तुंगभद्रा बांध का एक गेट बह गया:
चर्चा में क्यों है?
- 11 अगस्त की दोपहर को तुंगभद्रा नदी पर बने 71 साल पुराने बांध के 19वें शिखर द्वार के टूटने से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के लाखों लोगों को संभावित बाढ़ के लिए हाई अलर्ट पर रखा गया है। गेट टूटने से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के लाखों किसानों और ग्रामीणों को खतरा हो गया है।
- जल संसाधन विभाग ने बताया कि इस बांध में अचानक पानी का बहाव बढ़ने से यह गेट टूट गया। मरम्मत कार्य के लिए जलाशय में पानी का स्तर 105 टीएमसी से घटाकर 65-55 टीएमसी करना जरूरी है, जिसके कारण बांध से पानी को तेजी से निकला जा रहा है।
तुंगभद्रा बांध का क्या इतिहास है?
- उल्लेखनीय है कि तुंगभद्रा परियोजना, एक बहुराज्यीय परियोजना है, जिसका प्रशासन कर्नाटक सरकार द्वारा किया जाता है।
- मद्रास प्रेसीडेंसी के एक ब्रिटिश इंजीनियर सर आर्थर कॉटन ने 1860 में तुंगभद्रा बांध परियोजना की कल्पना की थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं प्रदान करना, बिजली पैदा करना और बाढ़ को नियंत्रित करना था।
- इस बांध का निर्माण 1949 में हैदराबाद साम्राज्य और मद्रास प्रेसीडेंसी के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में शुरू हुआ था, तथा यह परियोजना 1953 में पूरी हुई थी।
- यह बांध, जिसे पंपा सागर के नाम से भी जाना जाता है, होसपेट और कोप्पल कस्बों के पास तुंगभद्रा नदी पर स्थित है।
- उल्लेखनीय है कि केरल के मुल्लापेरियार बांध के साथ तुंगभद्रा बांध को भारत में केवल दो ऐसे जलाशय होने का अनूठा गौरव प्राप्त है, जो मिट्टी और चूना पत्थर सामग्री के संयोजन का उपयोग करके बनाए गए हैं।
तुंगभद्रा बांध क्यों महत्वपूर्ण है?
- तुंगभद्रा परियोजना कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के निवासियों को अनेक आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है।
- यह कृषि भूमि की सिंचाई में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जिससे 6.5 लाख हेक्टेयर में दो मौसमों में फसलों की खेती की सुविधा मिलती है।
- यह परियोजना जलविद्युत उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे आसपास के राज्यों की ऊर्जा आवश्यकताओं में योगदान मिलता है।
- यह बाढ़ के प्रबंधन और नियंत्रण में सहायता करता है, अत्यधिक जल प्रवाह से होने वाले संभावित नुकसान को कम करता है।
- उल्लेखनीय है कि तुंगभद्रा परियोजना स्थानीय आबादी के लिए पीने के पानी की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करती है, जिससे स्वच्छ और सुरक्षित जल संसाधनों तक उनकी पहुँच में सुधार होता है।
बांध के गेट टूटने का क्या कारण था?
- भारी बारिश के बाद बढ़ते पानी के दबाव ने कर्नाटक की तुंगभद्रा नदी पर बने पंपा सागर बांध का एक गेट उखाड़ दिया। नतीजतन, गेट से भारी मात्रा में पानी बाहर निकल रहा है।
- उल्लेखनीय है कि टूटे हुए गेट पर दबाव कम करने के लिए सभी 33 शिखर द्वार खोले गए। रविवार सुबह डिस्चार्ज बढ़कर एक लाख क्यूसेक हो गया।
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