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दिल्ली सरकार ने, पिछली AAP सरकार पर CAG की 14 रिपोर्ट विधानसभा में पेश की:

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दिल्ली सरकार ने, पिछली AAP सरकार पर CAG की 14 रिपोर्ट विधानसभा में पेश की:

क्या मामला है?

  • दिल्ली की वर्तमान भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 25 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र के दूसरे दिन पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के प्रदर्शन से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 14 रिपोर्टें पेश की। इन CAG रिपोर्टों को आप सरकार द्वारा ‘अवरुद्ध’ कर दिया गया था, जिनमें विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और पहलों के महत्वपूर्ण ऑडिट और आकलन शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सदन में रिपोर्ट पेश न करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री आतिशी की निंदा की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उपराज्यपाल ने विधानसभा के समक्ष वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट पेश करने के सरकार के संवैधानिक कर्तव्य पर जोर दिया था।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक पद से जुड़े विभिन्न संवैधानिक प्रावधान:

  • संविधान में वर्णित अनुच्छेद 148 से 151 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति, शक्तियों और कर्तव्यों का वर्णन किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने संविधान सभा को बताया था कि वे CAG को “भारत के संविधान में संभवतः सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी” मानते हैं।

अनुच्छेद-148: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पद

  • संविधान का अनुच्छेद-148 वर्णन करता है कि भारत का एक नियंत्रक और महालेखा परीक्षक होगा जिसे राष्ट्रपति द्वारा उसके हस्ताक्षर और मोहर के तहत वारंट द्वारा नियुक्त किया जाएगा और केवल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान एवं आधार पर पद से हटाया जाएगा।
  • पद से जुड़े स्वतंत्रता के प्रावधान: नियंत्रक महालेखा परीक्षक का वेतन और सेवा की अन्य शर्ते ऐसी होगी जो संसद द्वारा कानून द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं और उसके अधिकारों में उसकी नियुक्ति के बाद अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा। नियंत्रक महालेखा परीक्षक अपने पद पर न रहने के बाद न तो भारत सरकार के अधीन और न ही किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी और पद के लिए पात्र होगा।

अनुच्छेद 149: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कर्तव्य एवं शक्तियां

  • नियंत्रक-महालेखा परीक्षक संघ और राज्यों तथा किसी अन्य प्राधिकरण या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा, जो संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके अधीन विहित किए जाएं। इस संदर्भ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971, CAG की सेवा शर्तों को निर्धारित करता है और उनके कार्यालय के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्धारित करता है।

अनुच्छेद 150: संघ और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप

  • संघ और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्रारूप में रखा जाएगा जैसा राष्ट्रपति भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की सलाह पर निर्धारित करें।

अनुच्छेद 151: लेखापरीक्षा रिपोर्ट

  • संघ के खातों से संबंधित भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाएगी, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
  • किसी राज्य के खातों से संबंधित भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट उस राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी, जो उन्हें राज्य के विधानमंडल के समक्ष रखवाएगा।

संविधान में CAG रिपोर्ट पेश करने के बारे में क्या कहा गया है?

  • अनुच्छेद 151 में CAG रिपोर्ट को संसद या राज्य विधानसभाओं में रखने का प्रावधान है, लेकिन कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। यही कारण है कि सरकारें अक्सर CAG ऑडिट रिपोर्ट को समय पर पेश नहीं करती हैं। उदाहरण के लिए, पिछली दिल्ली सरकार से जुड़ा वर्तमान मामला। अतीत में, पश्चिम बंगाल ने भी विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश करने में देरी की थी।
  • CAG रिपोर्ट सदन में रखे जाने के बाद ही सार्वजनिक होती है। लोक लेखा समिति चयनित रिपोर्टों की जांच करती है और सरकार से जवाब मांगती है। PAC सरकार से सिफारिशों पर कार्रवाई करने और एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहती है।

लोक लेखा समिति क्या होती है?

  • लोक लेखा समिति भारत की सबसे पुरानी संसदीय समितियों में से एक है। वर्ष 1921 में इसकी स्थापना से लेकर 1950 के आरंभ तक, कार्यकारी परिषद के वित्त सदस्य को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता था। 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान के लागू होने के साथ ही, यह समिति लोकसभा अध्यक्ष के नियंत्रण में एक संसदीय समिति बन गई।

लोक लेखा समिति की संरचना:

  • लोक लेखा समिति में अधिकतम 22 सदस्य होते हैं, जिनमें से 15 सदस्य लोकसभा द्वारा अपने सदस्यों में से प्रति वर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से चुने जाते हैं और उसी प्रकार उस सदन द्वारा चुने गए राज्य सभा के अधिकतम सात सदस्य समिति से संबद्ध होते हैं। एक मंत्री समिति के सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए पात्र नहीं है।
  • अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा के सदस्यों में से लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। अध्यक्ष ने पहली बार 1967-68 के लिए विपक्ष के एक सदस्य को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। तब से यह प्रथा जारी है।

लोक लेखा समिति की भूमिका:

  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के राजस्व और व्यय का लेखा-परीक्षण करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष संसद द्वारा लोक लेखा समिति का गठन किया जाता है। वे यह जांच करते हैं कि संसद कार्यपालिका पर किस तरह का नियंत्रण रखती है, यह इस मूल सिद्धांत से उपजा है कि संसद लोगों की इच्छा को मूर्त रूप देती है।
  • इसका प्राथमिक कार्य संसद में रखे जाने के बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की लेखा-परीक्षण रिपोर्ट की जांच करना है।
  • इस समिति का एक कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि संसद द्वारा दी गई धनराशि सरकार द्वारा मांग के दायरे में खर्च की गई है। यह मूल रूप से स्वीकृत राशि से अधिक या कम खर्च करने के औचित्य पर विचार करती है।

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