क्वांटम प्रौद्योगिकी में ‘तकनीकी आश्चर्य’ और ‘रणनीतिक ब्लाइंड स्पॉट’ का जोखिम है: नीति आयोग
चर्चा में क्यों है?
- नीति आयोग ने 5 मार्च को अपने एक तिमाही विज्ञप्ति (क्वांटम कंप्यूटिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ और रणनीतिक तैयारी) में कहा कि क्वांटम क्षमताएं विकसित करने वाले देशों को “अभूतपूर्व रणनीतिक बढ़त” मिलेगी, जो विभिन्न देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक प्रतिस्पर्धा को “खतरे में डाल सकती है”।
- इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि क्वांटम प्रौद्योगिकियां आधुनिक एन्क्रिप्शन को तोड़ सकती हैं, वित्तीय बाजारों को अस्थिर कर सकती हैं और सैन्य क्षमताओं को बदल सकती हैं, इसलिए भारत को कमजोरियों का आकलन करने, पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी को अपनाने और प्रौद्योगिकी तक पहुंच के लिए द्विपक्षीय साझेदारी बनाने की आवश्यकता है।
- उल्लेखनीय है कि पर्याप्त रूप से शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटर सार्वजनिक-की एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम को भी तोड़ सकता है, जिससे आधुनिक इंटरनेट सुरक्षा, ऑनलाइन बैंकिंग और सुरक्षित संचार अप्रचलित हो सकते हैं।
क्वांटम कंप्यूटिंग में दुनिया भर में सार्वजनिक निवेश:
- क्वांटम विकास में सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश तेजी से बढ़ा है, जिसमें 30 से अधिक सरकारों ने 40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करने का वादा किया है। चीन 15 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता के साथ सबसे आगे है, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 5 अरब डॉलर का निवेश किया है, और भारत 2023 में शुरू किए जाने वाले राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के माध्यम से मुख्य रूप से 75 करोड़ डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है।
- चीन और अमेरिका की तुलना में भारत के कम सार्वजनिक खर्च पर, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने “मितव्ययी नवाचार” में देश की सफलता की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि “यदि आप कुछ पैसे फेंकते हैं, तो आपको जरूरी नहीं कि एक अच्छा समाधान मिले। मुझे नहीं लगता कि अरबों डॉलर का कोई महत्व है। क्योंकि, मंगल ग्रह पर हमारा मिशन दुनिया में सबसे सस्ता था। मुझे यकीन है कि भारत वास्तव में बहुत किफायती समाधान लेकर आ सकता है”।
- नीति आयोग में प्रतिष्ठित फेलो और फ्रंटियर टेक हब की मुख्य वास्तुकार देबजानी घोष ने कहा, “क्वांटम दौड़ अभी शुरू भी नहीं हुई है। यह बहुत शुरुआती दिन हैं, और मुझे खुशी है कि क्वांटम मिशन के साथ हम आगे बढ़ पाए हैं। हम कम से कम इसके बारे में सोच रहे हैं और एक आधार तैयार कर रहे हैं”।
भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM):
- 6,003 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ NQM की स्थापना प्रमुख डोमेन, जैसे कंप्यूटिंग, संचार, सेंसर और सामग्री में क्वांटम-संबंधित क्षमताओं का निर्माण करने के लिए की गई थी। इस मिशन के तहत चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित व्यय को नवीनतम केंद्रीय बजट में 427 करोड़ रुपये से घटाकर 86 करोड़ रुपये कर दिया गया था। 2025-26 के लिए इसे बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये करने का अनुमान है।
- नीति आयोग की इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय क्वांटम मिशन ने बहुत पहले ही इस प्रवृत्ति को पकड़ लिया और उन्होंने निवेश भी जल्दी शुरू कर दिया। उनका एक विशिष्ट लक्ष्य है, जो हार्डवेयर समस्या को संबोधित करना था, क्योंकि यह क्वांटम विकास में एक प्रमुख चुनौती होने वाला है।
- वर्तमान में कंपनियां क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए अनुकूलित अल्ट्रा-हाई प्योरिटी सामग्री, क्रायोजेनिक सिस्टम, विशेष लेजर और कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही है। क्योंकि, इस विज्ञप्ति में क्वांटम प्रौद्योगिकियों पर निर्यात नियंत्रण में अपेक्षित वृद्धि को भी एक प्रमुख जोखिम के रूप में चिह्नित किया गया है।
विभिन्न देशों के समक्ष ‘रणनीतिक ब्लाइंड स्पॉट’ का जोखिम:
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वांटम प्रौद्योगिकी में प्रगति से देश को ‘तकनीकी आश्चर्य’ और ‘रणनीतिक ब्लाइंड स्पॉट’ के बढ़ते जोखिम का सामना करना पड़ेगा। क्वांटम संचालित प्रगति से ‘तकनीकी आश्चर्य’ राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और तकनीकी नेतृत्व को खतरे में डाल सकता है। ऐसे में इस विज्ञप्ति में क्वांटम प्रौद्योगिकियों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम को कम करने के लिए, ‘पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC)’ संक्रमण योजना विकसित करने की सिफारिश की है।
पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) क्या होता है?
- पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC), क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम को संदर्भित करता है जो क्वांटम कंप्यूटरों से होने वाले हमलों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे बेहतर डेटा सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- उल्लेखनीय है कि विभिन्न देश अपने डेटा की सुरक्षा के लिए PQC को विकसित करने और लागू करने की होड़ में हैं। ऐसे में जो देश पहले PQC में महारत हासिल करते हैं, वे अपनी महत्वपूर्ण जानकारी की सुरक्षा कर सकते हैं जबकि अन्य असुरक्षित रह सकते हैं।
भारत द्वारा ‘रणनीतिक ब्लाइंड स्पॉट’ को कम करने का प्रयास:
- उल्लेखनीय है कि भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में 170 से अधिक प्रोफेसर क्वांटम प्रौद्योगिकी डोमेन में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से, भारत के क्वांटम प्रयासों में प्रौद्योगिकी विकास और व्यावसायीकरण के बजाय आधारभूत विज्ञान पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इसमें आगे कहा गया है, हाल के वर्षों में, स्टार्ट-अप गतिविधि उभरी है, विशेष रूप से क्वांटम सॉफ़्टवेयर, एल्गोरिदम और क्वांटम-सुरक्षित क्रिप्टोग्राफी में, हालांकि ये उद्यम बड़े पैमाने पर बूटस्ट्रैप किए गए हैं या उन्हें सीमित निधि प्राप्त हुई है।
अमेरिका और चीन द्वारा इस दिशा में प्रयास:
- उल्लेखनीय है कि सरकारी सहायता और निजी क्षेत्र के निवेश के मिश्रण के माध्यम से क्वांटम नवाचार में अमेरिका अग्रणी है, जिसमें Google और IBM जैसी तकनीकी दिग्गज कंपनियां, PsiQuantum जैसे स्टार्टअप के साथ-साथ विविध क्वांटम तौर-तरीकों को आगे बढ़ा रही हैं।
- वहीं चीन में, क्वांटम विकास रणनीति केंद्रीकृत और राज्य-संचालित है, जिसमें USTC और झेजियांग विश्वविद्यालय जैसे संस्थान सफलताओं का नेतृत्व कर रहे हैं। क्वांटम वर्चस्व के लिए चीन की महत्वाकांक्ष, बड़े पैमाने के कार्यक्रमों और सैन्य-खुफिया एकीकरण प्रयासों में स्पष्ट है, जिसका उद्देश्य क्वांटम क्षमताओं की तेजी से तैनाती करना है।
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