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VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

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VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:   

परिचय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को EVM की गिनती के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के 100 फीसदी सत्यापन की याचिका को खारिज कर दिया।
  • जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि याचिका में तीन मांगे: पेपर बैलेट प्रणाली पर फिर लौटना चाहिए, VVPAT पर्चियों को सत्यापन के लिए मतदाताओं को दिया जाना चाहिए, इसे गिनती के लिए मतपेटी में डाला जाना चाहिए और  EVM और VVPAT पर्चियों का 100 फीसदी मिलान होना चाहिए- की गयी थी, जिसे  पीठ ने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड में मौजूद आंकड़ों का हवाला देते हुए खारिज कर दिया है”।

VVPAT को लेकर ADR की सर्वोच्च न्यायालय में याचिका क्या थी?

  • मार्च 2023 में चुनाव निगरानी समूह ADR ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करते हुए, सभी VVPAT पर्चियों की गिनती करने के लिए, तर्क दिया कि यद्यपि मतदाता अपना वोट पर्ची पर सात सेकंड के लिए देख सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि यह मत वास्तव में उनकी इच्छानुसार गिना गया है।
  • ऐसे में ADR चाहता है कि सर्वोच्च न्यायालय यह घोषित करे कि प्रत्येक मतदाता का वोट सही ढंग से दर्ज और गिना जाए, जिसका अर्थ है सभी VVPAT पर्चियों की गिनती होनी चाहिए।

वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) क्या होता है?

  • वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं।
  • VVPAT भारत में चुनावों में उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से जुड़ी एक मशीन है। जब कोई व्यक्ति वोट देता है, तो VVPAT उनकी पसंद दिखाने वाली एक पेपर स्लिप प्रिंट करता है, जिसे मतदाता एक बॉक्स में गिरने से पहले सात सेकंड तक देख सकता है।
  • कोई भी मतदाता VVPAT पर्ची घर नहीं ले जा सकता, क्योंकि बाद में इसका उपयोग पांच यादृच्छिक रूप से चयनित मतदान केंद्रों में डाले गए वोटों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है।

SC के इस फैसले से मतदाता के लिए क्या बदला?

  • मतदाताओं के लिए, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कोई बदलाव नहीं आया है। EVM के जरिए वोटिंग की प्रक्रिया चलती रहेगी।
  • इसके अलावा, मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, EVM के साथ वोटों के वेरिफिकेशन के लिए पांच रैंडम सेलेक्ट विधानसभा क्षेत्रों या सेगमेंट की VVPAT पर्चियों की गिनती की जाएगी।

चुनाव आयोग के लिए फैसले में क्या है खास?

  • चुनाव आयोग के लिए वोटिंग प्रक्रिया के तरीके में खास बदलाव नहीं आया है, फिर भी सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को चुनाव के बाद कुछ नई प्रक्रियाएं अपनाने का निर्देश दिया है।
  • पहली बार कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह चुनाव ‘चिन्ह लोडिंग यूनिट (SLU)’ को परिणामों की घोषणा के बाद 45 दिनों तक सील करके रखें। इन SLU को EVM की तरह ही खोला, जांचा जाना चाहिए।
  • उल्लेखनीय है कि SLU एक मेमोरी यूनिट हैं जिन्हें पहले कंप्यूटर से जोड़कर चुनाव चिन्ह लोड किया जाता है और फिर VVPAT मशीनों पर उम्मीदवारों के सिंबल दर्ज किए जाते हैं।

उम्मीदवारों के लिए क्या है फैसले में?

  • सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को EVM के सत्यापन की मांग करने का अधिकार दिया है। यह भी पहली बार हुआ है।
  • दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवार प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में 5 फीसदी EVM में मेमोरी सेमीकंट्रोलर के सत्यापन की मांग कर सकते हैं। यह सत्यापन उम्मीदवार की ओर से लिखित अपील किए जाने के बाद होगा। ऐसा  EVM बनाने वाले इंजीनियरों की एक टीम के जरिए किया जाएगा। फैसले के अनुसार, उम्मीदवार या प्रतिनिधि मतदान केंद्र या क्रम संख्या से  EVM की पहचान कर सकते हैं।
  • अदालत ने कहा कि सत्यापन के लिए अनुशंसा चुनाव नतीजों की घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जाना चाहिए और उम्मीदवारों को इसका खर्च उठाना होगा। उनकी शिकायत के बाद अगर  EVM से छेड़छाड़ पाया जाता है तो उनका पूरा खर्च वापस कर दिया जाएगा।

 

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