अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा:
मामला क्या है?
- सोमवार को विदेशी बैंकों की ओर से लगातार डॉलर की मांग के कारण भारतीय रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.0725 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया, जो शुक्रवार को 84.07 के पिछले निचले स्तर से थोड़ा ही आगे निकल गया।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नियमित हस्तक्षेप के कारण स्थानीय मुद्रा का 84 से नीचे गिरना दो महीने से अधिक समय तक उस स्तर के आसपास रहने के बाद हुआ।
रुपये की कीमत में गिरावट का कारण क्या है?
- भारतीय रुपये की गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमे से कुछ प्रमुख कारण हैं:
- कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें: भारत पेट्रोलियम आयात पर बहुत ज़्यादा निर्भर करता है, और ऊंची कीमतें डॉलर की जरूरत को बढ़ाती हैं।
- विदेशी फंड का बहिर्वाह: वैश्विक निवेशक भारत से फंड निकाल रहे हैं और चीन में निवेश कर रहे हैं, जो चीन द्वारा हाल ही में अपनी धीमी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से किए गए मौद्रिक और राजकोषीय उपायों से आकर्षित हैं।
- विदेशी बैंकों से डॉलर की ज्यादा मांग: डॉलर की बढ़ती मांग ने भी रुपये पर दबाव डाला।
विदेशी निवेशक शेयर क्यों बेच रहे हैं?
- चीनी द्वारा अपनी धीमी होती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अनेक मौद्रिक और राजकोषीय उपायों की घोषणा के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ की रणनीति पर चल रहे हैं, क्योंकि वहां शेयर कीमत अब भी भारत से कम हैं।
- उल्लेखनीय है कि चालू महीने (11 अक्टूबर तक) में FPI ने 58,711 करोड़ रुपये के शेयर और 1,635 करोड़ रुपये के डेट बेचे हैं। FPI द्वारा शेयरों में की गई यह बिकवाली लगातार चार महीनों तक शेयरों की खरीद के बाद आई है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, जून से सितंबर के बीच विदेशी निवेशकों ने भारत में 1.24 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
रुपये का भविष्य क्या है?
- विश्लेषकों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता और डॉलर सूचकांक में उतार-चढ़ाव के कारण रुपये में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में समग्र गिरावट से रुपये को निचले स्तरों पर सहारा मिल सकता है।
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