भारत के वित्तीय भविष्य के लिए रिज़र्व बैंक गवर्नर का ‘पांच सूत्रीय’ एजेंडा:
परिचय:
- मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल 2024 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत के एक तेजी से बढ़ते आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने पर प्रकाश डाला, जो इसकी तकनीक-प्रेमी आबादी और तेजी से बढ़ते फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र से प्रेरित है।
- गवर्नर दास ने भारत में स्थापित 11,000 फिनटेक कंपनियों और पिछले तीन वर्षों में 6 बिलियन डॉलर के वित्तपोषण के साथ, भारत के वित्तीय परिदृश्य के भविष्य को आकार देने के लिए पाँच रणनीतिक प्राथमिकताओं: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को बढ़ाना, साइबर सुरक्षा को मजबूत करना, दीर्घकालिक संधारणीय वित्तीयन को बढ़ावा देना और वित्तीय अवसंरचना को मजबूत करना, को रेखांकित किया।
वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा देना:
- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया, जिसमें RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक मार्च 2021 में 53.9 से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 हो गया।
- इस उपलब्धि का केंद्र प्रधानमंत्री जन धन योजना है, जिसने अब एक दशक पूरा कर लिया है। इस योजना ने 53 करोड़ से अधिक खाते खोलने में मदद की है, जिनमें से 66% ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं और 55% महिलाओं को लाभान्वित कर रहे हैं। शुरुआती संदेह के बावजूद, जन धन खातों में महत्वपूर्ण बचत संचय देखा गया है, जो उनके प्रभाव को दर्शाता है।
- गवर्नर दास ने इस बात पर जोर दिया कि अगले दो दशक कम ध्यान वाले क्षेत्रों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा, जिसमें फिनटेक कंपनियां अंतराल को पाटने और वित्तीय सेवाओं तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को बढ़ाना:
- गवर्नर दास द्वारा पहचानी गई दूसरी प्राथमिकता डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को बढ़ाना है। उन्होंने भारत की वित्तीय प्रणाली में उन्नत तकनीकों को एकीकृत करने के लिए DPI की क्षमता पर प्रकाश डाला।
- ऐसी ही एक पहल है यूनिक लेंडिंग इंटरफेस (ULI) पर RBI की पायलट परियोजना, जिसे जल्द ही पूरे पैमाने पर लॉन्च किया जाएगा। मौजूदा JAM (जनधन-आधार-मोबाइल) ट्रिनिटी और UPI के साथ मिलकर, ULI भारत की वित्तीय सेवाओं में क्रांति लाएगा, जो देश की वित्तीय यात्रा में एक नए युग की शुरुआत करेगा।
साइबर सुरक्षा को मजबूत करना:
- डिजिटल युग में, साइबर सुरक्षा भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरी है। गवर्नर दास ने हाल ही में लागू डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम की ओर इशारा करते हुए वास्तविक समय की निगरानी और विनियामक अनुपालन के महत्व पर जोर दिया, जो व्यक्तियों को उनके डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करेगा, जिससे विश्वास बढ़ेगा।
- उल्लेखनीय है कि बैंकों और फिनटेक फर्मों, विशेष रूप से NBFC से ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की अपेक्षा की जाती है, जिससे वित्तीय उत्पादों और निष्पक्ष ऋण प्रथाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। साइबर खतरों के खिलाफ निरंतर सतर्कता और साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देना एक सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण में आवश्यक कदम हैं।
दीर्घकालिक संधारणीय वित्तीयन को बढ़ावा देना:
- गवर्नर दास ने दीर्घकालिक संधारणीय या सतत वित्तियन के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें रिज़र्व बैंक की ‘सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड’ और ‘ग्रीन डिपॉजिट’ जैसी पहलों का हवाला दिया गया।
- हालांकि गवर्नर ने माना की संधारणीय वित्तियन के क्षेत्र में स्केलेबिलिटी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, साथ ही ग्रीन बॉन्ड मार्केट को और भी विस्तार की आवश्यकता है, और इसमें प्रौद्योगिकी एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है।
- गवर्नर दास के अनुसार इस मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा, बैंकों और निवेशकों को पर्यावरणीय जोखिमों का आकलन करने में मदद कर सकते हैं, उम्मीद है कि फिनटेक कंपनियाँ अगले दो दशकों में संधारणीय वित्त में संक्रमण को गति देने में सहायक होंगी।
वित्तीय अवसंरचना को मजबूत करना:
- अंत में, गवर्नर दास ने भारत के वित्तीय बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेष रूप से सीमा पार भुगतान के क्षेत्र में। RBI UPI और RuPay को वास्तव में वैश्विक बनाने को प्राथमिकता दे रहा है, जो आगे बढ़ने का एक प्रमुख एजेंडा है।
- इसके अतिरिक्त, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सावधानीपूर्वक और संतुलित तरीके से अपनाने, इसके जोखिमों को समझने का आह्वान किया और वित्तीय क्षेत्र के लिए अवसर के अगले मोर्चे के रूप में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) की क्षमता पर प्रकाश डाला।
निष्कर्ष:
- GFF 2024 में गवर्नर शक्तिकांत दास के संबोधन में एक ऐसे भविष्य की कल्पना की गई है, जहाँ भारत में एक मजबूत और लचीली वित्तीय प्रणाली बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, समावेशन और संधारणीयता का संगम होगा। उल्लेखनीय है कि उनके द्वारा बताई गई प्राथमिकताएँ वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और इंटिग्रिटी सुनिश्चित करते हुए फिनटेक नवाचारों की पूरी क्षमता का दोहन करने के उद्देश्य से एक रणनीतिक रोडमैप को दर्शाती हैं।
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