स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण-II के अंतर्गत 50 प्रतिशत गांव अब खुले में शौच मुक्त (ODF+):
- स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM-G) के अंतर्गत देश ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब देश के कुल गांवों में से आधे गांवों (50 प्रतिशत) ने मिशन के दूसरे चरण के अंतर्गत ने खुले में शौच मुक्त (स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण ) का दर्जा हासिल कर लिया है। अब तक 2.96 लाख से अधिक गांवों ने स्वयं को खुले में शौच मुक्त घोषित किया है।
- यह 2024-25 तक एसबीएम–जी चरण-II लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- खुले में शौच मुक्त गांव (ODF+) के अंतर्गत वे ग्रामीण क्षेत्र आते हैं जहां ठोस या तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के साथ–साथ अपनी खुले में शौच मुक्त स्थिति को बनाए रखा है।
- खुले में शौच मुक्त (ODF+) गांवों के प्रतिशत की दृष्टि से श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं:
- तेलंगाना (शत-प्रतिशत),
- कर्नाटक (99.5 प्रतिशत),
- तमिलनाडु (97.8 प्रतिशत)
- उत्तर प्रदेश (95.2 प्रतिशत)
- गोवा (95.3 प्रतिशत)
- सिक्किम (69.2 प्रतिशत)
- केंद्रशासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली और दमन दीव और लक्षद्वीप में शत– प्रतिशत खुले में शौच मुक्त आदर्श गांव हैं।
- वर्ष 2014-15 और 2021-22 के बीच, केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को कुल 83,938 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वर्ष 2023-24 52,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है।
- इन निधियों का उपयोग स्वच्छता संपत्तियों के निर्माण, व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के लिए किया गया है।
- इस साल स्वच्छ भारत मिशन के 9 साल पूरे हो गए हैं। खुले में शौच मुक्त गांवों ने 50 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की है यह स्वच्छता के क्षेत्र महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- यह सिर्फ शौचालयों के निर्माण और उपयोग से आगे बढ़कर पूर्ण और पूर्ण स्वच्छता यानी खुले में शौच मुक्त से, खुले में शौच मुक्त प्लस तक जा रहा है।
- खुले में शौच मुक्त स्थिति स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण–
- ग्रामीण, ठोस (जैव-निम्नीकरणीय) अपशिष्ट प्रबंधन,
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन,
- तरल अपशिष्ट प्रबंधन,
- मल कीचड़ प्रबंधन,
- गोबरधन,
- सूचना शिक्षा और संचार/व्यवहार परिवर्तन संचार और क्षमता निर्माण स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के चरण-II के प्रमुख घटक हैं।
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कार्यक्रम देश भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य और रहन–सहन को बेहतर बनाने में सहायक रहा है। पिछले कुछ वर्षों में आई कई रिपोर्टों में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कार्यक्रम के प्रभाव की प्रशंसा की गई है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का सकारात्मक प्रभाव:
- स्वच्छ भारत मिशन ने जीवन बचाया है। WHO के 2018 के रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2019 के बीच तुलना करने पर स्वच्छ भारत मिशन ने डायरिया से होने वाले तीन लाख मौत को बचाया है।
- स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण ने स्वच्छता एवं पोषण को बढ़ावा दिया है। बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के 2017 के रिपोर्ट के अनुसार “गैर ODF क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में वेस्टिंग की 58 प्रतिशत ज्यादा दर था”।
- स्वच्छता मिशन ने महिलाओं के सुरक्षा एवं गरिमा को बढ़ाया है। यूनिसेफ की 2017 के रिपोर्ट के अनुसार “घर में शौचालय बनने के बाद 96 प्रतिशत महिलाओं ने खुद को पहले से सुरक्षित महसूस किया है”।
- स्वच्छ भारत मिशन ने परिवारों के लिए आय भी कमाया है। यूनिसेफ की 2017 के रिपोर्ट के अनुसार “ODF गांव में स्वास्थ्य में सुधार के कारण औसत रूप से प्रत्येक परिवार का प्रतिवर्ष 50000 रुपये बचे है”।
- स्वच्छ भारत मिशन ने पर्यावरण को बचाया है। यूनिसेफ की 2019 के रिपोर्ट के अनुसार “ODF गांव में भूमिगत जल के प्रदूषण की दर पहले से 12.7 गुना कम हो गयी है”।