श्रीलंका के राष्ट्रपति की भारत यात्रा भारत-श्रीलंका संबंधों में एक नया अध्याय:
परिचय:
- श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात किया, जिसमें भारत और श्रीलंका के बीच विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किया गया। राष्ट्रपति दिसानायके 15 दिसंबर शाम को नई दिल्ली पहुंचे और 15 से 17 दिसंबर तक भारत की राजकीय यात्रा पर हैं।
- उल्लेखनीय है कि सितंबर में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा भारत की है। यह इस बात का संकेत है कि नए श्रीलंकाई राष्ट्रपति, भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को कितना महत्व देते हैं।
भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की स्थिति क्या है?
- उल्लेखनीय है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति की यह यात्रा हिंद महासागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के चीन के प्रयासों पर चिंताओं के बीच हुई है। अगस्त 2022 में, हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज ‘युआन वांग’ के डॉकिंग के बाद भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया था।
- हालांकि, 2022 में, श्रीलंका के संप्रभु डिफ़ॉल्ट होने के बाद, वहां वित्तीय अराजकता और नागरिक अशांति फैल गई। 2022 में नागरिक अशांति के परिणामस्वरूप पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पद से हटा दिया गया।
- श्रीलंका को गहरे आर्थिक संकट से उबारने में मदद करते हुए, भारत ने 4 अरब डॉलर की सहायता भेजी थी।
- श्रीलंका के लिए भारत की आपातकालीन सहायता और ‘पड़ोस पहले नीति’ में श्रीलंका का महत्व, संभवतः यही कारण है कि राष्ट्रपति दिसानायके ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को गंतव्य के रूप में चुना।
भारत की सुरक्षा चिंता को लेकर श्रीलंका का बड़ा आश्वासन:
- श्रीलंका के राष्ट्रपति ने 16 दिसंबर को भारत को आश्वासन दिया कि वह अपनी भूमि का किसी भी तरह से भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए उपयोग नहीं होने देगा। राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया है कि हम अपनी भूमि का किसी भी तरह से उपयोग नहीं होने देंगे, जो भारत के हितों के लिए हानिकारक हो”।
- हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी नियंत्रण का मुद्दा:
- उल्लेखनीय है कि हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी नियंत्रण से भारत के लिए उत्पन्न सुरक्षा चुनौती ने भारत और श्रीलंका के बीच एक कूटनीतिक विवाद को जन्म दिया है।
- चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर अपने कब्जे में ले लिया है, क्योंकि श्रीलंका इस बंदरगाह के निर्माण के लिए लिए गए 1.7 अरब डॉलर के ऋण के लिए सालाना 10 करोड़ डॉलर चुकाने में सक्षम नहीं था।
भारत-श्रीलंका के मध्य संयुक्त वक्तव्य:
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति दिसानायका, दोनों ने इस बात की पुष्टि की कि भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय साझेदारी गहरी सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों, भौगोलिक निकटता और लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है।
- राष्ट्रपति दिसानायका ने 2022 में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौरान और उसके बाद श्रीलंका के लोगों को भारत द्वारा दिए गए अटूट समर्थन के लिए अपनी गहरी सराहना व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति दिसानायका को इस संबंध में भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया, जो भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘सागर’ दृष्टिकोण में श्रीलंका के विशेष स्थान को ध्यान में रखते हुए है।
भारत-श्रीलंका के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति:
- राजनीतिक आदान-प्रदान: पिछले दशक में बढ़े राजनीतिक संपर्कों और द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए, दोनों नेताओं ने नेतृत्व और मंत्री स्तर पर राजनीतिक जुड़ाव को और बढ़ाने पर सहमति जताई।
- विकास सहयोग: दोनों नेताओं ने श्रीलंका को भारत की विकास सहायता की सकारात्मक और प्रभावशाली भूमिका को स्वीकार किया जिसने इसके सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति दिसानायका ने भारत के उन परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता बढ़ाने के निर्णय को स्वीकार किया जो मूल रूप से ऋण सहायता के माध्यम से शुरू की गई थी, जिससे श्रीलंका का ऋण बोझ कम हो गया।
- ऋण पुनर्गठन:
- राष्ट्रपति दिसानायका ने आपातकालीन वित्तपोषण और 4 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा सहायता सहित अद्वितीय और बहुआयामी सहायता के माध्यम से श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में भारत के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।
- दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि विभिन्न क्षेत्रों में ऋण-संचालित मॉडल से निवेश-आधारित भागीदारी की ओर एक रणनीतिक बदलाव श्रीलंका में आर्थिक सुधार, विकास और समृद्धि के लिए एक अधिक टिकाऊ मार्ग सुनिश्चित करेगा।
- ऊर्जा विकास: ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की:
- सामपुर में सौर ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाना;
- भारत से श्रीलंका को एलएनजी की आपूर्ति;
- भारत और श्रीलंका के बीच उच्च क्षमता वाले पावर ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना; और
- सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए भारत से श्रीलंका तक एक बहु-उत्पाद पाइपलाइन को लागू करने के लिए भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच सहयोग।
- व्यापार और निवेश सहयोग: दोनों नेताओं ने सराहना की कि भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (ISFTA) ने दोनों देशों के बीच व्यापार साझेदारी को बढ़ाया है। दोनों नेताओं ने निम्नलिखित प्रतिबद्धताओं के माध्यम से व्यापार साझेदारी को और बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की :
- आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग समझौते पर चर्चा जारी रखना।
- दोनों देशों के बीच INR-LKR व्यापार समझौतों को बढ़ाना।
- श्रीलंका की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करना।
- सामरिक एवं रक्षा सहयोग: भारत और श्रीलंका के साझा सुरक्षा हितों को मान्यता देते हुए, दोनों नेताओं ने आपसी विश्वास और पारदर्शिता पर आधारित नियमित संवाद के महत्व को स्वीकार किया तथा एक-दूसरे की सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता दी।
- मछुआरों का मुद्दा: दोनों पक्षों के मछुआरों के समक्ष आने वाली समस्याओं को स्वीकार करते हुए तथा आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, दोनों नेताओं ने मानवीय तरीके से इनका समाधान जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में, उन्होंने किसी भी आक्रामक व्यवहार या हिंसा से बचने के लिए उपाय करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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