सोनप्रयाग-केदारनाथ, गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब जी रोपवे परियोजनाएं:
चर्चा में क्यों है?
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 मार्च को पर्वतमाला परियोजना के तहत सोनप्रयाग और केदारनाथ तथा गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब जी के बीच रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी। 12.9 किलोमीटर और 12.4 किलोमीटर रोपवे को क्रमशः 4,081.28 करोड़ रुपये और 2,730.13 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
- दोनों परियोजनाओं से निर्माण और संचालन के चरणों के साथ-साथ आतिथ्य, यात्रा, खाद्य और पेय पदार्थ, और पूरे वर्ष पर्यटन जैसे संबंधित पर्यटन क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
- उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि पर्वतमाला परियोजना या राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम के तहत सरकार ने 1.25 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की पहचान की है।
सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे परियोजना:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 मार्च को केदारनाथ रोपवे परियोजना को मंजूरी दी। कुल 12.9 किलोमीटर लंबे इस रोपवे पर करीब 4,081 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
- यह रोपवे परियोजना सोनप्रयाग से केदारनाथ तक होगी। इस परियोजना डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मोड पर विकसित किया जाएगा।
- रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक पर आधारित होगा, जिसकी डिजाइन क्षमता प्रति घंटे 1,800 यात्रियों की है और यह प्रतिदिन 18,000 यात्रियों को ले जा सकेगा।
- इस परियोजना से केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों को पर्यावरण के अनुकूल, आरामदायक और त्वरित यात्रा विकल्प प्रदान करके बहुत लाभ होने की उम्मीद है, जिससे यात्रा का समय एक दिशा में लगभग 8 से 9 घंटे से घटकर केवल 36 मिनट रह जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि केदारनाथ मंदिर की वर्तमान यात्रा में गौरीकुंड से 16 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई शामिल है, और प्रस्तावित रोपवे का उद्देश्य तीर्थयात्रियों के लिए एक सुविधाजनक विकल्प प्रदान करना और सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच हर मौसम में संपर्क सुनिश्चित करना है।
- केदारनाथ मंदिर:
- 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
- यह मंदिर हर साल अक्षय तृतीया से दिवाली तक लगभग 6 से 7 महीने तक सुलभ रहता है, इस अवधि के दौरान लगभग 20 लाख तीर्थयात्री आते हैं।
गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब जी रोपवे परियोजना:
- CCEA ने ‘डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT)’ मॉडल के तहत इस परियोजना को भी मंजूरी दी। इस रोपवे परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से विकसित किया जाएगा। 12.4 किलोमीटर लम्बी इस परियोजना का विकास कुल 2,730.13 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से किया जाएगा।
- यह गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब जी के बीच सभी मौसम में अंतिम मील की कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। प्रस्तावित रोपवे का उद्देश्य हेमकुंड साहिब जी आने वाले तीर्थयात्रियों और फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करना है। हेमकुंड साहिब जी की वर्तमान यात्रा में गोविंदघाट से 21 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई शामिल है।
- हेमकुंड साहिब जी:
- हेमकुंड साहिब जी उत्तराखंड के चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक पूजनीय तीर्थ स्थल है।
- इस स्थल पर स्थित गुरुद्वारा मई से सितंबर तक सालाना लगभग पांच महीने के लिए खुला रहता है, जिसमें हर साल 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री आते हैं।
- हेमकुंड साहिब जी की यात्रा फूलों की घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में भी काम करती है, जो गढ़वाल हिमालय में स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
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