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विकसित भारत की लक्ष्य प्राप्ति के पहले विकास इंजन के रूप में कृषि क्षेत्र:

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विकसित भारत की लक्ष्य प्राप्ति के पहले विकास इंजन के रूप में कृषि क्षेत्र:

विकसित भारत की लक्ष्य प्राप्ति यात्रा:

  • वित्त मंत्री में 2025-26 के अपने बजट भाषण में अर्थव्यवस्था के विकास यात्रा के गंतव्य के रूप में ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को स्वीकारा है। साथ ही वित्त मंत्री द्वारा ‘विकसित भारत’ को स्पष्ट करते हुए बताया की इसमें निम्नलिखित पहलू शामिल हैं:
    • गरीबी से मुक्ति;
    • शत प्रतिशत अच्छे स्तर की स्कूली शिक्षा;
    • बेहतरीन, सस्ती और सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच;
    • शत-प्रतिशत कुशल कामगार के साथ सार्थक रोजगार;
    • आर्थिक गतिविधियों में सत्तर प्रतिशत महिलाएं; और
    • देश को ‘फूड बास्केट ऑफ द वर्ल्ड’ बनाने वाले किसान।
  • वित्त मंत्री के अनुसार भारत की विकास की इस यात्रा के लिए:
    • हमारे चार शक्तिशाली इंजन है: कृषि, MSME, निवेश और निर्यात
    • ईंधन हैं: हमारे सुधार
    • हमारी मार्गदर्शक प्रेरणा है: समावेशिता
    • और लक्ष्य है: विकसित भारत।
  • ऐसे में देखा जाए तो वित्त मंत्री द्वारा भारत की विकास की इस यात्रा के लिए चार शक्तिशाली इंजनों में से पहला इंजन ‘कृषि क्षेत्र’ को बताया गया है, जिस पर बजट 2025-26 में सबसे पहले ध्यान दिया गया है।

कृषि और संबद्ध क्षेत्र: भविष्य का क्षेत्र

  • ‘कृषि और संबद्ध संबद्ध क्षेत्र’ लंबे समय से भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही हैं, जो राष्ट्रीय आय और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं।
  • इस क्षेत्र का वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान था और लगभग 46.1 प्रतिशत आबादी को रोजगार प्रदान किया।
  • इसका प्रदर्शन न केवल खाद्य सुरक्षा को सीधे प्रभावित करता है, बल्कि यह अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है, आजीविका को बनाए रखता है और आर्थिक विकास को समर्थन देता है।
  • हाल के वर्षों में, भारत में कृषि क्षेत्र ने मजबूत वृद्धि दर्शाई है, जो वित्त वर्ष 2016-17 से वित्त वर्ष 2022-23 तक सालाना औसतन 5 प्रतिशत रही है।
  • उल्लेखनीय है कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों का बढ़ता महत्व, किसानों की आय के स्तर को बढ़ाने और लचीलापन बनाने के लिए गतिविधियों और आय के स्रोतों में विविधता के महत्व को रेखांकित करता है।
  • इन पूरक क्षेत्रों का लाभ उठाकर, किसान राजस्व के अतिरिक्त स्रोत बना सकते हैं जो उन्हें पारंपरिक फसल उत्पादन की अंतर्निहित अस्थिरता से बचा सकते हैं।

बजट 2025-26 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र:

  • इस वर्ष के बजट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक योजनाओं का प्रावधान किया गया है। जिनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं एवं कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना:

  • भारत सरकार राज्यों की भागीदारी से ‘प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ का शुभारंभ करेगी। इस कार्यक्रम में कम उत्पादकता, कम फसलों की बुआई और औसत से कम ऋण मानदंडों वाले 100 जिलों को शामिल किया जाएगा।
  • इसका उद्देश्य: (1) संवर्धित कृषि उत्पादकता, (2) फसल विविधता और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना, (3) पंचायत और ब्लॉक स्तर पर फसल कटाई के बाद भंडारण बढ़ाना, (4) सिंचाई की सुविधाओं में सुधार करना, और (5) दीर्घ और लघु अवधि ऋण की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाना, आदि है।
  • इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को मदद मिलने की संभावना है।

‘ग्रामीण समृद्धि और अनुकूलन’ की योजना:

  • राज्यों के साथ साझेदारी में एक व्यापक बहु-क्षेत्रीय ‘ग्रामीण समृद्धि और अनुकूलन’ कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
  • यह ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करके, कृषि में रोजगार की समस्या को दूर करेगा। यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों, ग्रामीण युवाओं, सीमांत और छोटे किसानों और भूमिहीन परिवारों पर केंद्रित होगा।
  • उल्लेखनीय है कि इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संवृद्धि एवं रोजगार के अवसर पैदा करना है ताकि लोगों के लिए पलायन एक विकल्प हो, न कि अनिवार्यता हो। योजना के चरण-1 में 100 विकासशील कृषि-जिलों को शामिल किया जाएगा।

सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम:  

  • यह बात उत्साहवर्धक है कि लोग अपनी पोषण संबंधी आवश्यकताओं के बारे में लगातार जागरूक होते जा रहे हैं। यह समाज के स्वस्थ बनने की निशानी है। आय के स्तरों के बढ़ने के साथ, सब्जियों, फलों और श्रीअन्न का उपयोग अत्यधिक बढ़ रहा है।
  • ऐसे में सब्जियों और फलों के उत्पादन, प्रभावी आपूर्तियों, प्रसंस्करण और किसानों के लिए लाभकारी मूल्य को बढ़ावा देने के लिए राज्यों की भागीदारी से एक व्यापक कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा। इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए उपयुक्त संस्थानिक तंत्र स्थापित किया जाएगा और किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

बिहार में ‘मखाना बोर्ड’ का निर्माण:

  • देश में मखानों का उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन और विपणन में सुधार लाने के लिए बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा। इन कार्यकलापों में लगे लोगों को किसान उत्पादक संगठनों (FPO) में संगठित किया जाएगा।
  • यह बोर्ड मखाना किसानों को पथ-प्रदर्शन और प्रशिक्षण सहायता उपलब्ध कराएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कार्य करेगा कि उन्हें सभी संगत सरकारी योजनाओं के लाभ मिलें।

मत्स्य उद्योग को बढ़ावा:

  • भारत मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि के क्षेत्र में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, और समुद्री खाद्य निर्यात का मूल्य 60 हजार करोड़ रुपया है।
  • ऐसे में भारत सरकार समुद्री क्षेत्र की अप्रयुक्त संभावनाओं के द्वार खोलने के लिए, अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप जैसे द्वीपों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और गहरे समुद्रों से सतत मछली पकड़ने को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल फ्रेमवर्क लाएगी।

कपास उत्पादकता मिशन:

  • बजट में कपास उगाने वाले लाखों किसानों के लाभ के लिए ‘कपास उत्पादकता मिशन’ की घोषणा की गयी है।
  • पांच वर्षों के लिए संचालित इस मिशन से कपास खेती की उत्पादकता और वहनीयता में पर्याप्त सुधार लाने में मदद मिलेगी और कपास की अधिक लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सर्वोत्तम सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
  • इस मिशन से किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी और भारत के परंपरागत वस्त्र क्षेत्र में नई जान फूंकने के लिए गुणवत्तापूर्ण कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से अधिक ऋण:

  • देश भर में किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) से 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पकालिक ऋणों की सुविधा मिल रही है।
  • इस बजट में संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना के अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लिए जाने वाले ऋणों के लिए ऋण सीमा `3 लाख से बढ़ाकर `5 लाख कर दी गयी है।

असम में यूरिया संयंत्र की स्थापना:

  • यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भारत सरकार ने पूर्वी क्षेत्र में निष्क्रिय पड़े तीन यूरिया संयंत्रों में पुनः उत्पादन प्रारंभ किया है। यूरिया की आपूर्ति और अधिक बढ़ाने के लिए असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाला एक संयंत्र स्थापित किया जाएगा।

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