उपग्रह आधारित ‘कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (कृषि-DSS)’ की शुरुआत:
चर्चा में क्यों है?
- केंद्र सरकार ने 16 अगस्त को किसानों को फसल प्रबंधन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े उपलब्ध कराने हेतु उपग्रह आधारित कृषि निर्णय सहायता प्रणाली शुरू की।
- कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने ‘कृषि-निर्णय सहायता प्रणाली (कृषि-DSS)’ प्लेटफार्म का अनावरण किया, जो एक भू-स्थानिक प्लेटफार्म है जो फसल की स्थिति, मौसम पैटर्न, जल संसाधनों और मृदा स्वास्थ्य पर वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करेगा।
कृषि-निर्णय सहायता प्रणाली (कृषि-DSS) क्या है?
- कृषि-DSS, एक भू-स्थानिक प्लेटफार्म है जिसे विशेष रूप से भारतीय कृषि की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
- यह वित्त मंत्री द्वारा 23 जुलाई को बजट भाषण में घोषित कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का हिस्सा है।
- यह मौसम, मिट्टी, फसल, जलाशय और भूजल डेटा पर मानकीकृत भू-स्थानिक डेटा के भंडार के रूप में कार्य करेगा।
- यह प्रणाली फसल मानचित्रण, निगरानी और फसल चक्रण तथा विविधीकरण को बढ़ावा देने में सहायता करेगी। यह विभिन्न क्षेत्रों में फसल पैटर्न पर डेटा प्रदान करेगी और विभिन्न विकास चरणों में फसल की स्थिति को ट्रैक करेगी।
- कृषि-DSS प्लेटफॉर्म को अंतरिक्ष विभाग के RISAT-1A और VEDAS का उपयोग करके विकसित किया गया है।
- यह सरकार की ‘गतिशक्ति पहल’ के समान प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया गया है, जो कीटों के हमलों और चरम मौसम की घटनाओं जैसी संभावित आपदाओं के बारे में पूर्व चेतावनी देने के लिए उपग्रह इमेजरी का उपयोग करेगा।
कृषि-DSS प्लेटफॉर्म का महत्व:
- उल्लेखनीय है कि बढ़ती जलवायु चुनौतियों के बीच यह प्लेटफॉर्म किसानों के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा।
- सरकार का मानना है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और रिमोट सेंसिंग आधारित समाधान भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसानों को समृद्ध बनाने में योगदान देंगे।
- कृषि मंत्रालय और अंतरिक्ष क्षेत्र के बीच संबंध 1969 से चले आ रहे हैं, जब पहली बार रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करके नारियल के पौधों में रोग की जांच करने के लिए एक प्रयोग किया गया था। तब से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कई उपग्रह लॉन्च किए हैं जो कृषि क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी रहे हैं।
- कृषि मंत्रालय ने ‘यस टेक’ और ‘विंड्स’ जैसी कई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित पहल की हैं। इसी दिशा में मंत्रालय ने कृषि-DSS भी विकसित किया है।
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