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भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की वस्तुस्थिति:

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भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की वस्तुस्थिति:

परिचय:

  • अनौपचारिक क्षेत्र भारत के आर्थिक उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा और रोजगार का तीन-चौथाई से ज़्यादा हिस्सा के लिए जिम्मेदार है। लेकिन इस क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है – पिछले सात सालों में, कई इकाइयां बंद हो गई है और लगभग 16.45 लाख नौकरियां चली गई है, जैसा कि ‘अनिगमित उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASUSE)’ के आंकड़ों से पता चलता है।
  • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा हाल ही में वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के ASUSE सर्वेक्षणों के परिणाम जारी किए गए। ये आंकड़े अर्थव्यवस्था को लगे तीन बड़े बाहरी झटकों – नोटबंदी (नवंबर 2016), जीएसटी का क्रियान्वयन (जुलाई 2017) और कोविड-19 महामारी (मार्च 2020 से शुरू) के प्रभाव को दर्शाते हैं।

अनिगमित उद्यम क्या होता है?

  • अनिगमित उद्यम, असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यम हैं, जिनमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), किराए पर काम करने वाले श्रमिकों सहित घरेलू इकाइयाँ और स्वयं के खाते वाले उद्यम शामिल हैं।
  • अर्थव्यवस्थाओं के विकास के साथ असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र का आकार धीरे-धीरे कम होता जाता है, लेकिन इसको लेकर विभिन्न देशों में व्यापक भिन्नताएँ होती हैं। अनौपचारिक क्षेत्र आज भी निम्न और मध्यम आय वाले देशों की आर्थिक गतिविधि का लगभग एक तिहाई हिस्सा है जबकि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 15 प्रतिशत है।

 अनिगमित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASUSE):

  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 के बाद से, जिसके बाद NSSO ने वार्षिक सर्वेक्षण करने का फैसला किया था, अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र के उद्यमों पर जारी की जाने वाली यह पहली रिपोर्ट हैं।
  • यह सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रों – विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवाएँ- में असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठानों के लिए किए गए।

सर्वेक्षण के आंकड़े रोजगार को लेकर क्या प्रमुख रुझान दर्शाते हैं?

  • जबकि 2022-23 और 2015-16 दोनों में पिछले दौर की तुलना में अनौपचारिक क्षेत्र में उद्यमों की संख्या में वृद्धि हुई, लेकिन रोजगार में कमी दर्ज की गई है।
  • 2022-23 में अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों की संख्या 2015-16 में 11.13 करोड़ से 16.45 लाख (1.5%) घटकर 10.96 करोड़ हो गई। असंगठित उद्यमों की संख्या 2015-16 में 6.33 करोड़ से 2022-23 में 16.56 लाख बढ़कर 6.50 करोड़ हो गई।
  • उल्लेखनीय है कि सात साल की अवधि के दौरान खुद के खाते वाले उद्यमों में लगभग 4% की वृद्धि हुई, जबकि किराए पर काम करने वाले उद्यमों में 3.2% की कमी आई।
  • यह रोजगार की गुणवत्ता में गिरावट को दर्शाता है क्योंकि इकाइयां स्वयं-स्वामित्व वाली इकाइयों की ओर स्थानांतरित हो गई थी, अर्थात, किराए पर काम करने वाली इकाइयों के बजाय घर या एक-व्यक्ति इकाइयां में।
  • जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था अधिक पूंजी-प्रधान विनिर्माण की ओर बढ़ी, आंकड़े बताते हैं कि असंगठित क्षेत्र में श्रम-प्रधान विनिर्माण में रोजगार में गिरावट आई है।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में क्या रुझान है?

  • विनिर्माण इकाइयों पर सबसे बुरा असर पड़ा, जो 2022-23 और 2015-16 के बीच 9.3% घटकर 1.78 करोड़ रह गईं। इस अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या 15% घटकर 3.06 करोड़ रह गई।
  • व्यापार क्षेत्र की इकाइयों में कुछ हद तक कमी आई है – 2022-23 में 2.26 करोड़ है, जो 2015-16 के 2.3 करोड़ से 2% की गिरावट है। इस अवधि में श्रमिकों की संख्या में मामूली 0.8% की वृद्धि हुई और यह 3.90 करोड़ हो गई।
  • दूसरी ओर, सेवा क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में इकाइयों और श्रमिकों दोनों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई – क्रमशः 19.1% बढ़कर 2.46 करोड़ और 9.5% बढ़कर लगभग 4 करोड़ हो गई।

राज्यों में अनौपचारिक रोजगार का पैटर्न क्या रहा है?

  • 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से सोलह (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पास तुलनीय आंकड़े नहीं हैं) ने 2022-23 में असंगठित उद्यमों पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 73वें दौर के आंकड़े (2015-16) की तुलना में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों में गिरावट दर्ज की। महामारी के तुरंत बाद अधिकांश राज्यों में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की हिस्सेदारी बढ़ गई, जो आर्थिक संकट और औपचारिक क्षेत्र से दूर जाने का संकेत है।

आउटपुट पर आंकड़े क्या दर्शाते हैं?

  • वर्तमान मूल्यों पर, प्रति उद्यम सकल मूल्य वर्धन (GVA) 2015-16 में 1.82 लाख रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2.38 लाख रुपये हो गया, जबकि प्रति श्रमिक GVA 1.04 लाख रुपये से बढ़कर 1.42 लाख रुपये हो गया।
  • हालांकि, वास्तविक रूप से विकास बहुत धीमा था। असंगठित क्षेत्र के उद्यमों का वास्तविक GVA 2022-23 में 6.9% बढ़ा, जो अभी भी महामारी-पूर्व स्तर से कम था।

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