प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस भाषण के प्रमुख निष्कर्ष:
परिचय:
- अपने तीसरे कार्यकाल के पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ प्रमुख वैचारिक मुद्दों को संबोधित किया है।
- उदाहरणस्वरूप ‘सांप्रदायिक नागरिक संहिता’ के बजाय ‘पंथनिरपेक्ष नागरिक संहिता’ की ओर बढ़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया; लोकसभा में भाजपा के बहुमत से 32 सीटें कम होने के बावजूद, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का फिर से आह्वान किया, आदि।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का अधिकांश समय पिछले एक दशक में विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बारे में आंकड़े पेश करने, तेजी से सुधार करने का आह्वान करने और अपने तीसरे कार्यकाल में और अधिक मेहनत करने का वादा करने में बिताया।
“पंथनिरपेक्ष (Secular) नागरिक संहिता”:
- विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त करने के लिए समान नागरिक संहिता की मांग को “पंथनिरपेक्ष नागरिक संहिता” के आह्वान के रूप में पुनः परिभाषित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लंबे समय से “सांप्रदायिक नागरिक संहिता” है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में समान नागरिक संहिता (UCC) पर बार-बार चर्चा की है। यह सच है कि हमारे पास जो नागरिक संहिता है, वह सांप्रदायिक नागरिक संहिता है। यह भेदभाव पर आधारित है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम अपने संविधान निर्माताओं के सपने को पूरा करें।
- यह विचार विपक्ष के दशकों से लगाए जा रहे इस आरोप का एक सुविचारित उत्तर था कि भाजपा समान नागरिक संहिता (UCC) चाहती है क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करने वाले विवाह और विरासत जैसे मुद्दों पर मुस्लिम व्यक्तिगत कानून को बदलना चाहती है।
- यह याद दिलाते हुए कि संविधान ने समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए दृष्टिकोण को राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों में अनुच्छेद 44 के अन्तर्गत रखा है और राज्य को इसके लिए प्रयास करना चाहिए इसकी आवश्यकता के बारे में कहता है।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के इस विचार ने विरोधियों को “सांप्रदायिक” नागरिक संहिता के समर्थक के रूप में चित्रित किया।
“एक राष्ट्र, एक चुनाव” की व्यवस्था:
- प्रधानमंत्री ने एक बार फिर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की बात कही। उन्होंने बताया कि इस विचार की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए गठित रामनाथ कोविंद समिति ने इसके लिए अच्छी सिफारिश की है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि बार-बार चुनाव देश के लिए समस्या पैदा कर रहे हैं। नीतियों और काम को चुनाव से जोड़ा जा रहा है। एक राष्ट्र, एक चुनाव महत्वपूर्ण है। ऐसे में उन्होंने राजनीतिक दलों और संविधान को समझने वालों से अपील किया कि वे “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की दिशा में आगे बढ़ने के बारे में विचार करें।
महिला सुरक्षा का मुद्दा:
- प्रधानमंत्री ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं होने पर राज्य सरकारों को त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ चिंता के बिंदु भी हैं। महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, लोगों में गुस्सा भी है और इसे महसूस भी किया जा सकता है। हालांकि जरूरत महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ त्वरित जांच और सजा होनी चाहिए। क्योंकि जब कोई घटना होती है तो बहुत सारी खबरें आती हैं, लेकिन अपराधियों को दंडित करने की कोई बात नहीं होती है। यही कारण है कि कोई डर नहीं है। ऐसे में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों में डर की भावना पैदा करने की जरूरत है।
भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के खिलाफ जंग:
- कुछ विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही केंद्रीय एजेंसियों का परोक्ष बचाव करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हर नागरिक भ्रष्टाचार से तंग आ चुका है। उनकी सरकार ने इसके खिलाफ जंग छेड़ी है और उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है, लेकिन जब बात देश की आती है तो कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ उनकी सरकार की लड़ाई जारी रहेगी।
- प्रधानमंत्री ने वंशवादी राजनीति पर भी परोक्ष हमला करते हुए कहा कि राजनीति में ऐसे एक लाख युवाओं को लाने की जरूरत है, जिनके परिवारों की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संख्या पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर संसद तक फैलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के राजनीति में आने से राजनीति में नए विचार आएंगे।
बांग्लादेश के लिए संदेश:
- शेख हसीना के विद्रोह का सामना करने के बाद बांग्लादेश छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस को पदभार संभालने पर बधाई देते हुए बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा की अपील करने के कुछ दिनों बाद, प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश के लिए लाल किले के प्राचीर से एक संदेश दिया है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश में जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे। 140 करोड़ भारतवासी चाहते हैं कि बांग्लादेश के हिंदू, वहां के अल्पसंख्यक सुरक्षित रहें। भारत चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश शांति और खुशहाली के रास्ते पर चलें। भारत बांग्लादेश का शुभचिंतक बना रहेगा।
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