जी-7 शिखर सम्मेलन और प्रधानमंत्री मोदी का इटली दौरा:
परिचय:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार 13 जून को जी-7 आउटरीच बैठक में भाग लेने के लिए इटली के दौरे पर जा रहें है।
- इस यात्रा के संबंध में इटली में भारतीय राजदूत वाणी राव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में उपस्थित अन्य विश्व नेताओं के साथ, भारत के साथ-साथ ग्लोबल साउथ के लिए भी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत करने के लिए इस वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
प्रधानमंत्री का जी-7 सम्मेलन के लिए इटली दौरे का महत्व:
- प्रधानमंत्री मोदी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के जी-7 वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली की यात्रा पर जाने वाले हैं, जो उनके लगातार तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा होगी।
- इस जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी भारत द्वारा हाल ही में आयोजित जी-20 की अध्यक्षता के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ भारत ने कई विवादास्पद मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई थी।
- भारत ने अब तक वॉयस ऑफ़ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के दो सत्र आयोजित किए हैं, जिनका उद्देश्य वैश्विक मंच पर ग्लोबल साउथ के हितों, प्राथमिकताओं और चिंताओं को सामने लाना है।
- यह एक महत्वपूर्ण यात्रा है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री के लिए वैश्विक मंचों में से एक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर है।
- यह निरंतरता का भी प्रतीक है क्योंकि उन्होंने पिछले साल जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
भारत जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए भागीदार देश:
- भारत को जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए भागीदार के रूप में चुना गया है। भारत एकमात्र एशियाई देश है जिसे भागीदार के रूप में चुना गया है।
- यह खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, एआई और अन्य पहलुओं जैसे कुछ मुद्दों पर बोलने का अवसर भी है, जो वैश्विक दक्षिण के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- यह 11वीं बार है जब भारत को जी-7 आउटरीच में आमंत्रित किया गया है, और पांचवीं बार जब प्रधानमंत्री मोदी इसमें भाग लेंगे।
- जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी स्पष्ट रूप से उन प्रयासों की बढ़ती मान्यता और योगदान की ओर इशारा करती है, जो भारत शांति, सुरक्षा, विकास और पर्यावरण संरक्षण सहित वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए लगातार कर रहा है।
जी-7 का इटली का वार्षिक शिखर सम्मेलन:
- इटली इस वर्ष जी-7 का अध्यक्ष है और विश्व की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के अनौपचारिक समूह के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय संघ भी शामिल हैं।
- 1 जनवरी 2024 को इटली सातवीं बार जी-7 का अध्यक्ष बना है। 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में दो सत्र होंगे।
- इस सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जलवायु परिवर्तन और सप्लाई चेन जैसी कुछ नई महत्वपूर्ण चुनौतियों के अलावा यूक्रेन और मध्य पूर्व में युद्ध का मुद्दा छाए रहने की संभावना है।
जी-7 का इतिहास क्या रहा है?
- जी-7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका ने पहले तेल संकट के बाद 1975 में फ्रांस में जी-6 के रूप में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। कनाडा इस समूह में अगले वर्ष शामिल हुआ। 2010-2014 तक रूस समूह का सदस्य था और तब इसे जी-8 कहा जाता था।
- जी-7 की बैठक वार्षिक होती है जिसमें इन राष्ट्रों के नेता हर साल मिलते हैं। समूह की वार्षिक अध्यक्षता सात देशों के बीच बारी-बारी से एक सदस्य देश को सौंपी जाती है।
- जी-7 कोई औपचारिक संस्था नहीं है, जिस सदस्य राष्ट्र के पास अध्यक्षता होती है उसी पर शिखर सम्मेलन के उस वर्ष का एजेंडा तय करने की जिम्मेदारी भी होती है।
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