सुप्रीम कोर्ट की दो–टूक; अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक सुविधा है, अधिकार नहीं
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाल के एक फैसले में कहा है कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक सुविधा है, अधिकार नहीं। इस तरह रोजगार प्रदान करने का उद्देश्य प्रभावित परिवार को अचानक आए संकट से उबरने में सक्षम बनाना होता है।
- शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते केरल हाई कोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें उसने एकल पीठ के फैसले को सही ठहराया था।
- हाई कोर्ट की एकलपीठ ने फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स ट्रावनकोर लिमिटेड और अन्य को एक महिला को अनुकंपा के आधार पर नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
- जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि ‘कर्मचारी की मृत्यु के 24 वर्ष बाद प्रतिवादी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की अधिकारी नहीं होगी।‘
सम्बंधित संवैधानिक प्रावधान:
- अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा स्पष्ट किए गए कानून के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत सभी उम्मीदवारों को सभी सरकारी रिक्तियों के लिए समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
- संविधान का अनुच्छेद 14 कानून के सामने समानता है और अनुच्छेद 16 सरकारी रोजगार के मामलों में अवसर की समानता से संबंधित हैं।
- पीठ ने 30 सितंबर 2022 के अपने आदेश में कहा, “हालांकि, मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति इन मानदंडों का अपवाद है। अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत है और यह अधिकार नहीं है।”
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के “भारतीय संविधान–महत्वपूर्ण प्रावधान” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।