भारत-चीन कूटनीतिक वार्ता में नरमी के संकेत:
चर्चा में क्यों है?
- भारतीय विदेश मंत्रालय के एक हालिया बयान के अनुसार भारत और चीन ने बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल करते हुए द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया है। इसमें इस वर्ष गर्मी से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करना, दोनों राजधानियों के बीच सीधी उड़ानें बहाल करना, पत्रकारों और थिंक टैंकों के लिए वीजा जारी करना और सीमा पार नदियों के आंकड़ों को साझा करना आदि शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि ये फैसले विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा हाल ही में चीन यात्रा के दौरान चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदॉन्ग, विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद लिए गए। हालांकि दोनों देशों के बयानों के बारीक अध्ययन से उनके दृष्टिकोण में समानता और भिन्नता का पता चलता है।
बैठक की निष्कर्षों के रूपरेखा पर भिन्नता:
- उल्लेखनीय है कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान में हुई “सहमति” के बारे में बात की, चीन ने नेताओं द्वारा बनाई गई “महत्वपूर्ण सहमति” के बारे में बात की।
- भारत ने कहा कि उन्होंने “भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की” और संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण करने के लिए कुछ “जन-केंद्रित कदम” उठाने पर सहमति व्यक्त की। इसलिए, भारत का ध्यान “समीक्षा” और “जन-केंद्रित कदमों” पर है। जबकि चीन ने कहा कि वे चीन-भारत संबंधों के “सुधार और विकास” के उपायों पर चर्चा कर रहे हैं, और दोनों पक्ष विशिष्ट उपायों पर “आम सहमति” पर पहुंच गए हैं।
- इस प्रकार, भारत का बयान अधिक सूक्ष्म और सतर्क है, जबकि चीन ने वार्ता का अधिक आशावादी आकलन किया है।
मानसरोवर यात्रा, सीधे उड़ान सुविधा बहाल करने का मुद्दा:
कैलाश मानसरोवर यात्रा का मुद्दा:
- कैलाश मानसरोवर यात्रा पर, दोनों बयान लगभग एक दूसरे से मिलते जुलते हैं, लेकिन चीनी बयान में ज़्यादा तत्परता दिखाई देती है।
- भारतीय बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने “2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का फ़ैसला किया है; संबंधित तंत्र मौजूदा समझौतों के अनुसार ऐसा करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करेगा”।
- जबकि चीनी बयान में कहा गया है कि “दोनों पक्ष 2025 में चीन के ज़िज़ांग स्वायत्त क्षेत्र में कैलाश मानसरोवर की भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं, और ‘जल्द से जल्द’ संबंधित व्यवस्थाओं पर चर्चा करेंगे”।
सीधी उड़ानों को बहाल करने का मुद्दा:
- सीधी उड़ानों पर, दोनों बयानों को ध्यान से देखने ने से पता चलता है कि भारत एक नया समझौता चाहता है, जबकि चीन ने इसे वीज़ा और निवासी पत्रकारों से जोड़ा है।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 तक दोनों देशों के बीच चीनी और भारतीय एयरलाइनों की हर महीने 539 निर्धारित सीधी उड़ानें थीं। लेकिन 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान इन्हें रोक दिया गया था और जून 2020 में गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद इन्हें फिर से शुरू नहीं किया गया।
- इसको शुरू करने के मामले में भारतीय बयान में कहा गया कि “वे दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए; दोनों पक्षों के संबंधित तकनीकी अधिकारी जल्द ही इस उद्देश्य के लिए एक अद्यतन रूपरेखा पर मिलेंगे और बातचीत करेंगे”। जबकि चीन ने कहा कि “दोनों पक्ष चीनी और भारत के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने, दोनों देशों के सक्षम अधिकारियों को समन्वय करने और इसे आगे बढ़ाने में सहायता करने और कर्मियों के प्रवाह के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए उपाय करने पर सहमत हुए हैं”।
सीमा पार नदियों से जुड़े मुद्दे:
- ब्रह्मपुत्र जैसी सीमा पार नदियों पर, दोनों पक्षों ने भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की जल्द ही बैठक आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। इसमें नदी से जुड़े डेटा साझा करना शामिल होगा, जो हाल ही में एक मुद्दा रहा है।
- जनवरी माह की शुरुआत में, चीन द्वारा भारतीय सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी देने के कुछ दिनों बाद, भारत ने कहा कि उसने चीनी पक्ष को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है।
- उल्लेखनीय है कि बांध परियोजना के बारे में चीनी पक्ष द्वारा भारत को सूचित नहीं किया गया था, जो कि दोनों देशों के बीच की परंपरा है, और मीडिया रिपोर्टों से इसके बारे में पता चला। भारतीय अधिकारियों ने तब अपने चीनी समकक्षों से पहले से जानकारी साझा करने और भारत और बांग्लादेश से परामर्श करने के बारे में संपर्क किया। ऐसे में यदि विशेषज्ञ-स्तरीय तंत्र नियमित रूप से मिलते हैं और जानकारी साझा करते हैं तो ऐसा कुछ रोका जा सकता है।
दोनों देशों के वक्तव्यों में समग्र दृष्टिकोण को लेकर अंतर:
- अपने बयान में भारत “सीमा की स्थिति” का हवाला देते हुए ‘हित’ और ‘चिंता’ के क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए “चरण-दर-चरण” दृष्टिकोण चाहता है। भारतीय वक्तव्य में कहा गया कि “दोनों पक्षों ने कार्यात्मक आदान-प्रदान के लिए मौजूदा तंत्रों का जायजा लिया। इन संवादों को ‘चरण-दर-चरण’ फिर से शुरू करने और एक-दूसरे के हित और चिंता के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए उनका उपयोग करने पर सहमति हुई”।
- वहीं अपनी ‘दीर्घकालिक दृष्टिकोण’ वाली रणनीति पर कायम रहते हुए, चीनी वक्तव्य में कहा गया कि “चीनी पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को दोनों देशों और दोनों लोगों के मौलिक हितों के आधार पर और ‘रणनीतिक ऊंचाई’ और ‘दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य’ से चीन-भारत संबंधों को देखना और संभालना चाहिए, एक स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना चाहिए, सकारात्मक तरीके से जनमत का मार्गदर्शन करना चाहिए, आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए और मतभेदों को ठीक से संभालना चाहिए, ताकि चीन-भारत संबंधों के विकास को स्वस्थ और स्थिर ट्रैक पर बढ़ावा दिया जा सके”।
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