जेड (Z)-मोड़ सुरंग परियोजना का देश के लिए रणनीतिक महत्व:
चर्चा में क्यों है?
- जेड (Z)-मोड़ सुरंग, जहां 20 अक्टूबर की शाम को आतंकवादी हमले में सात लोग मारे गए थे, श्रीनगर-सोनमर्ग राजमार्ग पर एक रणनीतिक बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह निर्माणाधीन सुरंग गगनगीर को मध्य कश्मीर के सोनमर्ग से जोड़ती है।
- आतंकवादियों ने गुंड इलाके में सुरंग के निर्माण स्थल पर काम कर रहे कंस्ट्रक्शन कंपनी के निहत्थे श्रमिकों पर गोलीबारी की।
- उल्लेखनीय है कि पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर में किसी प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना को आतंकवादियों ने निशाना बनाया है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
जेड-मोड़ सुरंग परियोजना क्या है?
- जेड-मोड़ सुरंग 6.4 किलोमीटर लंबी सुरंग है जिसे सोनमर्ग स्वास्थ्य रिसॉर्ट को मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के कंगन शहर से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- गगनगीर गाँव के पास स्थित यह सुरंग श्रीनगर-लेह राजमार्ग के साथ एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल सोनमर्ग तक सभी मौसम में पहुँच सुनिश्चित करेगी। “जेड-मोड़” नाम निर्माण स्थल के पास जेड-आकार के सड़क खंड को संदर्भित करता है।
- उल्लेखनीय है कि जिस क्षेत्र में सुरंग का निर्माण किया जा रहा है वह 8,500 फ़ीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और हिमस्खलन की आशंका रहती है, जिससे सर्दियों में सोनमर्ग तक जाने वाली सड़क पर आवागमन असंभव हो जाता है।
ज़ेड-मोड़ सुरंग का रणनीतिक महत्व क्या है?
- ज़ेड-मोड़ सुरंग जोजिला सुरंग परियोजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य श्रीनगर से लद्दाख तक पूरे साल हर मौसम में संपर्क प्रदान करना है।
- उल्लेखनीय है कि कश्मीर घाटी में सोनमर्ग को लद्दाख में द्रास से जोड़ने वाली लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर जोजिला सुरंग का निर्माण चल रहा है और इसकी दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है, वहीं ज़ेड-मोड़ सुरंग का खुलना इसकी हर मौसम में संपर्क के लिए आवश्यक है।
- सुरंग के निर्माण से श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्रों के बीच सुरक्षित संपर्क प्रदान किया जाएगा। भारतीय रक्षा बल सियाचिन ग्लेशियर और तुरतुक उप क्षेत्र में पाकिस्तान के खिलाफ तैनात हैं, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बाल्टिस्तान से सटा हुआ है। इसी तरह, पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के खिलाफ भारतीय सेना की व्यापक तैनाती है, जो 2020 में चीनी सैनिकों के साथ टकराव के बाद कई गुना बढ़ गई है।
- सर्दियों में सड़क संपर्क से भारतीय वायुसेना के परिवहन विमानों के माध्यम से सेना के अग्रिम ठिकानों के हवाई रखरखाव पर निर्भरता कम होगी। सैनिकों और आपूर्ति का परिवहन सड़क मार्ग से किया जाएगा और इससे विमानों के उपयोग पर कम खर्च आएगा और विमानों का जीवन भी बढ़ेगा।
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