चीन द्वारा प्रशांत महासागर क्षेत्र में ICBM का प्रक्षेपण:
चर्चा में क्यों है?
- चीन ने 25 सितंबर को प्रशांत महासागर में एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। उल्लेखनीय है कि 1980 के बाद चीन का यह एक दुर्लभ सार्वजनिक प्रक्षेपण था जिसके बारे में विश्लेषकों ने कहा कि इसका उद्देश्य क्षेत्रीय तनाव के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों को एक संदेश भेजना था।
- चीनी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) रॉकेट फोर्स द्वारा किया गया प्रक्षेपण, इसके नियमित वार्षिक प्रशिक्षण का हिस्सा था और किसी देश या लक्ष्य पर लक्षित नहीं था।
- उल्लेखनीय है कि यह प्रक्षेपण उस समय हुआ है जब चीन और रूस जापान के करीब समुद्र में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास कर रहे हैं।
- हालांकि अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के एक प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका को चीन से इस परीक्षण के बारे में “अग्रिम सूचना” मिली थी, जो “किसी भी गलतफहमी या गलत अनुमान को रोकने के लिए सही दिशा में एक सही कदम था।
चीन द्वारा किया गया यह प्रक्षेपण महत्वपूर्ण क्यों है?
- उल्लेखनीय है कि चीन शायद ही कभी प्रशांत जलक्षेत्र में ICBM का परीक्षण करता है, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का आखिरी प्रक्षेपण मई 1980 में किया गया था।
- नवीनतम प्रक्षेपण के साथ ही चीन ने चार दशकों से भी अधिक समय में प्रशांत महासागर के ऊपर पहली बार ICBM का परीक्षण किया है। उल्लेखनीय है कि 1980 में, चीन ने देश के उत्तर-पश्चिम में झिंजियांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से दक्षिण प्रशांत में अपना पहला ICBM, DF-5 का परीक्षण किया था, जो 8,000 किलोमीटर से अधिक रेंज का था।
- चीन ने तब से चुपचाप कई ICBM परीक्षण किए हैं, जिनमें से अधिकांश अपने ही क्षेत्र में किए गए हैं, जिनमें से कई झिंजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र के रेगिस्तान में किये हैं।
- चीन का नवीनतम ICBM, जिसे DF-41 के नाम से जाना जाता है, की मारक क्षमता 12,000 से 15,000 किलोमीटर होने का अनुमान है और यह अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने में सक्षम है।
चीन का अमेरिका और पश्चिम के लिए एक शक्तिशाली संकेत:
- सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि इस परीक्षण की चीन की दुर्लभ घोषणा पूर्वी चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण चीन सागर तक आसपास के जलक्षेत्रों में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक चेतावनी के रूप में थी।
- सियोल में इवा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के प्रोफेसर लीफ-एरिक इस्ले ने कहा कि चीन का परीक्षण वाशिंगटन के लिए एक संदेश था कि “ताइवान जलडमरूमध्य में संघर्ष में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से अमेरिकी मुख्य-भूमि पर हमला होने की आशंका होगी”। उन्होंने आगे कहा कि “एशिया में अमेरिका के सहयोगियों के लिए, चीन का यह उत्तेजक परीक्षण है, जो उसके विशाल क्षेत्रीय सैन्य अभ्यास के दौरान किया गया है और एक साथ कई मोर्चों पर लड़ने की उसकी क्षमताओं को प्रदर्शित करता है”।
- इसके अतिरिक्त पिछले साल पीएलए के रॉकेट फोर्स को व्यापक भ्रष्टाचार की कार्रवाई से झटका लगा था, जिसमें कई वरिष्ठ जनरलों को हटा दिया गया था। ऐसे में इस हाई-प्रोफाइल ICBM परीक्षण करके चीन शायद यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि हाल के भ्रष्टाचार घोटालों से सेना की तैयारी या क्षमता में कोई कमी नहीं आई है।
चीन की सैन्य तैयारी:
- चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना और सबसे बड़ी नौसेना है। इसका सैन्य बजट अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है। अमेरिका के अनुसार, चीन के पास इंडो-पैसिफिक में सबसे बड़ी वायु सेना भी है, जिसके आधे से ज्यादा लड़ाकू विमान चौथी या पांचवीं पीढ़ी के मॉडल के हैं। चीन के पास मिसाइलों का एक विशाल भंडार भी है, साथ ही स्टील्थ विमान, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बमवर्षक, उन्नत विमानवाहक पोत और परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियाँ भी हैं।
- राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में, चीन ने अपनी परमाणु क्षमता को मजबूत किया है और पीएलए के रॉकेट फोर्स को नया रूप दिया है, जो देश के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइलों के तेजी से बढ़ते शस्त्रागार की देखरेख करने वाली एक विशिष्ट शाखा है।
- पिछले कुछ वर्षों में, उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों ने चीन के रेगिस्तान में ICBM के सैकड़ों साइलो का निर्माण दिखाया है, और अमेरिकी रक्षा विभाग अगले दशक में चीन के शस्त्रागार में परमाणु हथियारों की संख्या में तेजी से वृद्धि की भविष्यवाणी कर रहा है।
- पेंटागन ने पिछले साल चीन की सेना पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि 2023 तक चीन के पास 500 से अधिक ऑपरेशनल परमाणु हथियार थे और संभवतः 2030 तक उसके पास 1,000 से अधिक हथियार होंगे। जबकि अनुमानतः रूस के पास 5,580 से अधिक न्यूक्लियर वॉरहेड्स का कुल भंडार है – जिसमें परिचालन बलों के लिए 4,380 स्टॉक किए गए वॉरहेड्स।
ICBM क्या होता है?
- अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM), एक बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी रेंज 5,500 किलोमीटर से अधिक होती है, जिसे मुख्य रूप से परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अधिकांश आधुनिक ICBM मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) को सपोर्ट करते हैं, जिससे एक मिसाइल कई वॉरहेड ले जा सकती है, जिनमें से प्रत्येक एक अलग लक्ष्य पर हमला कर सकता है।
- बैलिस्टिक मिसाइलों को अक्सर शॉर्ट-रेंज (SRBM), मीडियम-रेंज (MRBM), इंटरमीडिएट-रेंज (IRBM) और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। SRBM (300 से 500 किलोमीटर), MRBM (500 से 1000 किलोमीटर), IRBM (1000 से 5,500 किलोमीटर) और ICBM (5,500 किलोमीटर से अधिक) की रेंज होती हैं।
- पहली ICBM को 1958 में सोवियत संघ द्वारा तैनात किया गया था; अगले वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसका अनुसरण किया और लगभग 20 वर्ष बाद चीन ने भी इसका अनुसरण किया।
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