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इजरायल पर हमास के क्रूर आतंकवादी हमले के एक साल बाद की वस्तुस्थिति:

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इजरायल पर हमास के क्रूर आतंकवादी हमले के एक साल बाद की वस्तुस्थिति: 

परिचय:

  • 7 अक्टूबर को इजरायल-हमास युद्ध की पहली वर्षगांठ है, दुनिया भर के प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और हजारों लोग सड़कों पर उतरकर गाजा और व्यापक मध्य पूर्व में रक्तपात को समाप्त करने का आग्रह कर रहे हैं।
  • एक वर्ष पहले हमास द्वारा इजरायल पर क्रूर आतंकी हमले, उसके बाद गाजा में इजरायल द्वारा प्रतिशोध, लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल के सैन्य अभियान का विस्तार, और इजरायल और ईरान के बीच मिसाइलों के युद्ध ने मध्य पूर्व को एक क्षेत्रीय युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है, जिसके पूरे विश्व के लिए घातक परिणाम होंगे।

अब तक मरने वालों की संख्या कितनी है?   

  • उल्लेखनीय है कि हिंसा के पारंपरिक मानकों के अनुसार भी मध्य पूर्व में, संघर्ष के मौजूदा चक्र की लागत बहुत अधिक है।
  • 7 अक्टूबर, 2023 से, जब हमास के आतंकवादियों ने इजरायल पर हमला किया, तब से इजरायल के आंकड़ों के अनुसार, 1,200 से अधिक इजरायली मारे गए हैं और 250 को बंधक बनाया गया है, जबकि गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के हमलों में लगभग 42,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं। युद्धग्रस्त क्षेत्रों में लगभग 23 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जिससे भूख का संकट पैदा हो गया है और हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इसको लेकर नरसंहार के आरोप लगे हैं, जिसका इजरायल ने खंडन किया है।

  • हाल फ़िलहाल में लेबनान में भी मौतों का आंकड़ा बढ़ना शुरू हो गया है, जहां हिजबुल्लाह को खत्म करने के लिए इजरायल का चल रहा जमीनी आक्रमण लेबनान को गाजा की तरह निर्जन क्षेत्र में बदल रहा है।
  • यदि इजरायल और इस्लामिक रिपब्लिक ईरान युद्ध के अगले चरण में एक दूसरे को नष्ट करने के अपने घोषित इरादे पर अड़े रहे तो उपर्युक्त वर्णित विनाश के आंकड़े, संभावित क्षेत्रीय नरसंहार के पैमाने के सामने फीके पड़ जाएंगे।

7 अक्टूबर के काले दिन को क्या हुआ था?

  • एक साल पहले नेगेव रेगिस्तान में सुबह का समय था, लेकिन सुपरनोवा उत्सव में थिरकते ट्रान्स संगीत में खोए हुए पार्टी करने वालों के लिए, पिछली रात अभी खत्म नहीं हुई थी। जल्द ही, यह “एकता और प्रेम की यात्रा” कोहराम और मौत में डूब गई।
  • सुबह लगभग 6:30 बजे, हमास के लड़ाकों ने गाजा-इजरायल के बीच सुरक्षा बाड़ों को तोड़ दिया, उनकी मशीनगनों ने भ्रमित, भयभीत उत्सव में शामिल 364 लोगों और आस-पास के किबुत्ज़ समुदायों के सैकड़ों लोगों को मार गिराया।
  • कुल मिलाकर, 1,200 लोग मारे गए और 251 अन्य का अपहरण कर लिया गया। यह न केवल इजराइल का सबसे भयानक आतंकवादी हमला था; यह इजरायल की 1 करोड़ की आबादी के लिए, कम से कम 1970 के बाद से, जबसे मैरीलैंड विश्वविद्यालय के वैश्विक आतंकवाद डेटाबेस की शुरुआत हुई थी, दुनिया का सबसे घातक प्रति व्यक्ति हमला था।
  • यह एक डरावनी और विनाश की कहानी है। ये कहानियाँ और दर्द इजरायलियों के लिए भूलने से परे हैं, जिनमें से कई अपने को हमास आतंकवादियों द्वारा घिरे हुए महसूस करते हैं जो उनका सफाया करना चाहते हैं।

  • इस बीच, पूरे क्षेत्र में ईरान समर्थित आतंकी समूहों ने अलग-अलग स्तरों पर फिलिस्तीनियों की रक्षा के नाम पर इजरायल पर हमले किये है।

7 अक्टूबर के बाद से अब तक का प्रमुख घटनाक्रम:

लाल सागर में हूती हमले और अमेरिकी जबाबी कार्यवाही:

  • यमन स्थित हूती गाजा में हमास के साथ एकजुटता के रूप में लाल सागर में शिपिंग मार्गों पर हमले कर रहे हैं।
  • अमेरिका, ब्रिटेन और 12 अन्य देशों ने इस साल की शुरुआत में हूतीयों के खिलाफ लाल सागर शिपिंग लेन की रक्षा के लिए ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्डियन शुरू किया था।

गाज़ा में अल शिफा अस्पताल पर हमला:

  • गाज़ा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफा पर पिछले साल 15 नवंबर को इजरायल ने हमला कर दिया था, जिसमें बिजली और आपूर्ति में कटौती के कारण तीन नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। हमास के अनुसार, अस्पताल के अंदर लगभग 650 मरीज और 5000-7000 विस्थापित नागरिक फंस गए थे, जो लगातार स्नाइपर और ड्रोन से गोलीबारी की चपेट में थे।
  • यह अस्पताल, गाजा की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की आधारशिला है, जो लड़ाई और लगातार इजरायली बमबारी से विस्थापित लोगों के लिए आश्रय के रूप में काम करता था।

युद्ध विराम वार्ता और चार दिवसीय अस्थायी युद्ध विराम:

  • लगभग 48 दिनों की लड़ाई के बाद, इजरायल सरकार और हमास ने लड़ाई में चार दिन के अस्थायी विराम पर सहमति जताई और गाजा में बंधक बनाए गए 200 से अधिक लोगों में से 50 को रिहा कर दिया, बदले में इजरायल में कैद 150 फिलिस्तीनियों को रिहा कर दिया। युद्ध विराम की मध्यस्थता कतर, मिस्र और संयुक्त राज्य अमेरिका ने की थी।
  • इस साल जून में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने युद्ध विराम योजना का समर्थन करते हुए अपने पहले प्रस्ताव को मंजूरी दी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से योजना को स्वीकार करने का आग्रह किया, लेकिन वे इस समझौते पर संदेह जताते रहे हैं, उनका कहना है कि इजरायल अभी भी हमास को नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध है।इजरायल ने किसी भी पूर्ण युद्ध विराम के आह्वान को हमास के लिए लाभकारी बताते हुए खारिज कर दिया है।

ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की हत्या:

  • इस साल 1 अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इजरायली हमले में कम से कम 11 लोग मारे गए, जिनमें ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जहेदी भी शामिल थे, जो ईरान के सर्वोच्च सैन्य अधिकारी थे। जहेदी ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) में वरिष्ठ कमांडर थे।
  • कुछ ही हफ्तों में, ईरान ने जवाबी कार्रवाई में 300 से अधिक क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों, रॉकेट का उपयोग करके इजरायल पर हवाई हमला किया।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने क्या कहा?

  • 19 जुलाई को, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने कहा कि पश्चिमी तट और पूर्वी यरुशलम पर इजरायल का कब्जा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, और फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इसकी उपस्थिति “जितनी जल्दी हो सके” समाप्त होनी चाहिए।

हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह की मौत, ईरान का बदला और इजरायल की धमकी:

  • 18 सितंबर को लेबनान में ईरान समर्थित आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह द्वारा इस्तेमाल किए गए पेजर फट गए, जिसमें आम नागरिकों सहित 12 लोग मारे गए।
  • बाद में, इजरायल द्वारा लेबनान में किए गए मिसाइल हमलों की एक श्रृंखला में, हिजबुल्लाह के लंबे समय तक नेता रहे हसन नसरल्लाह की 27 सितंबर को हत्या कर दी गई। 32 से अधिक वर्षों तक आतंकवादी समूह का नेतृत्व करने वाले नसरल्लाह ने समूह के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मध्य पूर्व में सबसे प्रभावशाली और सबसे प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक थे।
  • रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के डिप्टी कमांडर अब्बास निलफोरुशन की एक सप्ताह पहले इजरायली हमलों में मौत हो गई थी, जबकि हमास नेता इस्माइल हनीया की इस साल जुलाई में हत्या कर दी गई थी।
  • इस हमले के जवाबी कार्रवाई में ईरान ने 1 अक्टूबर को इजरायल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिनमें से अधिकांश को इजरायल की उन्नत रक्षा प्रणालियों ने रोक दिया।
  • इजरायल के प्रधानमंत्री ने ईरान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि तेल अवीव पर हमला करके उसने “बड़ी गलती” की है और ईरान के मिसाइल हमले का बदला लेने की कसम खाई।

मध्य पूर्व में क्षेत्रीय युद्ध का खतरा:

  • उल्लेखनीय है कि मध्यपूर्व की वर्तमान स्थिति को दोषी कौन है, इसे किसने शुरू किया ये सब प्रश्न, सदियों पुरानी शिकायतों और धार्मिक, जातीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रवादी आक्रोश में निहित चरम हिंसा के आधुनिक इतिहास से त्रस्त मध्य पूर्व में क्षेत्र में वर्तमान में कोई मायने नहीं रखता है।
  • ईरान में मौलवी-मुल्लाओं का शासन द्वारा इस्लाम के नाम पर क्षेत्रीय वर्चस्व की खोज, और पूर्ण सुरक्षा की अपनी अडिग खोज में फिलिस्तीनी लोगों की आकांक्षाओं को समायोजित करने से इजरायल के इनकार ने, सामान्य समझ के लिए बहुत कम जगह छोड़ी है।
  • इस बीच, ईरान और इजरायल में वैचारिक अतिवाद की बढ़ती प्रमुखता ने केवल एक व्यापक युद्ध के प्रलोभन को मजबूत किया है।
  • युद्ध विराम को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक प्रभाव रखने वाला एकमात्र देश अमेरिका, इजरायल युद्ध विराम को अपनाने और कूटनीति के लिए कुछ जगह बनाने के लिए मनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। यदि राष्ट्रपति जो बिडेन के संयम के आह्वान को इजरायल में अनसुना कर दिया गया है, तो रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इजरायल को ईरान के साथ बड़े पैमाने पर टकराव शुरू करने के लिए उकसा रहे हैं।

मध्य पूर्व की विस्फोटक परिस्थितियों के संदर्भ में भारत के पास विकल्प:

  • मध्य पूर्व में जब क्षेत्रीय महायुद्ध की स्थिति है, तो इस क्षेत्र में भारत के आज जितने बड़े हित दांव पर हैं, उतने पहले कभी नहीं रहे।
  • खाड़ी क्षेत्र में लगभग 1करोड़ भारतीय रहते हैं, देश की अर्थव्यवस्था तेल की कीमतों के प्रति बेहद संवेदनशील है, और इस क्षेत्र में व्यापार और निवेश संबंधों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, इसलिए भारत को इस क्षेत्र में विनाश की स्थिति को रोकने में अपना योगदान देना होगा।
  • अब तक, भारत ईरान और इजरायल की खतरनाक नीतियों को उजागर करने से कतराता रहा है, जो मध्य पूर्व में मौजूदा त्रासदी का कारण बन रही हैं। लेकिन अब चुप रहना कोई विकल्प नहीं है।
  • ईरान और इजरायल को रसातल से वापस आने के लिए दबाव डालते हुए, भारत को इस क्षेत्र में भारत के सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों – मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित उदारवादी अरब राज्यों के साथ हाथ मिलाना चाहिए – ताकि हालात को शांत करने और क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए रास्ते बनाने में मदद मिल सके।

 

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