जेड (Z)-मोड़ सुरंग परियोजना का देश के लिए रणनीतिक महत्व:
चर्चा में क्यों है?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में जेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन किया जाना, जो श्रीनगर और लद्दाख के बीच हर मौसम में संपर्क सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 6.5 किलोमीटर लंबी, दो लेन वाली सुरंग श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और इस क्षेत्र में यात्रा को बदलने का वादा करती है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के तहत 2015 में शुरू की गई यह परियोजना पिछले साल 2,400 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई थी।
जेड-मोड़ सुरंग परियोजना क्या है?
- 8,652 फीट की ऊंचाई पर बनी जेड-मोड़ सुरंग गगनगीर और सोनमर्ग को जोड़ती है, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। ‘जेड-मोड़’ नाम निर्माण स्थल के पास जेड-आकार के सड़क खंड को संदर्भित करता है।
- उल्लेखनीय है कि जिस क्षेत्र में सुरंग का निर्माण किया जा रहा है वह 8,500 फ़ीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और हिमस्खलन की आशंका रहती है, जिससे सर्दियों में सोनमर्ग तक जाने वाली सड़क पर आवागमन असंभव हो जाता है।
- ज़ेड-मोड़ सुरंग से सोनमर्ग को साल भर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाने की उम्मीद है, साथ ही इसे स्कीइंग और सर्दियों के खेल के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। जिन निवासियों को पहले सर्दियों के दौरान क्षेत्र छोड़ना पड़ता था, अब उन्हें निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
ज़ेड-मोड़ सुरंग का रणनीतिक महत्व क्या है?
- उल्लेखनीय है कि ज़ेड-मोड़ सुरंग हिमालयी क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने और लद्दाख तक पहुँच को बेहतर बनाने के लिए केंद्र की व्यापक पहल का हिस्सा है। ये परियोजनाएँ भारत-चीन सीमा सड़क पहल का भी हिस्सा हैं, जो संवेदनशील क्षेत्रों में रणनीतिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर केंद्रित है।
- यह सुरंग जम्मू एवं कश्मीर में ‘जोजिला सुरंग’ परियोजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य श्रीनगर से लद्दाख तक पूरे साल हर मौसम में संपर्क प्रदान करना है।
- इसके साथ ही निर्माणाधीन अतिरिक्त सुरंगों में मनाली-लेह मार्ग पर बारालाचा ला, तंगांग ला और लाचुंग ला सुरंगें शामिल हैं।
- ‘जोजिला सुरंग’ परियोजना: कश्मीर घाटी में सोनमर्ग को लद्दाख में द्रास से जोड़ने वाली लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर जोजिला सुरंग का निर्माण चल रहा है और इसकी दिसंबर 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है।
- एक बार पूरी तरह चालू हो जाने पर, ये सुरंगें भारत के रक्षा ढांचे को मजबूत करेंगी, जिससे कारगिल और लद्दाख सेक्टरों में सैन्य आवाजाही और रसद के लिए साल भर पहुँच सुनिश्चित होगी। सुरंग के निर्माण से श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्रों के बीच सुरक्षित संपर्क प्रदान किया जाएगा।
- सर्दियों में सड़क संपर्क से भारतीय वायुसेना के परिवहन विमानों के माध्यम से सेना के अग्रिम ठिकानों के हवाई रखरखाव पर निर्भरता कम होगी।
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