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भारत की डेटा सेंटर हब बनने की महत्वाकांक्षी योजना:

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भारत की डेटा सेंटर हब बनने की महत्वाकांक्षी योजना:  

चर्चा में क्यों है?

  • भविष्य में भारत डेटा सेंटर के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में उभर सकता है, क्योंकि उभरते बाजारों में इस उद्योग में तेजी देखी जा रही है, लेकिन उसे मलेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
  • S&P के एक शोध नोट का अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में ऐसी सुविधाओं में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश की संभावना है। इस निवेश से मजबूत डेटा वृद्धि और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटलीकरण में वृद्धि का लाभ उठाया जा सकता है।

भारत द्वारा डेटा सेंटर की स्थापना एवं ‘कंप्यूटिंग क्षमता’ विस्तार पर बल: 

  • उल्लेखनीय है कि यह उस समय हो रहा है, जब भारत सरकार AI बूम का लाभ उठाने के लिए डेटा सेंटर की स्थापना को सब्सिडी देने और स्टार्ट-अप और शोध संस्थानों जैसी छोटी संस्थाओं के लिए ‘कंप्यूटिंग क्षमता’ तक पहुँच को आसान बनाने पर विचार कर रही है।
  • कंप्यूटिंग क्षमता या कंप्यूटिंग, एल्गोरिदम नवाचार और डेटा सेट के अलावा, एक बड़ी AI प्रणाली के निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है।
  • उच्च लागतों को देखते हुए, इस तरह के AI सिस्टम को प्रशिक्षित करने और बनाने की चाहत रखने वाले छोटे व्यवसायों के लिए इसे हासिल करना सबसे कठिन तत्वों में से एक है।

डेटा सेंटर की स्थापना की भारत में वस्तुस्थिति:

  • S&P के नोट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उभरते बाजार तीन कारणों से विकसित बाजारों का एक आकर्षक विकल्प बन रहे हैं – डेटा सेंटर विकसित करने और संचालित करने की कम लागत; डिजिटलीकरण और अनुकूल जनसांख्यिकी के कारण डेटा की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि; और स्थानीय डेटा केंद्रों के निर्माण के लिए सरकारी समर्थन।
  • इसी नोट के अनुसार, भारत में वर्तमान में 1-3 गीगावाट की पट्टे पर डेटा सेंटर क्षमता है, जो इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम जैसे अन्य उभरते बाजारों की तुलना में सबसे अधिक है। उल्लेखनीय है कि भारत पहले से ही Google, Microsoft और Amazon जैसी बड़ी टेक कंपनियों द्वारा स्थापित डेटा केंद्रों का घर है।
  • हालांकि, 2023-28 के बीच, मलेशिया में डेटा सेंटर व्यवसाय भारत की तुलना में अधिक वृद्धि देख सकता है।

भारत को उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं दोनों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है:

  • ध्यातव्य है कि भारत को अपने यहाँ अधिक डेटा सेंटर आकर्षित करने में उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं दोनों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
  • उदाहरण के लिए, मलेशिया में जोहोर बाहरू नए डेटा सेंटर के लिए एक हॉट लैंडिंग स्पॉट बन गया है, क्योंकि सरकार बिजली और कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करके डेटा सेंटर के विकास का समर्थन कर रही है।
  • दूसरी तरफ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में स्थापित बाजारों में डेटा सेंटर वाले ऑपरेटरों को उभरते एशिया-प्रशांत में समकक्ष सुविधाओं की तुलना में कम परिचालन जोखिम का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, जापान अपने यहां डेटा-सेंटर विकास को विकेंद्रीकृत करने के लिए सब्सिडी दे रहा है, ताकि नए केंद्र टोक्यो और ओसाका जैसे बड़े शहरों से दूर बनाए जा सके।

‘इंडियाएआई’ मिशन और ‘कंप्यूटिंग क्षमता’ का विस्तार:

  • हाल ही में भारत सरकार द्वारा अपने महत्वाकांक्षी ‘इंडियाएआई’ मिशन के तहत ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) खरीदने और भारतीय स्टार्टअप, शोधकर्ताओं, सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों और सरकार द्वारा अनुमोदित अन्य संस्थाओं को कंप्यूटिंग क्षमता प्रदान करने के लिए एक निविदा प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया है।
  • यह कदम 10,370 करोड़ रुपये के इंडियाएआई मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 10,000 से अधिक GPU की कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करना है और स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शासन जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए, प्रमुख भारतीय भाषाओं को कवर करने वाले डेटासेट पर प्रशिक्षित 100 बिलियन से अधिक मापदंडों की क्षमता वाले, आधारभूत मॉडल विकसित करने में मदद करना है।
  • इस मिशन के तहत विचार यह है कि यदि देश में ऐसा बुनियादी ढांचा मौजूद रहेगी, तो भारतीय स्टार्टअप, AI सिस्टम विकसित करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।
  • भारत की की योजना में, कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे का कार्यान्वयन 50 प्रतिशत व्यवहार्यता अंतर निधि के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से किया जाएगा। यदि कंप्यूटिंग की कीमतें कम हो जाती हैं, तो निजी संस्था को बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए उसी बजट राशि के भीतर अधिक कंप्यूटिंग क्षमता जोड़नी होगी। कुल परिव्यय में से 4,564 करोड़ रुपये कंप्यूटिंग अवसंरचना के निर्माण के लिए निर्धारित किए गए हैं।

 

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