राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच समान नागरिक संहिता विधेयक पेश
- भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने 9 दिसंबर को राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच समान नागरिक संहिता निजी विधेयक पेश किया। इसका विपक्ष ने विरोध किया। विधेयक को चर्चा के लिए स्वीकार करने के लिए हुए मतदान में पक्ष में 63 तो विपक्ष में 23 मत पड़े।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) क्या है?
- समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक कानून सुनिश्चित करेगी, जो सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति, विवाह, विरासत और गोद लेने आदि में लागू होगा।
- इसका मतलब यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम (1937) जैसे धर्म पर आधारित मौजूदा व्यक्तिगत कानून तकनीकी रूप से भंग हो जाएंगे।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के मुताबिक, ‘राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।‘ यानी संविधान सरकार को सभी समुदायों को उन मामलों पर एक साथ लाने का निर्देश दे रहा है, जो वर्तमान में उनके संबंधित व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित हैं।
- हालांकि, यह राज्य की नीति का एक निर्देशक सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि न्यायालयों के द्वारा लागू करने योग्य नहीं है।
- उल्लेखनीय है कि समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा लंबे समय से बहस का केंद्र रहा है। भाजपा के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी यह शामिल था।
- अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। डा. बीआर आंबेडकर ने संविधान तैयार करते समय कहा था कि समान नागरिक संहिता वांछनीय है, लेकिन फिलहाल यह स्वैच्छिक रहना चाहिए।