संयुक्त राष्ट्र अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-5) में प्लास्टिक प्रदूषण पर कोई समझौता नहीं:
मुद्दा क्या है?
- बुसान में संयुक्त राष्ट्र अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-5) की पांचवीं और अंतिम बैठक में वार्ता की अध्यक्षता कर रहे राजनयिकों ने 1 दिसंबर, 2024 को कहा कि वार्ताकार प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए एक ऐतिहासिक संधि पर सहमति बनाने में विफल रहे हैं, तथा चर्चा जारी रखने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गयी है।
- उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह की वार्ता “उच्च-महत्वाकांक्षी” देशों, जो उत्पादन को सीमित करने और हानिकारक रसायनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए वैश्विक रूप से बाध्यकारी समझौते की मांग कर रहे हैं, और “समान विचारधारा वाले” देश जो कचरे पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, के बीच गहरे मतभेदों को हल करने में विफल रही है।
प्लास्टिक प्रदूषण पर विभिन्न देशों में मतभेद:
- हालांकि देशों ने सीधे तौर पर उन देशों के नाम बताने से इनकार कर दिया है जो इस समझौते को रोक रहे हैं, लेकिन सऊदी अरब और रूस सहित अधिकांश तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन में कटौती और अन्य महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को रोकने की कोशिश की है।
- 100 से ज़्यादा देश उत्पादन में कटौती का लक्ष्य तय करने का समर्थन कर रहे हैं और दर्जनों देश कुछ रसायनों और अनावश्यक प्लास्टिक उत्पादों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का भी समर्थन करते हैं।
- दुनिया के दो सबसे बड़े प्लास्टिक उत्पादकों, चीन और अमेरिका की स्थिति स्पष्ट नहीं है। 1 दिसंबर, 2024 को एक मज़बूत संधि का आग्रह करने वाले देशों द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों ही देश मंच से अनुपस्थित थे।
- प्लास्टिक उद्योग संघ के अनुसार, 2023 में चीन प्लास्टिक उत्पादों का अब तक का सबसे बड़ा निर्यातक था, उसके बाद जर्मनी और अमेरिका का स्थान था। तीनों देशों का कुल वैश्विक प्लास्टिक व्यापार का 33% हिस्सा है।
वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीर होती चुनौती:
- 2022 में वैश्विक स्तर पर सालाना प्लास्टिक उत्पादन बढ़कर 40 करोड़ टन से ज्यादा हो गया था। इसमें से करीब 35 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे के रूप वापस आ रहा है।
- विशेषज्ञों का यह भी अनुमान है कि 2050 तक 2,600 करोड़ मीट्रिक टन नए प्लास्टिक का उत्पादन हो जायेगा। अफसोस की बात है कि इस प्लास्टिक का करीब आधा कचरे का हिस्सा बन जाएगा।
- 90% से अधिक प्लास्टिक का पुनर्चक्रण नहीं किया जाता है, जबकि 2060 तक प्लास्टिक उत्पादन तीन गुना बढ़ जाने की उम्मीद है। दुनिया का ज्यादातर प्लास्टिक लैंडफिल में चला जाता है, पर्यावरण को प्रदूषित करता है या जला दिया जाता है।
भारत में प्लास्टिक पर्यावरण की समस्या:
- सितम्बर माह में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण में भारत का योगदान पांचवें हिस्से के बराबर है।
- भारत हर साल लगभग 5.8 मिलियन टन प्लास्टिक जलाता है और 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक को मलबे के रूप में पर्यावरण में छोड़ता है। कुल मिलाकर, भारत सालाना दुनिया में 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक प्रदूषण में योगदान देता है, जो इस सूची में अगले देशों – नाइजीरिया (3.5 मिलियन टन), इंडोनेशिया (3.4 मिलियन टन) और चीन (2.8 मिलियन टन) की तुलना में काफी अधिक है – और पिछले अनुमानों से भी अधिक है।
- इससे पहले, चीन को शीर्ष वैश्विक प्रदूषक के रूप में पहचाना गया था, लेकिन देश चौथे स्थान पर आ गया है।
इस शोध की आलोचना:
- यह अध्ययन, व्यापक होते हुए भी, कुछ उच्च आय वाले देशों से होने वाले उत्सर्जन को कम करके आंक सकता है क्योंकि इसमें प्लास्टिक कचरे के निर्यात को शामिल नहीं किया गया है। साथ ही यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब प्लास्टिक प्रदूषण पर पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए संधि वार्ता होने वाली है। और ये जानकारियाँ आगामी वैश्विक प्लास्टिक संधि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- उल्लेखनीय है कि एक तरफ जीवाश्म ईंधन उत्पादक देश और उद्योग समूह हैं, जो प्लास्टिक प्रदूषण को “अपशिष्ट प्रबंधन समस्या” के रूप में देखते हैं, और उत्पादन पर अंकुश लगाने के बजाय उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। दूसरी तरफ यूरोपीय संघ और अफ्रीका के देश हैं, जो एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करना चाहते हैं और उत्पादन पर अंकुश लगाना चाहते हैं।
अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-5) की पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEP) के पांचवें सत्र में वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया।
- इस प्रस्ताव में अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC) को प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन विकसित करने और वैश्विक समझौते के लिए एक प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के प्रस्ताव में 2024 तक अंतर-सरकारी वार्ता समिति की वार्ता को समाप्त करने की महत्वाकांक्षा रखी गई थी। साल 2022 से अब तक अंतर-सरकारी वार्ता समिति के चार सत्र उरुग्वे, फ्रांस, कनाडा और केन्या में आयोजित किए जा चुके हैं।
- INC का पांचवां सत्र 25 नवंबर से 1 दिसंबर, 2024 तक बुसान में आयोजित किया गया, यह अंतर-सरकारी वार्ता समिति का अंतिम नियोजित सत्र है और इसमें अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन पर वार्ता पूरी होने की उम्मीद थी, जो कि पूरी न हो सकी।
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