भारतीय विदेश सचिव का वर्तमान बांग्लादेश का दौरा:
परिचय:
- भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री 9 दिसंबर को आधिकारिक यात्रा पर ढाका गए। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात की। उन्होंने बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीम उद्दीन के साथ वार्ता भी किया।
- उल्लेखनीय है कि अगस्त माह में प्रधानमंत्री शेख हसीना को विरोध प्रदर्शन के बाद सत्ता छोड़कर भारत आना पड़ा था, उसके बाद विदेश सचिव बांग्लादेश का दौरा करने वाले पहले उच्च पदस्थ भारतीय अधिकारी हैं। साथ ही यह दौरा बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के कार्यभार संभालने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट के समय हो रहा है।
विदेश सचिव के दौरे के दौरान वार्ता के प्रमुख बिन्दु:
- इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला।
- विदेश सचिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं और उन्होंने कहा कि भारत का विकास सहयोग और बांग्लादेश के साथ बहुआयामी जुड़ाव, जिसमें कनेक्टिविटी, व्यापार, बिजली, ऊर्जा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र शामिल हैं, सभी बांग्लादेश के लोगों के लाभ के लिए हैं।
- उन्होंने हाल ही में हुए कुछ घटनाक्रमों और मुद्दों पर भी चर्चा की और भारत की चिंताओं, खासकर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से जुड़ी चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ अफसोसजनक घटनाओं का भी जिक्र किया।
- विदेश सचिव मिश्री की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, बांग्लादेश के विदेश सचिव ने कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा “बांग्लादेश का आंतरिक मामला” है।
- उन्होंने उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया और बिम्सटेक ढांचे के तहत क्षेत्रीय एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए परामर्श और सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
विदेश सचिव की यात्रा दोनों देशों के बीच जुड़ाव को मजबूत बनाएगा:
- विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी ताकि चिंताओं को दूर किया जा सके और साथ ही संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।
- उल्लेखनीय है कि अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जिसके बाद भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे।
- हिंदुओं पर हमलों और हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हाल के हफ्तों में संबंध और भी खराब हो गए। पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के साथ-साथ मंदिरों पर हमलों की घटनाएं भी हुई हैं, जिससे भारत में गहरी चिंता पैदा हुई है।
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