इजरायल-ईरान संघर्ष का भारत के साथ दोनों देशों के व्यापार पर प्रभाव:
चर्चा में क्यों है?
- इजराइल पर ईरान के हमले से मध्य पूर्व और उससे बाहर तनाव फैल गया है। भारत, जिसके दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, ने शत्रुता बढ़ने के बारे में “गंभीर चिंता” व्यक्त की है।
- इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने से इस क्षेत्र के व्यापारी भी चिंतित हो सकते हैं और बाजार को भी झटका लग सकता है।
- भारत के इन दोनों देशों के साथ कैसा व्यापारआंकड़ा है और नए सिरे से क्षेत्रीय तनाव का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो सकता है, इसको गंभीरता से परखने की आवश्यकता है।
भारत-इजरायल व्यापार चार साल में दोगुना हुआ:
- भारत ने 1992 में इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। तब से, दोनों देशों के बीच व्यापार काफी बढ़ रहा है, जो 1992 में लगभग 20 करोड़ डॉलर से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10.7 अरब डॉलर (रक्षा को छोड़कर) हो गया है।
- दोनों के व्यापार में पिछले चार वर्षों में तेज वृद्धि हुई है, जब व्यापार दोगुना हो गया – 2018-19 में 5.56 अरब डॉलर से 2022-23 में 10.7 अरब डॉलर हो गया।
- 2022-23 में, इजराइल को भारत का निर्यात 8.45 अरब डॉलर का था, जबकि इजराइल से भारत का आयात 2.3 अरब डॉलर था, जिससे भारत के पक्ष में 6.13 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष रहा था।
- भारत एशिया में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और विश्व स्तर पर सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
भारत-ईरान व्यापार पांच वर्षों में कम हो गया:
- 2022-23 में, ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 2.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ोतरी से पहले, ईरान के साथ भारत के व्यापार में हाल के वर्षों में संकुचन देखा गया है।
- ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर व्यापार में यह संकुचन देखा गया। ईरान के साथ व्यापार 2018-19 में 17 अरब डॉलर के उच्च स्तर से घटकर 2019-20 में 4.77 अरब डॉलर और 2020-21 में 2.11 अरब डॉलर हो गया था।
- 2022-23 में 2.33 बिलियन डॉलर के व्यापार में से, ईरान को भारत का निर्यात 1.66 अरब डॉलर था, जबकि ईरान से भारत का आयात केवल 0.67 अरब डॉलर था, भारत के पक्ष में लगभग 1 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष रहा था।
मध्य पूर्व तनाव भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है?
- थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, मध्य पूर्व में चल रहे तनाव के परिणामस्वरूप भारत में पेट्रोल की कीमतों में कोई वृद्धि होने की संभावना नहीं है।
- हालांकि, लाल सागर में तनाव के कारण कुछ प्रभाव पड़ सकता है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग पर स्थित है।
- उल्लेखनीय है कि यह संघर्ष पश्चिम एशिया में स्थिति को बहुत अस्थिर बनाता है, जो मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) जैसी परियोजनाओं को लंबे समय तक कागज पर ही बने रहने के लिए मजबूर कर सकता है।
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