नेविगेशन सैटेलाइट आधारित टोल संग्रहण एवं टोल प्लाजा की लाइव निगरानी:
चर्चा में क्यों हैं?
- भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण के कार्यान्वयन की घोषणा के बाद, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि उसने टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा समय की वास्तविक समय निगरानी के लिए एक GIS आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है।
- यह प्रणाली NHAI के अधिकारियों को यातायात के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट लेन स्तर पर भीड़ को रोकने में मदद करेगी।
टोल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली:
- इस नए सॉफ्टवेयर को भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) ने विकसित किया है। शुरुआत में इस नई तकनीक को 100 टोल प्लाजा पर लागू किया जाएगा, जिन्हें लाइव मॉनिटरिंग के लिए NHAI ने चिन्हित किया है। इस सॉफ्टवेयर को चरणबद्ध तरीके से और अधिक टोल प्लाजा तक बढ़ाया जाएगा।
- यह सॉफ्टवेयर, अधिकारियों को टोल प्लाजा का नाम और स्थान प्रदान करेगा। यदि किसी टोल प्लाजा पर वाहनों की कतार निर्धारित सीमा से अधिक है, तो यह भीड़-भाड़ की चेतावनी और लेन वितरण की सिफारिश भी प्रदान करेगा।
- यह सॉफ्टवेयर, यातायात कतार और भीड़ के लिए घंटा, दैनिक, साप्ताहिक और मासिक आधार पर तुलनात्मक यातायात स्थिति विश्लेषण प्राप्त करने में मदद करेगा। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर वर्तमान मौसम की स्थिति और स्थानीय त्योहारों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
GNSS-आधारित टोल संग्रहण प्रणाली क्या है?
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय वर्तमान में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित टोल संग्रहण पर काम कर रहा है, जिससे मौजूदा FASTag टोल संग्रह प्रणाली को बदलने और टोल बूथों पर भीड़भाड़ के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने की उम्मीद है। यह दूरी-आधारित टोल संग्रहण भी प्रदान करेगा, जहाँ उपयोगकर्ता केवल राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा की गई दूरी के लिए भुगतान करेंगे और वाहनों का तेज गति से मुक्त प्रवाह होगा।
- 02 जुलाई, 2024 को, भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) ने GNSS आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को लागू करने के लिए टोल प्लाजा पर फ्री फ्लो GNSS लेन के निर्माण के लिए एक निविदा जारी की।
GNSS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली कैसे काम करेगा?
- GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETC) प्रणाली को मौजूदा FASTag पारिस्थितिकी तंत्र के साथ लागू किया जाएगा। इसे शुरू में एक हाइब्रिड मॉडल के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जहाँ FASTag और GNSS दोनों एक साथ काम करेंगे।
- इस योजना को लागू करने के लिए, टोल प्लाजा पर GNSS-आधारित ETC का उपयोग करने वाले वाहनों को स्वतंत्र रूप से गुजरने की अनुमति देने के लिए एक समर्पित GNSS लेन उपलब्ध होगी।
- GNSS-आधारित ETC के अधिक व्यापक हो जाने के बाद, सभी लेन अंततः GNSS लेन में परिवर्तित हो जाएँगी।
- जब कोई वाहन टोल से गुजरता है, तो टोल चार्जर को GNSS वाहनों में लगे ऑन बोर्ड यूनिट या OBU के माध्यम से GNSS वाहनों की पिंग (दूरी और समय की मुहर) प्राप्त होगी।
- GNSS वाहनों के OBU को फिनटेक के माध्यम से टोल चार्जर के साथ जोड़ा जाएगा, जो वर्तमान FASTag सिस्टम के तहत जारीकर्ता बैंकों की अवधारणा के समान है।
- भुगतान प्रणाली मौजूदा फास्टैग प्रणाली के समान होगी, लेकिन इसमें स्वचालित डेबिट शामिल होगा और टोल प्लाजा पर बूम बैरियर की आवश्यकता नहीं होगी।
इससे यूजर्स को क्या मदद मिलेगी?
- ETC सिस्टम के आने से टोल प्लाजा से गुजरते समय लोगों को होने वाली सभी तरह की देरी दूर हो जाएगी। फास्टैग सिस्टम के तहत, यह देखा गया है कि बार कोड पढ़ने और बूम बैरियर खुलने में अभी भी काफी देरी होती है। यह देरी कई बार एक मिनट तक की होती है और वाहनों की भीड़ लग जाती है। इसके कारण टोल कर्मचारियों के साथ बहस और झगड़े के कई मामले भी सामने आए हैं।
- साथ ही, लोग तेज गति से प्लाजा से गुजर सकेंगे और नेशनल हाईवे पर तय की गई दूरी के हिसाब से पैसे अपने आप कट जाएंगे।
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