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नए कानून के तहत पहले मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति:

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नए कानून के तहत पहले मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति:

चर्चा में क्यों है?

  • चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने के लगभग एक साल बाद ज्ञानेश कुमार को, 17 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2023 में वर्णित नयी प्रक्रिया के तहत, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के पद पर नियुक्त किया गया है।
  • ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की घोषणा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले उच्च स्तरीय नियुक्त समिति द्वारा राजीव कुमार के उत्तराधिकारी के चयन करने के लिए की गई बैठक के कुछ घंटों बाद की गई, जो 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा, जिसके दौरान वे आयोग का नेतृत्व करेंगे, इस दौरान चुनाव आयोग 20 विधानसभा चुनाव, 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव तथा 2029 के लोकसभा चुनावों की तैयारी करेगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर विवाद:

  • मुख्य चुनाव आयुक्त में नेतृत्व के सुचारु परिवर्तन के बावजूद, ज्ञानेश कुमार की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति विवादों से अछूती नहीं रही।
  • विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया पर असंतोष व्यक्त किया और सरकार से आग्रह किया है कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन को नियंत्रित करने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार नहीं कर लेता, तब तक नियुक्ति को स्थगित रखा जाए।
  • उल्लेखनीय है कि यह नया कानून, सरकार के प्रतिनिधियों को चयन पर काफी नियंत्रण देता है, आलोचकों के बीच चिंता का विषय है, क्योंकि उन्हें डर है कि यह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।

पहले मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कैसे की जाती थी?

  • भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) एक तीन सदस्यीय निकाय है जिसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
  • इससे पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए संसद द्वारा कोई कानून पारित नहीं किया गया था। राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्तियाँ की जाती थीं।
  • परंपरागत रूप से, मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त का उत्तराधिकारी अगला सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त होता था। वरिष्ठता आमतौर पर इस आधार पर निर्धारित की जाती थी कि आयोग में पहले किसे नियुक्त किया गया था।

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2023 के प्रमुख प्रावधान:

  • इस कानून में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, वेतन और निष्कासन जैसे पहलू शामिल हैं।
  • राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक चयन समिति, जिसमें प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे, की सिफारिश के आधार पर करेंगे।
  • कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली एक खोज समिति, चयन समिति को नामों का एक पैनल प्रस्तावित करेगी, जिसमें पात्रता मानदंड के साथ उम्मीदवारों को केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष पद पर होना आवश्यक होगा।

निर्वाचन आयोग में नियुक्तियों को लेकर नया कानून क्यों लाया गया? 

  • उल्लेखनीय है कि यह अधिनियम सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद लाया गया है। इसके पीछे की वजह 2015 से 2022 के बीच दायर कई याचिकायें थी, जिसमें चुनाव आयुक्तों को चुनने में केंद्र सरकार की विशेष शक्तियों को चुनौती दी गई थी।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय में कहा था कि संविधान के संस्थापकों ने कभी भी निर्वाचन आयोग में नियुक्तियों को लेकर कार्यपालिका को विशेष नियुक्ति शक्तियां देने का इरादा नहीं किया था। निर्वाचन आयोग में नियुक्तियों को पूरी तरह से कार्यपालिका पर छोड़ने के “विनाशकारी प्रभाव” के बारे में चिंतित होकर, सर्वोच्च न्यायालय ने एक नई प्रक्रिया स्थापित की।
  • हालांकि नई प्रक्रिया तब तक लागू रहने वाली थी जब तक संसद नियुक्तियों के लिए कानून नहीं बना देती।
  • संसद ने आखिरकार दिसंबर 2023 में एक कानून बनाया, जिसके तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक शॉर्टलिस्ट पैनल और एक चयन समिति के माध्यम से करना अनिवार्य कर दिया गया। इस अधिनियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति के सदस्य के रूप में हटा दिया गया।

चुनाव आयोग में नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

  • सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 2 मार्च 2023 को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश वाली एक उच्च-शक्ति समिति को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ECs) का चुनाव करना चाहिए।

चुनौती क्या दी गयी थी?

  • संविधान के अनुच्छेद 324 (2) के अनुसार “चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की संख्या, यदि कोई हो, को राष्ट्रपति समय-समय पर तय कर सकते हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, संसद द्वारा इस संबंध में बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी“।
  • इस मामले में चुनौती यह थी कि उस समय तक चूंकि इस मुद्दे पर संसद द्वारा कोई कानून नहीं बनाया गया था, इसलिए न्यायालय को “संवैधानिक शून्य” को भरने के लिए कदम उठाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला किया?

  • मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्ष के नेता (विपक्ष का कोई नेता उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता) और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे”।
  • अदालत ने यह भी कहा, “यह निर्णय संसद द्वारा बनाए जाने वाले किसी भी कानून के अधीन होगा”। इसका मतलब यह है कि संसद इस मुद्दे पर एक नया कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव को समाप्त भी कर सकती है।

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI):

  • भारतीय निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत देश में संसद, राज्य विधानसभाओं, राज्य विधान परिषदों, भारत के राष्ट्रपति और भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव कराने और विनियमित करने के लिए की गई थी।
  • आयोग में तीन सदस्य हैं, और निर्णय बहुमत से किए जाते हैं।

 

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