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पर्यावरण मंत्रालय ने 2024-25 में प्रदूषण नियंत्रण कोष के 858 करोड़ रुपये का 1% से भी कम खर्च किया:

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पर्यावरण मंत्रालय ने 2024-25 में प्रदूषण नियंत्रण कोष के 858 करोड़ रुपये का 1% से भी कम खर्च किया:

चर्चा में क्यों है?

  • 25 मार्च को संसद में पेश संसदीय समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में ‘प्रदूषण नियंत्रण’ योजना के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आवंटित 858 करोड़ रुपये में से अब तक केवल 1 प्रतिशत से भी कम का उपयोग किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि संसदीय निगरानी के एक भाग के रूप में, विभिन्न विभाग-संबंधी स्थायी समितियां बजटीय आबंटन के मुकाबले सरकारी मंत्रालयों के व्यय और प्रदर्शन की जांच करती हैं तथा संसद को रिपोर्ट प्रस्तुत करती हैं।

पर्यावरण पर संसदीय समिति के रिपोर्ट की प्रमुख बातें:

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर विभाग से संबंधित स्थायी समिति ने अनुदान मांगों (2025-26) की रिपोर्ट में अपना आश्चर्य व्यक्त किया और पर्यावरण मंत्रालय से “आत्मनिरीक्षण” करने और सकल कम उपयोग के कारणों पर गंभीरता से ध्यान देने को कहा।
  • ध्यातव्य है कि 2024-25 में प्रदूषण नियंत्रण कोष के लिए 858 करोड़ रुपये के संशोधित आवंटन में से 21 जनवरी तक केवल 7.22 करोड़ रुपये के व्यय पर संसदीय समिति के आश्चर्य के जवाब में, पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस योजना को जारी रखने के लिए ‘अनुमोदन की प्रतीक्षा’ के कारण धन का उपयोग नहीं किया जा सका। वहीं इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि पिछले दो वित्तीय वर्षों में मंत्रालय ने इस योजना के लिए आवंटित सभी बजट खर्च कर दिए हैं।
  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार इस योजना को पूरी तरह से वित्तपोषित करती है और यह केंद्र के प्रमुख ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)’ के प्रमुख स्रोतों में से एक है, जिसने 2026 तक देश भर के 131 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर 10 (सूक्ष्म प्रदूषक) प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य रखा है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) क्या है?

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जनवरी, 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को शामिल करके 131 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • इस कार्यक्रम का लक्ष्य 2025-26 तक पार्टिकुलेट मैटर 10 (PM10) सांद्रता के लिए 40% तक की कमी या राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों की उपलब्धि हासिल करना है।

NCAP का उद्देश्य:

  • 2024 तक PM10 सांद्रता में 20-30% की कमी लाना
  • 2026 तक PM10 सांद्रता में 40% की कमी लाना
  • राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करना
  • 131 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाना

NCAP में हुई प्रगति:

  • 2023-24 में, 131 में से 95 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखा
  • 18 शहरों ने 2023-24 में PM10 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAQS) को पूरा किया
  • प्रदूषण में 76.4% की कमी के साथ वाराणसी सबसे आगे रहा, उसके बाद मुरादाबाद (58%) और कानपुर (51.2%) का स्थान रहा

NCAP की चुनौतियाँ:

  • आवंटित निधियों का कम उपयोग
  • कार्यक्षमता, पारदर्शिता और सूचना की सार्वजनिक उपलब्धता का अभाव

संसदीय समिति द्वारा जलवायु परिवर्तन से जुड़े अन्य सुझाव:

  • जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर, हाउस पैनल ने वैश्विक जलवायु प्रयासों और जलवायु निधि से अमेरिकी प्रशासन के पीछे हटने पर चिंता व्यक्त की। इसने कहा कि भारत, एक बड़ा देश होने के नाते, बड़ी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
  • इस समिति ने ‘हीट वेव’ को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की हीट एक्शन कार्यक्रमों (HAP) को तैयार करने और लागू करने की भी सिफारिश की, और आगामी और अगली गर्मियों में औसत से अधिक तापमान वृद्धि की उम्मीद पर चिंता व्यक्त की।
  • हाउस पैनल ने राष्ट्रीय तटीय मिशन के तहत निधियों की समग्र योजना और निष्पादन की भी सिफारिश की, क्योंकि पिछले दो वित्तीय वर्षों में इसके लिए निधियों में कटौती की गई थी।

 

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