य अधिकार पेटेंट कहलाता है। एक बार पेटेंट अधिकार मिलने पर इसकी अवधि पेटेंट दर्ज़ की तिथि से 20 वर्षों के लिये होती है।
    • आविष्कार पूरे विश्व में कहीं भी सार्वजनिक न हुआ हो, आविष्कार ऐसा हो जो पहले से ही उपलब्ध किसी उत्पाद या प्रक्रिया में प्रगति को इंगित न कर रहा हो तथा वह आविष्कार व्यावहारिक अनुप्रयोग के योग्य होना चाहिये, ये सभी मानदंड पेटेंट करवाने हेतु आवश्यक हैं।
    • ऐसे आविष्कार (जो आक्रामक, अनैतिक या असामाजिक छवि को उकसाते हों तथा ऐसे आविष्कार जो मानव या जीव-जंतुओं में रोगों के लक्षण जानने के लिये प्रयुक्त होते हों) को पेटेंट का दर्जा नहीं मिलेगा।
  • ट्रेडमार्क
    • एक ऐसा चिन्ह जिससे किसी एक उद्यम की वस्तुओं और सेवाओं को दूसरे उद्यम की वस्तुओं और सेवाओं से पृथक किया जा सके, ट्रेडमार्क कहलाता है।
    • ट्रेडमार्क एक शब्द या शब्दों के समूह, अक्षरों या संख्याओं के समूह के रूप में हो सकता है। यह चित्र, चिन्ह, त्रिविमीय चिन्ह जैसे संगीतमय ध्वनि या विशिष्ट प्रकार के रंग के रूप में हो सकता है।
  • औद्योगिक डिज़ाइन
    • भारत में डिज़ाइन अधिनियम, 2000 के अनुसार, ‘डिज़ाइन’ से अभिप्राय है- आकार, अनुक्रम, विन्यास, प्रारूप या अलंकरण, रेखाओं या वर्णों का संघटन जिसे किसी ऐसी वस्तु पर प्रयुक्त किया जाए जो या तो द्वितीय रूप में या त्रिविमीय रूप में अथवा दोनों में हो।
  • भौगोलिक संकेतक
    • भौगोलिक संकेतक से अभिप्राय उत्पादों पर प्रयुक्त चिह्न से है। इन उत्पादों का विशिष्ट भौगोलिक मूल स्थान होता है और उस मूल स्थान से संबद्ध होने के कारण ही इनमें विशिष्ट गुणवत्ता पाई जाती है।
    • विभिन्न कृषि उत्पादों, खाद्य पदार्थों, मदिरापेय, हस्तशिल्प को भौगोलिक संकेतक का दर्जा दिया जाता है। तिरुपति के लड्डू, कश्मीरी केसर, कश्मीरी पश्मीना आदि भौगोलिक संकेतक के कुछ उदाहरण हैं।
    • भारत में वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक अधिनियम, 1999 बनाया गया है। यह अधिनियम वर्ष 2003 से लागू हुआ। इस अधिनियम के आधार पर भौगोलिक संकेतक टैग यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत उपयोगकर्त्ता के अतिरिक्त अन्य कोई भी उस प्रचलित उत्पाद के नाम का उपयोग नहीं कर सकता है। वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई ‘उस्ताद योजना’ के माध्यम से शिल्पकारों के परंपरागत कौशल का उन्नयन किया जाएगा। उदाहरण के लिये बनारसी साड़ी एक भौगोलिक संकेतक है। अतः उस्ताद योजना से जुड़े बनारसी साड़ी के शिल्पकारों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की अपेक्षा की जा सकती है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन

  • यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुराने अभिकरणों में से एक है।
  • इसका गठन वर्ष 1967 में रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और विश्व में बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य बन सकते हैं, लेकिन यह बाध्यकारी नहीं है।
  • वर्तमान में 193 देश इस संगठन के सदस्य हैं।
  • भारत वर्ष 1975 में इस संगठन का सदस्य बना था।

SOURCE-THE HINDU

PAPER-G.S.3

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