वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.4% रह सकती है: NSO का अग्रिम अनुमान
परिचय:
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 7 जनवरी को जारी वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP के पहले अग्रिम अनुमान में 6.4% की GDP वृद्धि का अनुमान लगाया गया। इस अग्रिम अनुमानों से पता चला है कि विकास दर चार वर्षों में पहली बार 7 प्रतिशत से नीचे रहने की संभावना है।
- यह वृद्धि दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2024-25 के लिए संशोधित 6.6% के अनुमान से थोड़ी कम है; यह सरकार सहित कई एजेंसियों के अनुमानों से भी कम है, जिन्होंने इसे 6.5%-7% की सीमा में रखा है। 6.4% की वृद्धि का अनुमान कोविड-19 महामारी के बाद सबसे कम है और शहरी क्षेत्रों में समग्र निवेश और खपत में मंदी के कारण आया है।
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को लेकर अनुमान:
- कृषि में सुधार: सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 1.4% की वृद्धि देखी गई थी।
- विनिर्माण क्षेत्र में कमी: वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में वास्तविक GVA वृद्धि 2023-24 में 9.9 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- निर्माण और सेवा क्षेत्र: इस बीच, निर्माण क्षेत्र और वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र के वास्तविक GVA में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान क्रमशः 8.6% और 7.3% की वृद्धि दर देखने का अनुमान है।
- निजी उपभोग में वृद्धि: स्थिर कीमतों पर निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) में पिछले वित्त वर्ष की 4.0% की वृद्धि दर की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 7.3% की वृद्धि दर देखने की उम्मीद है।
- सरकारी व्यय बढ़ा: स्थिर कीमतों पर सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (GFCE) में पिछले वित्त वर्ष की 2.5% की वृद्धि दर की तुलना में इस वित्त वर्ष में 4.1% की वृद्धि दर पर वापस आ गया है।
एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य की ओर इशारा:
- उल्लेखनीय है कि अग्रिम GDP अनुमान केंद्रीय बजट को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह आर्थिक गतिविधियों में मंदी का संकेत दे रहा है।
- ऐसे में GDP को लेकर ये आंकड़े एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य की ओर इशारा करते हैं, क्योंकि सरकार वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना राजकोषीय रोडमैप तैयार कर रही है। ऐसे में GDP धीमी वृद्धि दर में के साथ, आर्थिक सुधार का समर्थन करते हुए राजकोषीय स्थिरता बनाए रखना नीति निर्माताओं के लिए एक नाजुक संतुलन कार्य होगा।
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