भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ:
दोनों देशों के मध्य बधाई संदेशों का आदान-प्रदान:
- भारत और चीन के नेताओं, जिनमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री ली कियांग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं, ने 1 अप्रैल को द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संदेशों का आदान-प्रदान किया।
- चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय राष्ट्रपति को अपने बधाई संदेश में, भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को ‘ड्रैगन-हाथी टैंगो’ का रूप देने पर जोर दिया। उल्लेखनीय है कि 2020 के लद्दाख सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों को पुनः स्थापित करने के प्रयासों के बीच उनकी यह टिप्पणी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता:
- राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को सहयोग और संवाद को गहरा करने का अवसर बताया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी मजबूत करने, अंतरराष्ट्रीय मामलों में समन्वय बढ़ाने और सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने पर जोर दिया।
- राष्ट्रपति शी ने भारत और चीन को प्राचीन सभ्यताएं और ग्लोबल साउथ के प्रमुख विकासशील देश बताते हुए कहा कि दोनों राष्ट्र अपने आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण चरण में हैं और विश्व शांति व समृद्धि में योगदान देना चाहिए।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी स्थिर, पूर्वानुमानित और मैत्रीपूर्ण संबंधों की वकालत की, जिससे भारत, चीन और दुनिया को लाभ हो। उन्होंने इस वर्षगांठ को द्विपक्षीय संबंधों के मजबूत और स्थिर विकास को आगे बढ़ाने का अवसर बताया।
भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध: एक संक्षिप्त अवलोकन
- राजनयिक संबंधों की स्थापना (1950): भारत 1 अप्रैल, 1950 को चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला गैर-समाजवादी ब्लॉक देश बन गया।
- द्विपक्षीय संबंधों में प्रमुख घटनाक्रम:
- 1962 सीमा संघर्ष: संबंधों को एक बड़ा झटका।
- 1988: प्रधानमंत्री राजीव गांधी की यात्रा ने सुधार के एक नए चरण को चिह्नित किया।
- 2003: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा के कारण संबंधों के सिद्धांतों पर घोषणा हुई और सीमा समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की नियुक्ति हुई।
- 2005: प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की यात्रा के दौरान शांति और समृद्धि के लिए रणनीतिक और सहकारी साझेदारी की स्थापना।
- उच्च स्तरीय जुड़ाव (2014-2019):
- 2014: राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा ने संबंधों को एक करीबी विकासात्मक साझेदारी के रूप में फिर से परिभाषित किया।
- 2015: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा ने द्विपक्षीय वार्ता को मजबूत किया।
- पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन (वुहान, अप्रैल 2018)।
- दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन (चेन्नई, अक्टूबर 2019)।
- हाल की चुनौतियाँ: पूर्वी लद्दाख में 2020 LAC गतिरोध (गलवान संकट) ने द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। हालांकि तनाव कम करने और संबंधों को सामान्य बनाने के लिए प्रयास जारी हैं।
भारत-चीन के मध्य सीमा गतिरोध हल करने के लिए उच्च स्तरीय बैठकें:
- फरवरी 2025 में, चीन ने घोषणा की कि वह पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह बयान भारत द्वारा अक्टूबर 2024 में डेमचोक और देपसांग के दो घर्षण बिंदुओं पर चीन के साथ समझौते की पुष्टि के बाद आया, जिसमें सैनिकों की वापसी 2020 के गलवान संघर्ष के बाद उत्पन्न तनाव को कम करने का एक प्रयास था।
- उल्लेखनीय है कि द्विपक्षीय संबंध सुधारने के प्रयास में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान में मुलाकात की और संवाद तंत्रों को पुनर्जीवित करने पर सहमति जताई।
- इसके बाद, दिसंबर में बीजिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच 23वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता हुई, जिससे डी-एस्केलेशन प्रक्रिया को और मजबूती मिली।
- हाल ही में, 21 फरवरी 2025 को, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में G20 बैठक के दौरान वांग यी से मुलाकात की, जहां दोनों नेताओं ने भू-राजनीतिक चुनौतियों, बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक संघर्षों पर चर्चा की।
- विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, डी-एस्केलेशन योजना तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रही है।
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