भारत ने पोलियो उन्मूलन पहल की सफलता की कहानी:
चर्चा में क्यों है?
- विश्व पोलियो दिवस 24 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो ‘जोनास साल्क’ का जन्मदिन है, जिन्होंने पोलियोमाइलाइटिस के विरुद्ध टीका विकसित करने वाली पहली टीम का नेतृत्व किया था।
- भारत पोलियो को जड़ से खत्म करने में कामयाब रहा है, जो कि यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। यह लकवा या अपंगता और यहां तक कि मौत का कारण बनती है, मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है।
- पोलियो अक्सर संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से फैलता है, जो दूषित भोजन और पानी, खराब स्वच्छता आदि के माध्यम से अन्य लोगों के संपर्क में आ सकता है।
- उल्लेखनीय है कि पोलियो का कोई इलाज नहीं है, इसे केवल टीके के माध्यम से ही रोका जा सकता है।
भारत में पोलियो के उन्मूलन की पहल:
- भारत में पोलियो के खिलाफ टीकाकरण 1972 में शुरू हुआ और 1985 में देशव्यापी सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के रूप में इसका विस्तार हुआ। पोलियो के लिए, पूरे देश के लिए एक टीकाकरण दिवस तय किया जाएगा और इसके बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी।
- चूंकि पोलियो के टीके इंजेक्शन के रूप में नहीं बल्कि मौखिक रूप से दी जा सकती हैं, यह एक फायदा था क्योंकि स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता विशेष प्रशिक्षण के बिना भी उन्हें पिला सकते थे।
- त्योहारों, रेलवे स्टेशनों और किसी भी जगह पर टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। पोलियो टीकाकरण की टैगलाइन – दो बूंद जिंदगी की – अभी भी स्मरणीय है।
- उल्लेखनीय है कि पोलियो स्वछता से भी जुड़ा है, ऐसे में टीकाकरण के साथ-साथ हाथ धोने, पीने के पानी को उबालकर पीने, छह महीने से कम उम्र के बच्चों को केवल स्तनपान कराने आदि के महत्व के बारे में भी लोगों को बताया गया।
- इन प्रयासों का नेतृत्व केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किया गया, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र आदि एजेंसियों का समर्थन प्राप्त था।
भारत में पोलियो के उन्मूलन प्रयास की सफलता:
- उल्लेखनीय है कि इन पहलों से 2008 तक देश के कई हिस्सों में पोलियो के मामले कम होने लगे थे। ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल के अनुसार, 2009 में भारत में पोलियो के 741 मामले सामने आए थे, जो दुनिया में सबसे ज्यादा थे। जनवरी 2011 में भारत में पोलियो का आखिरी मामला पश्चिम बंगाल के हावड़ा में सामने आया था।
- बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए यह बदलाव भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की एक बड़ी सफलता की कहानी है और इस प्रक्रिया से मिली सीख का उपयोग हाल ही में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दौरान किया गया।
भारत में पोलियो उन्मूलन पहल से जुड़ी चुनौतियां:
- भारत की आबादी बहुत बड़ी है, लाखों लोग भीड़-भाड़ वाली बस्तियों में रहते हैं, जहाँ स्वच्छता के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।
- देश के अलग-अलग हिस्सों में चुनौतियां बिलकुल अलग-अलग हैं। देश के कई हिस्सों में भौगोलिक रूप से पहुँच पाना मुश्किल है। इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं और सरकारी मशीनरी के प्रति अविश्वास के कारण वैक्सीन को लेकर डर भी था।
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