छत्तीसगढ़ में माओवाद को खत्म करने के लिए “निर्मम रणनीति” की सफलता:
चर्चा में क्यों है?
- छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 20 मार्च, 2025 को दो अभियानों में कम से कम 30 कथित माओवादी मारे गए। हालिया मुठभेड़ों में बीजापुर जिले में 26 और कांकेर में चार माओवादी मारे गए – दोनों ही माओवाद प्रभावित बस्तर क्षेत्र में हैं।
- इस साल के पहले तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में मारे गए माओवादियों की कुल संख्या 113 हो गई है, जिसमें बस्तर क्षेत्र में 97 माओवादी शामिल हैं।
माओवाद को खत्म करने के लिए “निर्मम रणनीति” की सफलता:
- उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश से वामपंथी उग्रवाद (LWE) को खत्म करने के लिए मार्च 2026 तक की समयसीमा तय की थी। पिछले साल अगस्त में छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान शाह ने मीडिया से कहा था कि छत्तीसगढ़ से माओवाद को खत्म करने के लिए “निर्मम रणनीति” का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इस साल के पहले तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में मारे गए माओवादियों की कुल संख्या 113 हो गई है, जिसमें बस्तर क्षेत्र में 97 माओवादी शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि 2024 में छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने 200 से ज़्यादा माओवादियों को मार गिराया। पिछले साल मारे गए 219 माओवादियों में से 217 बस्तर क्षेत्र से थे, जिसमें बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव और सुकमा जिले शामिल हैं। 800 से ज़्यादा माओवादियों को गिरफ्तार भी किया गया, जबकि लगभग 802 ने हथियार डाल दिए।
नक्सलवाद या माओवाद क्या है?
- माओवाद या नक्सलवाद सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया जाने वाला, वामपंथी विचारधारा वाला, सशस्त्र हिंसक संघर्ष है जो भारत के पूर्वी राज्यों के अति पिछड़े क्षेत्रों में अल्प विकास एवं अन्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक वंचना के कारण पनपा है।
- वामपंथ उग्रवादी, माओ-त्से-तुंग की विचारधारा को अपनाकर, भारत की संसदीय एवं लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली के विपरीत एक नवीन साम्यवादी शासन प्रणाली को अपनाने की बात करते हैं।
नक्सलवाद का उद्देश्य क्या है?
- दीर्घकालीन, सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से राजनीतिक सत्ता को प्राप्त कर वैकल्पिक राज्य संरचना के रूप में ‘नव जन लोकतंत्र’ की स्थापना करना है। इस क्रम में नक्सलवाद भारतीय संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का विरोध करता है एवं इसे छलावा मानता है।
- इस राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के प्रति स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त करने हेतु नक्सलवादी लोगों के अधिकारों (जल, जंगल और जमीन) के लिए आंदोलन चलाते हैं एवं जन अदालत द्वारा पीड़ितों को न्याय प्रदान करते हैं।
भारत सरकार की माओवाद के प्रति प्रतिक्रिया:
- भारत सरकार ने सुरक्षा एवं विकास के क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान करके तथा साथ ही सुशासन को भी बढ़ावा देकर वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण अपनाया है।
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