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भारतीय रेलवे के उपक्रम, IRCTC और IRFC को मिले ‘नवरत्न’ दर्जे का मतलब:

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भारतीय रेलवे के उपक्रम, IRCTC और IRFC को मिले ‘नवरत्न’ दर्जे का मतलब:

परिचय:

  • एक ऐतिहासिक निर्णय में, भारत सरकार ने भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) के बीच प्रतिष्ठित ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया है। इस उन्नयन से IRCTC और IRFC ‘नवरत्न’ मान्यता प्राप्त करने वाली 25वीं और 26वीं कंपनियां बन गई हैं, जो भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
  • उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे के कुल 12 CPSE में से सभी सात सूचीबद्ध CPSE को अब नवरत्न का दर्जा प्राप्त है।

‘नवरत्न’ का दर्जा क्या होता है?

  • भारत सरकार ने 1997 में केंद्रीय सार्वजनिक निगमों (CPSE) के लिए ‘नवरत्न’ योजना शुरू की थी, ताकि वैश्विक नेता बनने की यात्रा में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ वाले CPSE की पहचान की जा सके और उन्हें सहायता दी जा सके। वहीं बड़े CPSE के लिए 19 मई, 2010 से ‘महारत्न’ योजना शुरू की गई थी।
  • उल्लेखनीय है कि ‘नवरत्न’ का दर्जा उन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSE) को दिया जाता है जो बेहतरीन वित्तीय और बाजार प्रदर्शन प्रदर्शित करते हैं। यह मान्यता उनकी स्वायत्तता और वित्तीय अधिकार को बढ़ाती है।
  • इस दर्जे का एक प्रमुख लाभ यह है कि कंपनियां केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता के बिना किसी एक परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये या अपनी कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत तक निवेश कर सकती हैं।
  • केंद्र सरकार सार्वजनिक निगमों को उनके वित्तीय प्रदर्शन और परिचालन क्षमताओं के आधार पर तीन श्रेणियों – महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न – में वर्गीकृत करता है।

किसी कंपनी को ‘नवरत्न’ का दर्जा कब और कैसे मिलता है?

  • उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक निगमों को दिया गया ‘नवरत्न’ का दर्जा केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली ‘रत्न’ कंपनियों की दूसरी श्रेणी है, जिसे लाभप्रदता, निवल मूल्य, कमाई, अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन आदि मानदंडों के आधार पर ‘महारत्न’ और ‘मिनीरत्न’ के बीच रखा जाता है।
  • वित्त मंत्रालय का सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) किसी CPSE को ‘नवरत्न’ का दर्जा देने के लिए निम्नलिखित छह संकेतकों पर विचार करता है:

(i) निवल लाभ का निवल संपत्ति से अनुपात,

(ii) उत्पादन या सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत का अनुपात,

(iii) मूल्यह्रास, ब्याज और कर से पहले लाभ का नियोजित पूंजी या नियोजित पूंजी पर रिटर्न से अनुपात,

(iv) ब्याज और कर से पहले लाभ का टर्नओवर से अनुपात,

(v) प्रति शेयर आय, और

(vi) कंपनी का अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।

  • इन छह संकेतकों का भार 10 (प्रति शेयर आय के लिए) से लेकर 25 (शुद्ध लाभ और शुद्ध संपत्ति के अनुपात के लिए) तक है। यदि किसी CPSE का सभी छह संकेतकों के लिए समग्र स्कोर 60 या उससे अधिक है, और पिछले पांच वर्षों में से तीन में उसे उत्कृष्ट या बहुत अच्छा MOU रेटिंग प्राप्त हुई है, तो उसे नवरत्न का दर्जा दिए जाने पर विचार किया जा सकता है।

‘नवरत्न’ दर्जे के क्या लाभ हैं?

  • ‘नवरत्न’ दर्जा प्राप्त सार्वजनिक निगम बिना किसी पूर्व सरकारी मंजूरी के किसी एक परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये या अपनी कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत तक निवेश कर सकती हैं। इससे वे ज्यादा वित्तीय रूप से स्वायत्त हो जाती हैं।
  • ये कंपनियां संयुक्त उद्यम और सहायक कंपनियां बना सकती हैं, और बिना सीधे सरकारी हस्तक्षेप के विलय या अधिग्रहण कर सकती हैं। ये कंपनियां निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वतंत्र व्यवसाय और निवेश निर्णय भी ले सकती हैं।
  • ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रवेश कर पाएगीं। ये कंपनियां सख्त नौकरशाही बाधाओं के बिना रणनीतिक गठबंधन बना सकती हैं और वैश्विक स्तर पर विस्तार कर सकती हैं।
  • नवरत्न कंपनियों को वित्तीय रूप से स्थिर माना जाता है, जो उन्हें ज़्यादा निवेशकों को आकर्षित करने और शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न देने में मदद करता है।

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