स्मार्ट सिटी मिशन 10 वर्षों बाद, 31 मार्च को समाप्त होने वाला है:
मामला क्या है?
- दस साल पहले शुरू हुए और तीन बार विस्तार के बाद स्मार्ट सिटीज मिशन 31 मार्च को समाप्त होने वाला है। इस मिशन को 2015 में 100 स्मार्ट शहर बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि जनवरी 2016 से जून 2018 तक आयोजित प्रतियोगिता के दौर में शहरों का चयन किया गया था और परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उनके पास अपने-अपने चयन से पांच साल, यानी 2021 से 2023 तक का समय था। 2021 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने सभी 100 शहरों के लिए समय सीमा को जून 2023 तक बढ़ाने का फैसला किया। समय सीमा को आगे बढ़ाकर 30 जून, 2024 और फिर 31 मार्च, 2025 कर दिया गया।
- अब, मिशन के लिए निर्धारित कुल 48,000 करोड़ रुपये के केवल 1% से भी कम की मंजूरी बची है, जिसे भी 31 मार्च से पहले मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिससे मिशन प्रभावी रूप से समाप्त हो जाएगा।
स्मार्ट सिटी मिशन में अब तक क्या हुआ है?
- उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 शहरों में लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये की लागत से 8,000 से अधिक बहु-क्षेत्रीय परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।
- स्मार्ट सिटीज मिशन डैशबोर्ड के अनुसार, शहरों ने 1.50 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 7,491 परियोजनाएं पूरी कर ली हैं, जबकि 14,357 करोड़ रुपये की लागत वाली 567 परियोजनाएं (7%) अभी भी चल रही हैं।
- परियोजनाओं की श्रेणियों में, जल, सफाई और स्वास्थ्य परियोजनाओं पर अब तक सबसे अधिक व्यय (46,730 करोड़ रुपये) हुआ है, इसके बाद स्मार्ट मोबिलिटी (37,362 करोड़ रुपये) और स्मार्ट गवर्नेंस (16,262 करोड़ रुपये) का स्थान है।
स्मार्ट सिटी मिशन क्या है?
- स्मार्ट सिटी मिशन भारत के शहरी विकास में एक नया प्रयोग है। जून 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, मिशन ने कई नवीन विचारों को अमल में लाने का प्रयास किया है, जैसे कि 100 स्मार्ट शहरों के चयन के लिए शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा, हितधारकों द्वारा संचालित परियोजना चयन, कार्यान्वयन के लिए स्मार्ट सिटी स्पेशल पर्पज व्हीकल्स का गठन, शहरी शासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधानों का असरदार तरीके से इस्तेमाल आदि।
- 100 शहरों में से प्रत्येक ने परियोजनाओं का एक विविध सेट विकसित किया है, जिनमें से कई बहुत ही अनोखी हैं और पहली बार लागू की जा रही हैं।
स्मार्ट सिटी की अवधारणा क्या है?
- स्मार्ट सिटी अपनी सबसे अहम जरूरतों एवं जीवन में सुधार करने के लिए सबसे बड़े अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। इस मिशन का उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देने का है जो मूल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएँ और अपने नागरिकों को एक सभ्य गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करें, एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण एवं ‘स्मार्ट’ समाधानों के प्रयोग का मौका दें।
- विशेष ध्यान टिकाऊ और समावेशी विकास पर है और एक रेप्लिकेबल मॉडल बनाने के लिए है जो ऐसे अन्य इच्छुक शहरों के लिए प्रकाश पुंज का काम करेगा।
- स्मार्ट सिटी मिशन के कोर बुनियादी सुविधाओं के तत्व:
- पर्याप्त पानी की आपूर्ति
- निश्चित विद्युत आपूर्ति
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता
- कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन
- किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए
- सुदृढ़ आई टी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण
- सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
- टिकाऊ पर्यावरण
- नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा, और
- स्वास्थ्य और शिक्षा।
स्मार्ट सिटी मिशन की आवश्यकता क्यों है?
- भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% को शहरों में बसता है और इनका सकल घरेलू उत्पाद में 63% (जनगणना 2011) का योगदान हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्रों में भारत की आबादी का 40% रहेगा और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 75% का होगा।
- इसके लिए भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के व्यापक विकास की आवश्यकता है। ये सभी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं विकास एवं प्रगति के एक गुणी चक्र की स्थापना करने में महत्वपूर्ण हैं।
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